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NSA अजीत डोभाल की यात्रा से ड्रैगन खुश, चीन के नजरिये से समझिए क्यों इतना महत्वपूर्ण था ये दौरा

Ajit Doval China Visit: NSA अजीत डोभाल के दौरे का लगता है चीन को बेसब्री से इंतजार था. यही कारण है कि उनका दौरा समाप्त होने के बाद भी वो चीन में चर्चा में हैं.... जानिए क्यों खास था ये दौरा...

NSA अजीत डोभाल की यात्रा से ड्रैगन खुश, चीन के नजरिये से समझिए क्यों इतना महत्वपूर्ण था ये दौरा
Ajit Doval China Visit: अजीत डोभाल को पीएम मोदी का बहुत भरोसेमंद माना जाता है.

China India Relations: चीन-भारत संबंध नाजुक दौर से गुजर रहे हैं. NSA अजीत डोभाल (Ajit Doval) गुरुवार को चीन से लौटे तो चीन के विदेश मंत्रालय से लेकर इसके अखबारों और विश्वविद्यालयों तक में इसकी चर्चा हुई. जाहिर है चीन में इस यात्रा में बड़े स्तर पर नजर रखी जा रही थी और इसके सफल होने के लिए उसने प्रयास भी किए होंगे. चीन ने गुरुवार को कहा कि वार्ता के बाद दोनों देशों की तरफ से जारी किए गए इस वार्ता के विवरण "बहुत हद तक समान हैं." ये हमारी व्यापक सहमति को उजागर करते हैं. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने एक मीडिया ब्रीफिंग में बताया कि सीमा विवाद समाधान के लिए विशेष प्रतिनिधियों वांग और डोभाल ने "ठोस वार्ता" की और "सकारात्मक और रचनात्मक रुख" में चीन-भारत सीमा विवाद समाधान के लिए छह सूत्री "आम सहमति" पर पहुंचे.

लिन जियान ने आगे कहा, "दोनों पक्षों के बयान का सार और तत्व काफी हद तक समान हैं." बातचीत में दोनों देशों का विकास पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है. साथ ही सीमा विवाद को द्विपक्षीय संबंधों में उचित रूप से रखने, संयुक्त रूप से सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बनाए रखने और चीन-भारत संबंधों में सुधार लाने का प्रयास कर संबंधों को शीघ्र ठीक करने पर चर्चा हुई.

बैठक की अहमियत समझें

डोभाल की यात्रा को चीन में महत्वपूर्ण माना गया. पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध के कारण चार साल से अधिक समय तक संबंधों में गतिरोध के बाद यह दोनों देशों के बीच पहली स्ट्रक्चर्ड बातचीत थी. 3,488 किलोमीटर तक फैली भारत-चीन सीमा के जटिल विवाद को व्यापक रूप से संबोधित करने के लिए विशेष प्रतिनिधि (एसआर) स्तर बातचीत 2003 से शुरू हुई थी. बुधवार की बैठक पांच साल के अंतराल के बाद आयोजित की गई थी और ये  23वीं बैठक थी.

प्रोफेसर लॉन्ग ज़िंगचुन का नजरिया

इस वार्ता पर टिप्पणी करते हुए, सिचुआन इंटरनेशनल स्टडीज यूनिवर्सिटी में स्कूल ऑफ इंटरनेशनल रिलेशंस के प्रोफेसर लॉन्ग ज़िंगचुन ने कहा कि विशेष प्रतिनिधियों की बैठक की बहाली एक संकेत देती है कि दोनों पक्ष शांतिपूर्ण बातचीत के माध्यम से सीमा विवाद को हल करने के इच्छुक और आश्वस्त हैं. लॉन्ग ने ग्लोबल टाइम्स को बताया कि यह बैठक दोनों देशों के बीच आपसी विश्वास को बढ़ावा देने के लिए फायदेमंद है और सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बनाए रखने में योगदान देती है.

कियान फेंग को ये उम्मीद

सिंघुआ विश्वविद्यालय के राष्ट्रीय रणनीति संस्थान में अनुसंधान विभाग के निदेशक कियान फेंग ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच कज़ान बैठक के तुरंत बाद एक विशेष प्रतिनिधियों की बैठक हुई, जो दर्शाता है कि दोनों पक्ष सक्रिय रूप से सीमा मुद्दे को हल करने और आपसी विश्वास को बहाल करने के लिए काम कर रहे हैं. कियान ने कहा ये एक सकारात्मक संकेत है. उन्होंने कहा कि विशेष प्रतिनिधियों की बैठक न केवल सीमा मुद्दे के समाधान पर चर्चा करने के लिए दोनों पक्षों द्वारा सहमत एक महत्वपूर्ण मंच है, बल्कि दोनों पक्षों के राजनयिक और सुरक्षा मामलों के प्रमुखों के लिए सीधे संचार में शामिल होने का भी एक मंच है. कियान ने कहा, "इसलिए, इस बैठक से दोनों देशों के बीच साझा हितों को और गहरा करने और कई क्षेत्रों में सहयोग को आगे बढ़ाने की नींव रखने की भी उम्मीद है."

चाइना इंस्टीट्यूट ऑफ कंटेम्पररी इंटरनेशनल रिलेशंस में इंस्टीट्यूट फॉर साउथ एशियन स्टडीज के शोधकर्ता वांग शिदा ने कहा कि चीन और भारत के बीच सीमा पर शांति दोनों देशों के हितों की पूर्ति करती है. वांग ने सरकारी चाइना डेली को बताया, "प्रत्येक देश में 1.4 अरब से अधिक लोग रहते हैं, इसलिए दोनों पड़ोसियों के बीच विकास सबसे बड़ा साझा कारक होना चाहिए." उन्होंने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग की संभावनाओं को उजागर करने के लिए वार्ता की बहाली महत्वपूर्ण है.

छह सूत्री सर्वसम्मति समझें

लिन द्वारा रेखांकित छह सूत्री सर्वसम्मति में पूर्वी लद्दाख में चार साल से अधिक लंबे सैन्य गतिरोध को समाप्त करने के लिए 21 अक्टूबर के प्रस्ताव का सकारात्मक मूल्यांकन और समझौते को लागू करना जारी रखने की आवश्यकता की पुष्टि शामिल थी. अन्य बिंदुओं में द्विपक्षीय संबंधों के विकास को प्रभावित किए बिना समग्र द्विपक्षीय संबंधों के संदर्भ में सीमा विवाद को उचित रूप से संभालने, द्विपक्षीय संबंधों के स्वस्थ और स्थिर विकास को बढ़ावा देने के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बनाए रखने के लिए उपाय करना जारी रखने के बारे में आम सहमति थी. 2005 में दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधियों द्वारा सहमत राजनीतिक मापदंडों और मार्गदर्शक सिद्धांतों के अनुसार सीमा विवाद के लिए एक निष्पक्ष, उचित और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान की तलाश जारी रखने और सक्रिय उपाय करने की उनकी प्रतिबद्धता की पुष्टि इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाती है. दोनों पक्षों ने सीमा की स्थिति का आकलन किया और सीमा क्षेत्रों के लिए प्रबंधन नियमों को और परिष्कृत करने, विश्वास-निर्माण उपायों को मजबूत करने और सीमा पर स्थायी शांति प्राप्त करने पर सहमति व्यक्त की.वे सीमा पार संचार और सहयोग को बढ़ाना जारी रखने, विशेष प्रतिनिधियों की बैठक तंत्र को और मजबूत करने और अगले साल भारत में विशेष प्रतिनिधियों की वार्ता का एक नया दौर आयोजित करने पर सहमत हुए.
 

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