कभी-कभी अदालत में याचिकाकर्ता निजी तौर पर पेश होकर अदालत में पक्ष रखने लगते हैं और इस दौरान वो नहीं समझते कि अदालत किस तरीके से कामकाज करती है. यहां तक कि एक लाइन का आदेश लिखने से पहले घंटों सुनवाई करनी पड़ती है. ऐसा ही एक मामला सुप्रीम कोर्ट में CJI की पीठ के सामने आया, जब आम्रपाली मामले में एक घर खरीदार जोगिंदर सिंह अपनी बात कहने लगे और अदालत से एक-दो लाइन का आदेश देने की गुजारिश करने लगे. सीजेआई यूयू ललित ने उनकी बात बड़े संयम से सुनी और आराम से सारी बातों का जवाब दिया.
पीठ और याचिकाकर्ता के बीच काफी देर तक हिंदी में संवाद होता रहा. सीजेआई ललित अपने धैर्य और संयम के लिए जाने जाते हैं. वो कभी कोर्टरूम में ना तो गुस्साते हैं ना ही कभी तेज आवाज में बोलते देखे गए हैं. ये नजारा एक बार फिर देखने को मिला.
दरअसल आम्रपाली मामले की सुनवाई लगभग पूरी हो चुकी थी, इसी बीच ऑनलाइन सुनवाई के लिए जुड़े पेटिशनर इन पर्सन जोगिंदर सिंह ने सीजेआई से सीधी बात करते हुए अपनी परेशानी रखी. सीजेआई काफी देर तक उनको समझाते रहे कि अदालत में जज की कुर्सी पर बैठकर इंसाफ करना इतना आसान नहीं होता, जितना आप सोचते हैं.
चीफ जस्टिस ने कहा कि जब अदालत दो घंटे किसी एक केस को सुनती है तो फिर उसके लिए कई लोगों के केस छूट जाते हैं, जिनमें से कई जोगिंदर सिंह जैसे लोग भी होते होंगे. जोगिंदर सिंह ने कहा कि आप एक लाइन का ऑर्डर दे दें. सीजेआई ललित ने कहा कि इतना आसान नहीं है एक लाइन का ऑर्डर देना. उसके लिए भी सभी पक्षों को सुनना पड़ता है. एक लाइन का आदेश पारित करने के लिए मामले को बारीकी से घंटों सुनना पड़ता है.
सीजेआई जस्टिस ललित ने कहा कि आपकी बातें हमने सुन ली. लेकिन केस से जुड़े लोगों को ईमेल के जरिए बार-बार एक ही बात नहीं कहा करें, और जो भी बात कहनी हो घर खरीदारों के वकीलों के जरिए कोर्ट तक पहुंचाया करें. इस पर जोगिंदर सिंह ने वकीलों पर आरोप लगाते हुए कहा कि वो उनसे एक-एक सवाल पूछने के तीन लाख रुपये मांगते हैं.
सीजेआई ललित ने कहा कि दोनों वकील जोगिंदर सिंह से मिलते रहेंगे. सीजेआई ने कहा कि वो देखते हैं कि हर बार जोगिंदर केस की सुनवाई में जुडे़ रहते हैं. जब जरूरत पड़ेगी वो खुद उनसे बात करेंगे.
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