भारत चीन सीमा पर लगा एक बोर्ड...
नई दिल्ली:
चीन के पड़ोसी मुल्क मंगोलिया और भारत के बीच बढ़ते रिश्तों से ड्रैगन के माथे पर बल पड़ने लगे हैं. भारत द्वारा मंगोलिया को दी गई एक बिलियन डॉलर की मदद को 'घूस' बताते हुए चीन के सरकारी मीडिया ने कहा है कि अगर चीन-नेपाल के बीच बनाए जा रहे कार्गो ट्रेन प्रॉजेक्ट का विरोध किया जाता है तो भारत को 'अंतहीन मुश्किलों' का सामना करना पड़ेगा. भारत का ऐसा मानना है कि चीन के इस प्रॉजेक्ट के पूरा हो जाने पर नेपाल में भारतीय सामान की बिक्री पर भारी असर पड़ेगा.
चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने लिखा, 'नेपाल के साथ रेल-रोड संपर्क को बढ़ावा देने की कोशिशों के जवाब में भारत भी चीन के पड़ोसी मंगोलिया के साथ अपने संबंध बढ़ा रहा है. इसके लिए भारत ने मंगोलिया को एक बिलियन डॉलर की 'घूस' दी है.' अखबार ने जोर देते हुए कहा है कि तिब्बत के धार्मिक गुरु दलाई लामा की उलानबाटार यात्रा का विरोध करते हुए चीन ने पड़ोसी देश मंगोलिया की सप्लाई पर रोक लगा दी थी. भारत ने इस रोक से बुरी तरह प्रभावित मंगोलिया को साल 2015 में एक बिलियन डॉलर की मदद की पेशकश की थी.
इससे पहले चीन की आधिकारिक मीडिया ने मंगोलिया को चेतावनी देते हुए कहा कि उसका भारत से मदद मांगना ‘‘राजनीतिक रूप से जल्दबाजी भरा कदम’’ है और यह कदम द्विपक्षीय संबंधों को मुश्किल बनाएगा.
ऐसी खबरें आई थी कि उलान बटोर ने चीन द्वारा सीमा शुल्क लगाने समेत कई कारकों से उत्पन्न वित्तीय कठिनाइयों को दूर करने के लिए नई दिल्ली की मदद मांगी थी.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने चीन के कदमों का मुकालबा करने के लिए मंगोलिया की भारत से समर्थन की मांग करने संबंधी नई दिल्ली में मंगोलिया के राजदूत गोंचीग गनहोल्ड की कथित टिप्पणी को लेकर पूछे गए सवाल का जवाब देने से इनकार कर दिया और कहा कि उन्होंने इस तरह की किसी भी टिप्पणी के बारे में नहीं सुना.
हालांकि चीन की आधिकारिक मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने भारत से मदद मांगने के लिए मंगोलिया की आलोचना की.
इसने एक लेख में कहा, ‘‘रूस और चीन के बीच बसा मंगोलिया किसी सत्ता प्रतिस्पर्धा में शामिल हुए बिना दोनों देशों से लाभ प्राप्त करने के लिए एक तटस्थ देश बनने की कोशिश करता है.’’
इसमें कहा गया, ‘‘लेकिन मंगोलिया यह भी उम्मीद रखता है कि वह एक तीसरे पड़ोसी की ओर जा सकता है जिसके जरिए वह अधिक मोलभाव कर अधिक फायदा उठा सके, लेकिन मंगोलिया को सतर्क रहना चाहिए कि यह इस तरह के भू-राजनीतिक खेल के जोखिम को बर्दाश्त नहीं कर सकता है.’’
इसमें कहा गया, ‘‘मंगोलिया को यह जानना चाहिए कि द्विपक्षीय संबंधों को विकसित करने के लिए एक-दूसरे का सम्मान करना एक पूर्व शर्त है.’’ इसमें कहा गया, ‘‘मंगोलिया का भारत से समर्थन मांगना राजनीतिक रूप से जल्दबाजी भरा कदम है जो सिर्फ स्थिति को जटिल बनाएगा और मुद्दे को सुलझाना मुश्किल बना देगा. हमें उम्मीद है कि संकट-ग्रस्त मंगोलिया सबक सीखेगा. मंगोलिया ने चीन की परवाह किए बिना पिछले महीने चार दिनों के लिए दलाई लामा की मेजबानी की थी और कहा कि यह पूरी तरह से धार्मिक यात्रा थी.
चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने लिखा, 'नेपाल के साथ रेल-रोड संपर्क को बढ़ावा देने की कोशिशों के जवाब में भारत भी चीन के पड़ोसी मंगोलिया के साथ अपने संबंध बढ़ा रहा है. इसके लिए भारत ने मंगोलिया को एक बिलियन डॉलर की 'घूस' दी है.' अखबार ने जोर देते हुए कहा है कि तिब्बत के धार्मिक गुरु दलाई लामा की उलानबाटार यात्रा का विरोध करते हुए चीन ने पड़ोसी देश मंगोलिया की सप्लाई पर रोक लगा दी थी. भारत ने इस रोक से बुरी तरह प्रभावित मंगोलिया को साल 2015 में एक बिलियन डॉलर की मदद की पेशकश की थी.
इससे पहले चीन की आधिकारिक मीडिया ने मंगोलिया को चेतावनी देते हुए कहा कि उसका भारत से मदद मांगना ‘‘राजनीतिक रूप से जल्दबाजी भरा कदम’’ है और यह कदम द्विपक्षीय संबंधों को मुश्किल बनाएगा.
ऐसी खबरें आई थी कि उलान बटोर ने चीन द्वारा सीमा शुल्क लगाने समेत कई कारकों से उत्पन्न वित्तीय कठिनाइयों को दूर करने के लिए नई दिल्ली की मदद मांगी थी.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने चीन के कदमों का मुकालबा करने के लिए मंगोलिया की भारत से समर्थन की मांग करने संबंधी नई दिल्ली में मंगोलिया के राजदूत गोंचीग गनहोल्ड की कथित टिप्पणी को लेकर पूछे गए सवाल का जवाब देने से इनकार कर दिया और कहा कि उन्होंने इस तरह की किसी भी टिप्पणी के बारे में नहीं सुना.
हालांकि चीन की आधिकारिक मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने भारत से मदद मांगने के लिए मंगोलिया की आलोचना की.
इसने एक लेख में कहा, ‘‘रूस और चीन के बीच बसा मंगोलिया किसी सत्ता प्रतिस्पर्धा में शामिल हुए बिना दोनों देशों से लाभ प्राप्त करने के लिए एक तटस्थ देश बनने की कोशिश करता है.’’
इसमें कहा गया, ‘‘लेकिन मंगोलिया यह भी उम्मीद रखता है कि वह एक तीसरे पड़ोसी की ओर जा सकता है जिसके जरिए वह अधिक मोलभाव कर अधिक फायदा उठा सके, लेकिन मंगोलिया को सतर्क रहना चाहिए कि यह इस तरह के भू-राजनीतिक खेल के जोखिम को बर्दाश्त नहीं कर सकता है.’’
इसमें कहा गया, ‘‘मंगोलिया को यह जानना चाहिए कि द्विपक्षीय संबंधों को विकसित करने के लिए एक-दूसरे का सम्मान करना एक पूर्व शर्त है.’’ इसमें कहा गया, ‘‘मंगोलिया का भारत से समर्थन मांगना राजनीतिक रूप से जल्दबाजी भरा कदम है जो सिर्फ स्थिति को जटिल बनाएगा और मुद्दे को सुलझाना मुश्किल बना देगा. हमें उम्मीद है कि संकट-ग्रस्त मंगोलिया सबक सीखेगा. मंगोलिया ने चीन की परवाह किए बिना पिछले महीने चार दिनों के लिए दलाई लामा की मेजबानी की थी और कहा कि यह पूरी तरह से धार्मिक यात्रा थी.