अयोध्या भूमि विवाद मामले पर ऐतिहासिक फैसले के बाद उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली पीठ एक हफ्ते के भीतर चार अन्य महत्वपूर्ण मामलों पर फैसला सुनाएगी. प्रधान न्यायाधीश गोगोई 17 नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं. पीठ राजनीतिक रूप से संवेदनशील एक अन्य मामले में फैसला सुनाएगी. इसमें 14 दिसंबर 2018 के फैसले पर पुनर्विचार की मांग की गई है, जिसके तहत मोदी सरकार को राफेल लड़ाकू विमान की खरीदारी में क्लीन चिट दे दी गई थी.
चीफ जस्टिस की पीठ एक अन्य याचिका पर अपना निर्णय सुनाएगी, जिसमें राफेल मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ ‘चौकीदार चोर है' संबंधी टिप्पणी के खिलाफ कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर अवमानना कार्रवाई की मांग की गई है. इसके अलावा न्यायमूर्ति गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ केरल में सबरीमाला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने के शीर्ष न्यायालय के फैसले पर पुनर्विचार को लेकर याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाएगी.
सूचना का अधिकार कानून के दायरे में प्रधान न्यायाधीश का पद आता है या नहीं इस संबंध में भी फैसला आना है. न्यायमूर्ति गोगोई की पीठ ने चार अप्रैल को इस संबंध में याचिकाओं पर सुनवाई पूरी कर ली थी.
राफेल मामले में शीर्ष अदालत पूर्व केंद्रीय मंत्रियों- यशवंत सिन्हा और अरूण शौरी तथा कार्यकर्ता-वकील प्रशांत भूषण समेत कुछ अन्य की अर्जी पर सुनवाई करेगी. इन याचिकाओं में पिछले साल के 14 दिसंबर के फैसले पर पुनर्विचार की मांग की गई है जिसमें फ्रांस की कंपनी दसॉल्ट से 36 लड़ाकू विमान खरीदने के केंद्र के राफेल सौदे को क्लीन चिट दी गई थी.
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