झारखंड (Jharkhand) के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) ने राजधानी रांची के कांके रोड स्थित सरकारी आवास में सत्ता पक्ष के मंत्री और विधायक दल के साथ बैठक की. सीएम सोरेन के साथ मौके पर ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के महासचिव एवं झारखंड प्रभारी अविनाश पांडेय भी मौजूद थे. रांची में राज्यपाल ने अब तक चुनाव आयोग की अनुशंसा पर कोई कदम नहीं उठाया हैं. इस बीच रविवार को भी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने विधायकों के साथ मुलाकात जारी रखा.
सीएम हेमंत सोरेन के एक विधायक के रूप में भविष्य को लेकर बनी अनिश्चितता के चलते झारखंड में राजनीतिक संकट गहराया हुआ है. सत्तारूढ़ गठबंधन के विधायकों को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के ‘खरीद फरोख्त' के प्रयासों से बचाने के लिए जरूरत पड़ने पर पश्चिम बंगाल या छत्तीसगढ़ जैसे 'मित्र राज्यों' में भेजने की तैयारी की जा रही है. इसीलिए उभरते परिस्थिति से निपटने के लिए रणनीतिक तैयारी के मद्देनजर सत्तारूढ़ गठबंधन के विधायकों की बैठक लगातार जारी है. सत्तारूढ़ गठबंधन के सभी विधायक अपने-अपने सामान के साथ बैठक में शामिल हैं.
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— manish (@manishndtv) August 28, 2022
कांग्रेस के एक सूत्र ने बताया, ‘‘हमारे गठबंधन के विधायकों को छत्तीसगढ़ या पश्चिम बंगाल में ठहराने की सभी व्यवस्थाएं कर ली गई हैं. दोनों राज्यों में गैर-भाजपा सरकारें हैं. तीन लग्जरी बसें विधायकों और सुरक्षाकर्मियों को सड़क मार्ग से पहुंचाने के लिए रांची पहुंच गई है, उनकी सुरक्षा में कुछ वाहन भी होंगे.''
सूत्र ने कहा कि छत्तीसगढ़ में बरमूडा और रायपुर सहित तीन स्थानों और पश्चिम बंगाल में कुछ स्थानों की पहचान की गई है. एक अन्य सूत्र ने कहा, ‘जरूरत पड़ने पर सत्तारूढ़ पक्ष के सभी विधायकों को एक ही स्थान पर भेजा जाएगा. सभी विधायक अपना सामान लेकर मुख्यमंत्री आवास पर महत्वपूर्ण बैठक में शामिल होने आए हैं.' झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के एक सूत्र ने कहा कि विधायकों को झारखंड से बाहर ले जाने का विकल्प खुला है और सभी तैयारियां कर ली गई हैं, लेकिन अंतिम फैसला राज्यपाल द्वारा अयोग्यता आदेश भेजे जाने के बाद ही लिया जाएगा.
बता दें कि निर्वाचन आयोग ने 25 अगस्त को बेंच को एक याचिका पर अपनी राय भेजी थी, जिसमें सोरेन द्वारा खुद को एक खनन पट्टा आवंटित करके चुनावी मानदंडों का उल्लंघन करने के लिए विधायक के रूप में अयोग्य घोषित करने की मांग की गई थी. याचिकाकर्ता भाजपा ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 9ए का उल्लंघन करने के लिए सोरेन को अयोग्य ठहराए जाने की मांग की है. यह अधिनियम सरकारी अनुबंधों के लिए अयोग्यता से संबंधित है.
इस मुद्दे को राज्यपाल को भेजा गया, जिन्होंने उसे बाद में निर्वाचन आयोग को राय के लिए भेज दिया, क्योंकि संविधान के अनुच्छेद 192 में कहा गया है कि एक विधायक की अयोग्यता पर फैसला करने संबंधी मामला पहले राज्यपाल को भेजा जाएगा जो ‘निर्वाचन आयोग की राय प्राप्त करेंगे और उस राय के अनुसार कार्य करेंगे.'
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