विज्ञापन

सिर्फ 5 सीट पाकर भी हनुमान से राजा बन गए चिराग

18 वीं लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद चिराग पासवान की राजनीति एक बार फिर चमक गयी है.  उनके पास 5 सांसद हैं.

सिर्फ 5 सीट पाकर भी हनुमान से राजा बन गए चिराग
नई दिल्ली:

लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha election 2024) का बेहद नीरस माना जा रहा चुनाव नतीजों के बाद रोचक हो गया है. चुनाव परिणाम ने कई समीकरण बदले हैं. 10 साल के बाद एक बार फिर क्षेत्रिय क्षत्रपों की पूछ बढ़ गई है. बीजेपी के अपने बूते बहुमत से दूर रहने के बाद उसके सहयोगी दलों के कद बढ़े हुए दिखाई दे रहे हैं. नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड, चंद्रबाबू नायडू की पार्टी टीडीपी, एकनाथ शिंदे की शिवसेना और चिराग पासवान की पार्टी लोजपा रामविलास बीजेपी के ऐसे सहयोगी हैं जिनकी सीटें सरकार की मजबूती और बहुमत दोनों की लिए जरूरी हो गई हैं.

चिराग पासवान एनडीए के ऐसे सहयोगी हैं जिनका लगातार दूसरे लोकसभा चुनाव में स्ट्राइक रेट 100 प्रतिशत रहा. पिछले चुनाव में उनकी पार्टी 6 सीटों पर चुनाव में उतरी थी सभी सीटों पर जीत मिली थी. इस चुनाव में उन्हें गठबंधन की तरफ से 5 सीटें मिली थी और सभी पांच सीटों पर उन्हें जीत मिली. 
Latest and Breaking News on NDTV

अभिनेता से नेता बने चिराग 
चिराग पासवान की राजनीति में एंट्री 2010 के विधानसभा चुनाव के दौरान हुई थी . जब वो मंचों पर रामविलास पासवान के साथ नजर आते थे. हालांकि उस दौर में उका मन मुंबई फिल्म इंडस्ट्री की तरफ था. वो एक फिल्म की शूटिंग में भी व्यस्त थे. 2010 के चुनाव में रामविलास पासवान की पार्टी लोजपा का लालू यादव की पार्टी राजद से गठबंधन था. हालांकि यह गठबंधन बेहद असफल रहा था. विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद लोजपा के सामने अस्तित्व का संकट था. हालांकि इसी बीच केंद्र की राजनीति में नरेंद्र मोदी के उदय की शुरुआत हुई. साल 2013 आते-आते बीजेपी की कमान नरेंद्र मोदी के हाथों आ गयी. बिहार में नीतीश कुमार बीजेपी के साथ असहज हो गए और उन्होंने एनडीए से अपने आपको अलग कर लिया. 

नीतीश कुमार के एनडीए छोड़ने के बाद चिराग पासवान की पहल पर रामविलास पासवान की पार्टी एनडीए में शामिल हो गयी.  2014 में 7 सीटों पर चुनाव लड़ते हुए लोजपा ने 6 सीटों पर जीत दर्ज कर ली. चिराग पासवान जमुई से सांसद बन गए. रामविलास पासवान मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री बने. इसके साथ ही राम मोदी और हनुमान चिराग की दोस्ती के चर्चे देश भर में होने लगे. यह दोस्ती तब भी चलता रहा जब एनडीए में नीतीश कुमार की वापसी हो गयी. 
Latest and Breaking News on NDTV

2019 के लोकसभा चुनाव के बाद शुरू हुई चिराग की परीक्षा
राजनीति में लगभग एक दशक बिताने के बाद चिराग पासवान के परीक्षा की शुरुआत हुई. 2019 के लोकसभा चुनाव में एनडीए की बड़ी जीत के बाद रामविलास पासवान बिहार से राज्यसभा के लिए चुने गए. इस चुनाव के दौरान ही चिराग पासवान के अनुसार नीतीश कुमार ने रामविलास पासवान का अपमान किया. जिसके बाद दोनों के रिश्ते बिगड़ते चले गए. 

चिराग को लगे कई झटके

एक तरफ चिराग पासवान राजनीतिक तौर पर नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोल रहे थे वहीं दूसरी तरफ उनके पिता रामविलास पासवान की तबीयत बिगड़ती चली गयी. बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले रामविलास पासवान का निधन हो गया. निधन से कुछ ही दिन पहले रामविलास पासवान ने लोजपा की कमान चिराग को सौंप दी थी. पिता की मौत के बीच ही हो रहे लोकसभा चुनाव में चिराग पासवान ने जदयू की सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार दिए. परिणाम यह हुआ कि जदयू को महज 43 सीटों पर जीत मिली और चिराग पासवान की पार्टी के महज एक ही विधायक जीत कर आए वो भी बाद में जदयू में शामिल हो गए. 

चिराग का पीएम मोदी के प्रति अनकंडीशनल सम्मान
नीतीश कुमार को राजनीतिक चुनौती देने की बड़ी कीमत चिराग पासवान को भी चुकानी पड़ी. चिराग पासवान की पार्टी के 6 में से 5 सांसदों ने उनके खिलाफ विद्रोह कर दिया. चिराग पासवान अपनी पार्टी में ही अकेले रह गए. उनके चाचा पशुपति पारस के नेतृत्व में अलग हुए सांसदों को लोकसभा अध्यक्ष ने अलग गुट की मान्यता दे दी. बाद में पशुपति पारस को केंद्र में मंत्री भी बना दिया गया. चिराग पासवान को अपने पिता को मिला सरकारी बंगला भी खाली करना पड़ा. लेकिन इन सब के बीच एक बात जो नहीं बदला वो था चिराग पासवान का पीएम मोदी के प्रति अनकंडीशनल सम्मान. तमाम झंझावतों के बाद भी चिराग पीएम मोदी के साथ डटे रहे. संसद में जब भी जरूरत हुई उन्होंने एनडीए को साथ दिया.  

हनुमान को राज मिलने में लग गए 4 साल
साल 2020 में चिराग की जिंदगी में आया तूफान 4 साल तक चलता रहा है. परिवार, पार्टी में टूट चुनाव आयोग से लेकर अदालत तक पहुंचा. इस दौरान चिराग ने बिहार में अलग-अलग जगह पहुंच कर अपने संगठन को भी खड़ा किया. नई टीम बनायी गयी. इस दौरान एक ही बात तय दिखा वो था नरेंद्र मोदी के प्रति विश्वास जो चिराग पासवान लगातार मंचों से दिखाते रहें. लोकसभा चुनाव 2024 से पहले भी तमाम अटकलें लगायी जा रही थी. चाचा पशुपति पारस किसी भी हालत में हाजीपुर सीट को नहीं छोड़ना चाहते थे. फिर सीटों को लेकर भी तनाव देखने को मिला. नीतीश कुमार से रिश्ते को लेकर भी मीडिया में खबरें लगातार चलती रही. लेकिन अंतत: चिराग पासवान की पार्टी के प्रचार में नीतीश कुमार भी पहुंचे पीएम मोदी ने कई सभाओं को संबोधित किया. 

Latest and Breaking News on NDTV

राजनीतिक तौर पर चिराग पासवान अब हुए बेहद मजबूत
18 वीं लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद चिराग पासवान की राजनीति एक बार फिर चमक गयी है.  उनके पास 5 सांसद हैं. साथ ही रामविलास पासवान के दौर से यह माना जाता रहा है कि लोजपा ही बिहार की एकमात्र पार्टी है जो किसी भी गठबंधन के पक्ष में वोट ट्रांसफर करवा सकती है. रामविलास पासवान और चिराग पासवान की राजनीति की यह खासियत रही है कि उनके रिश्ते विपक्ष के नेताओं से भी हमेशा अच्छे रहे हैं. बिहार में लालू परिवार के साथ चिराग पासवान के बेहद अच्छे संबंध हैं. ऐसे में आने वाले चुनावों और सरकार में चिराग पासवान की मजबूत उपस्थिति हो सकती है. हनुमान बनकर उनके द्वारा किया गया तपस्या उन्हें अब सत्ता के केंद्र में लेकर आ गया है. 

ये भी पढ़ें-: 

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com