75वें स्वतंत्रता दिवस (75th Independence Day) पर देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस एनवी रमना (Justice N V Ramana) ने आज संसद (Parliament) के कामकाज की कड़ी आलोचना की है. उन्होंने न केवल संसदीय व्यवधानों पर ध्यान केंद्रित किया, बल्कि सदन के अंदर कानूनों पर बहस के समय में कटौती पर भी ध्यान केंद्रित किया. पहले के समय से इसकी तुलना करते हुए उन्होंने कहा कि जब संसद के दोनों सदन "वकीलों से भरे हुए थे" तब उन्होंने कानूनी बिरादरी से भी सार्वजनिक सेवा के लिए अपना समय देने के लिए कहा था.
CJI रमना ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर सुप्रीम कोर्ट में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, "अगर हम अपने स्वतंत्रता सेनानियों को देखें, तो उनमें से कई कानूनी बिरादरी से भी थे. पहली लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य वकीलों के समुदाय से भरे हुए थे."
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उन्होंने कहा, "दुर्भाग्यपूर्ण है कि अब हम सदनों में क्या देख रहे हैं... तब सदनों में बहस बहुत रचनात्मक थी. मैंने कई वित्तीय विधेयकों पर भी बहस देखी हैं जहां बहुत रचनात्मक बिंदु बनाए गए थे. तब कानूनों पर चर्चा की गई और गहन विचार-विमर्श किया गया. तब बहस के बाद उस कानून पर हर किसी के पास स्पष्ट तस्वीर होती थी."
#WATCH | CJI Ramana says, "If you see debates which used to take place in Houses in those days, they used to be very wise, constructive...Now, sorry state of affairs...There's no clarity in laws. It's creating lot of litigation&loss to govt as well as inconvenience to public..." pic.twitter.com/8Ca80rt8wC
— ANI (@ANI) August 15, 2021
वर्तमान स्थिति को "एक खेदजनक स्थिति" बताते हुए CJI ने कहा कि "अब कोई उचित बहस नहीं हो रही. कानूनों की कोई स्पष्टता नहीं है. हम नहीं जानते कि कानून का उद्देश्य क्या है. यह जनता के लिए एक नुकसान है. यह तब हो रहा है जब वकील और बुद्धिजीवी सदनों में नहीं हैं."
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