- शिवराज सिंह चौहान ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना का नाम बदलने पर विपक्ष के आरोपों का खंडन किया
- नए विकसित भारत-गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन बिल में मनरेगा कानून का नाम बदलकर जी राम जी बिल किया गया है
- मंत्री ने बताया कि यह बिल महात्मा गांधी के राम राज्य और गरीब कल्याण के विचारों के अनुरूप है
"इसके पहले कई रोजगार की योजनाएं आईं. एक योजना का नाम था जवाहर रोजगार योजना. बाद में कांग्रेस ने ही जवाहर रोजगार योजना का नाम बदल दिया, तो क्या पंडित जवाहरलाल नेहरू जी का अपमान हो गया?"
महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना की जगह लाये गए नए "विकसित भारत-गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण)" बिल (शॉर्ट में जी राम जी बिल) को लोक सभा में पेश करते हुए ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विपक्ष के आरोपों पर पटलवार करते हुए ये बयान दिया. विपक्षी सांसदों के हंगामे और विरोध के बीच पेश इस बिल में मनरेगा कानून का नाम बदला गया है, जिसे विपक्षी दलों ने महत्मा गांधी का अपमान करार दिया है.
जी राम जी क्यों जरूरी

आरोपों को खारिज करते हुए ग्रामीण विकास मंत्री ने कहा, "महात्मा गांधी हमारे दिलों में बसते हैं. उनका हम पूरा सम्मान करते हैं. बापू ही कहते थे - राम राज्य! राम हमारे रग-रग में बसे हैं. पता नहीं जब 'जी राम जी' का नाम आगे तो ये भड़क गए. महात्मा गांधी स्वयं "राम राज्य" की स्थापना की बात करते थे...ये बिल महात्मा गांधी जी की भावनाओं सोच के अनुरूप है, राम राज्य की स्थापना के लिए है. महात्मा गांधी जी का ये संकल्प था कि जो सबसे नीचे हैं, उनका कल्याण सबसे पहले किया जाए. महात्मा गांधी के विचारों के आधार पर ही मोदी सरकार ने गरीब कल्याण की योजनाएं चला रही है. हमारा संकल्प है गरीब का कल्याण और नए बिल में हमने यही संकल्प पूरा करने का प्रयत्न किया है. महात्मा गांधी कहते थे - एक विकसित गांव, स्वावलम्बी गांव...इसका प्रावधान नए बिल में किया गया है".
शरद पवार का किया जिक्र

शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि हम 100 दिन की गारंटी के बजाय 125 दिन रोजगार की गारंटी दे रहे हैं नए प्रस्तावित कानून के जरिये. ये गारंटी कोरी नहीं है. इसके लिए 1.51 लाख करोड़ से ज्यादा रुपये की राशि का प्रावधान किया गया है. ग्रामीण विकास मंत्री ने सरकारी आंकड़े पेश करते हुए कहा कि UPA सरकार ने मनरेगा पर 2 लाख 13 हजार करोड़ रुपये खर्च किये थे, लेकिन मोदी सरकार ने 8 लाख 53 हजार करोड़ से ज्यादा पैसा गरीबों के कल्याण पर खर्च किये हैं और इस योजना को और मजबूत करने की कोशिश की है. कृषि मंत्री ने कहा, "शरद पवार जब केंद्रीय कृषि मंत्री थे, तब उन्होंने कहा था कि कृषि कार्यों के लिए मनरेगा की वजह से मजदूर नहीं मिल रहे. हमने उनकी चिंता को भी दूर करने का प्रयास किया है".
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