कंचनजंघा एक्सप्रेस (Kanchanjunga Express) और मालगाड़ी के बीच 17 जून को हुई टक्कर को लेकर जांच में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. जांच में पता चला है कि आकाशीय बिजली के चमकने के कारण रंगापानी और चैटरहाट के बीच रिले हट में सर्किट और फ्यूज खराब हो गए थे और इसके कारण सिग्नल गलत दिखाई देने लगे. इसके चलते ट्रेन के लोको पायलट को भ्रम हो गया और यह दुर्घटना घट गई.
रेलवे सुरक्षा आयुक्त की जांच में सामने आया है कि आकाशीय बिजली के चमकने के कारण रंगापानी और चैटरहाट के बीच रिले हट के कुछ सर्किट उड़ गए थे. इसके कारण सिग्नल लाल हो गए थे. इस प्रकार के मामलों में स्वचालित क्षेत्र में लोको पायलट्स का प्रोटोकॉल है कि रेड सिग्नल पर रुकें, दिन में 1 मिनट और रात्रि में 2 मिनट तक और 15 किमी प्रति घंटे की गति से चलें. यह प्रोटोकॉल पूरे देश में एक समान है.
दुर्घटना के बाद लिए गए यह फैसले
इसके बाद रेलवे ने फैसला लिया है कि अधिकार प्रपत्र को बदल दिया गया है, ताकि कोई भ्रांति का सम्भावना न हो. साथ ही एलपी/एएलपी प्रशिक्षण को और मजबूत किया गया है. विभिन्न जोनों के अधिकार प्रपत्रों को मानकीकृत किया गया है, जिससे देश में लोको पायलट्स एक ही फॉर्म देखें.
इसके साथ ही रेलवे ने रेलवे सिग्नलिंग उपकरण की विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए आरडीएसओ के अध्यक्षता में जोनों के साथ एक कार्रवाई योजना तैयार की जा रही है.
दुर्घटना में 10 लोगों की हुई थी मौत
पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले में 17 जून को एक मालगाड़ी के पीछे से टक्कर मारने के कारण सियालदह जाने वाली कंचनजंघा एक्सप्रेस के तीन डिब्बे पटरी से उतर गए थे. इस दुर्घटना में मालगाड़ी के लोको पायलट समेत 10 लोगों की मौत हो गई थी.
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