
भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बी आर गवई ने लंदन के ग्रेज़ इन में 'भारत के संविधान के 75 साल का जीवंत दस्तावेज और डॉ अंबेडकर की स्थायी प्रासंगिकता' विषय पर कई अहम बातें कहीं. उन्होंने भारत के संविधान की ताकत को दुनिया के सामने रखा. CJI ने कहा कि भारत के संविधान (CJI Gavai Over Indian Constitution) ने 75 वर्ष पूरे कर लिए हैं, यह बहुत ही संयोग की बात है कि आदिवासी वर्ग की एक महिला भारत की राष्ट्रपति हैं. वहीं हमारे देश के प्रधानमंत्री भी पिछड़े वर्ग से आते हैं.
संविधान की वजह से ही वह CJI पद तक पहुंचे
सीजेआई ने कहा कि उनको यह कहते हुए गर्व हो रहा है कि यह सिर्फ भारतीय संविधान की वजह से ही संभव हो पाया है कि वह पीएम मोदी इस पद पर आसीन हो पाए हैं. चीफ जस्टिस गवई ने कहा कि यह कहते हुए भी उनको गर्व होता है कि भारत के पास एक हाशिए पर पड़े वर्ग और साधारण पृष्ठभूमि से आने वाले मुख्य न्यायाधीश हैं. देश के संविधान की वजह से ही वह देश के मुख्य न्यायाधीश के पद तक पहुंचे हैं.
लंदन में CJI ने बताई संविधान की ताकत
लंदन में उन्होंने कहा कि यह गर्व की बात है कि 75 सालों में भारत में दो महिला राष्ट्रपति रहीं, जिनमें से वर्तमान राष्ट्रपति सबसे हाशिए पर पड़े आदिवासी समुदायों में से एक से हैं. उन्होंने आगे कहा कि भारत में एक महिला प्रधानमंत्री रहीं, एक दलित मुख्य न्यायाधीश रहे, दलित समुदाय से आने वाले लोकसभा के दो स्पीकर भी रहे. वहीं हमारे पास तीन संवैधानिक प्रमुख हैं, जो हाशिए पर पड़े वर्ग से आते हैं, और संयोग से हमारे पास एक कानून मंत्री भी हैं जो हाशिए पर पड़े वर्ग से आते हैं. ये सब सिर्फ भारत के संविधान की वजह से ही संभव हो सका है.
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