
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने राज्य में आनंद विवाह अधिनियम को लागू कर दिया है. इसे लेकर एक अधिसूचना भी जारी की गई है. आपको बता दें कि फिलहाल भारत में शादी, तलाक, उत्तराधिकारी और गोद लेने को लेकर अलग-अलग समुदाय में अलग-अलग कानून हैं.
आखिर कैसे होता है आनंद विवाह
आपको बता दें कि आनंद विवाह, हिंदू विवाह से काफी अलग होता है. अगर बात हिंदू धर्म में शादी से पहले शुभ मुहूर्त, कुंडली मिलान कराया जाता है. जबकि आनंद विवाह में ऐसा कुछ नहीं देखा जाता है. अगर बात सिख धर्म की करें तो उसमें विवाह को शुभ काम माना जाता है. जिसका मतलब होता है सुविधानुसार किसी भी दिन गुरुद्वारे में विवाह किया जा सकता है. आनंद विवाह में सिर्फ चार फेरे होते हैं. जिसे लवाण, लावा या फेरे कहा जाता है. आनंद विवाह के पूरी रीति के समय अरदास चलती रहती है. जैसे फेरा खत्म होता है, नव विवाहित जोड़ा गुरु ग्रंथ साहिब और ग्रंथियों के सामने सिर झुकाता है, फिर प्रसाद बनाकर बांटा जाता है और शादी संपन्न हो जाती है.
क्या है आनंद विवाह एक्ट
आनंद मैरिज एक्ट को 1909 में ब्रिटिश काल में बनाया गया था. लेकिन उस वक्त इस एक्ट को लागू नहीं किया जा सका था. साल 2007 में जब सुप्रीम कोर्ट ने सभी धर्मों के लिए मैरिज रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया तो सिख समुदाय ने भी आनंद मैरिज एक्ट को लागू करने की मांग उठाई. इससे पहले तक सिख समुदाय के लोगों की शादियां हिंदू मैरिज एक्ट के तहत रजिस्टर की जाती थीं.
आपको बता दें कि आनंद मैरिज एक्ट में कई बार बदलाव भी हो चुके हैं. 7 जून 2012 को आनंद विवाह अधिनियम 1909 में संशोधन करते हुए दोनों सदनों ने आनंद विवाह संशोधन विधेयक 2012 को पारित किया था. इस अधिनियम के तहत सिख पारंपरिक विवाहों को मान्य करने के लिए आनंद का पंजीकरण अनिवार्य होगा.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं