चेन्नई:
श्रीलंकाई तमिलों के मुद्दे को लेकर केंद्र की संप्रग सरकार से समर्थन वापस लेने की धमकी देने वाले घटक दल द्रमुक को शांत करने के प्रयासों के तहत वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा है कि यदि वर्ष 2009 के कथित युद्ध अपराधों की स्वतंत्र और विश्वसनीय जांच करानी है तो भारत को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में श्रीलंका के खिलाफ अमेरिकी प्रस्ताव का समर्थन करना चाहिए।
चिदंबरम ने कहा, मेरी भावनाएं, आपकी भावनाएं और सभी तमिलों की भावनाएं यही हैं कि यदि प्रस्ताव में इस प्रकार की मांग होती है तो भारत को समर्थन करना चाहिए और इसके पक्ष में मतदान करना चाहिए। उन्होंने साथ ही उम्मीद जताई कि ‘अच्छी खबर’ मिलेगी और लोगों को 22 मार्च तक इंतजार करना चाहिए। उसी दिन संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में मतदान होगा।
स्थानीय कांग्रेस द्वारा उनके गृह जिले कैराईकुडी में बीती देर रात आयोजित बैठक में चिदम्बरम ने कहा, अच्छी खबर आएगी। तब तक धैर्य रखें। मुझे विश्वास है और मैं आपको यह सकारात्मक संदेश देता हूं। आप इस सकारात्मक संदेश को 22 मार्च तक सभी लोगों तक पहुंचाएं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और कैबिनेट मंत्री के रूप में चिदंबरम के इस पहले बयान को काफी महत्पवूर्ण माना जा रहा है। दो दिन पहले ही द्रमुक प्रमुख एम करुणानिधि ने धमकी दी थी कि यदि भारत ने युद्ध अपराधों की स्वतंत्र जांच कराने के लिए परिषद में अमेरिकी प्रस्ताव में संशोधनों के लिए दबाव नहीं डाला तो वह सरकार से समर्थन वापस ले लेंगे।
इस मुद्दे को लेकर छात्रों द्वारा श्रीलंका विरोधी प्रदर्शनों में तेजी लाए जाने तथा 20 मार्च को प्रस्तावित एक बड़े प्रदर्शन से अवगत चिदंबरम ने कहा कि पार्टीजनों को छात्रों के भीतर भी यह सकारात्मक संदेश फैलाना चाहिए। द्रमुक के इस मुद्दे को लेकर टकराव की मुद्रा में आने के बाद सरकार ने शनिवार को अपने क्षेत्रीय सहयोगी को मनाने का प्रयास किया और इसी क्रम में राज्य मंत्री वी नारायणसामी ने कहा कि तमिलनाडु के लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए अमेरिकी प्रस्ताव पर अंतिम फैसला किया जाएगा।
लोकसभा में 18 सांसदों वाली द्रमुक ने कहा था कि श्रीलंका के खिलाफ संशोधित प्रस्ताव के संबंध में उन्हें अपनी मांग पर अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है। करुणानिधि ने कहा, मैंने जरूरी दबाव डाला है... अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है।
चिदंबरम ने कहा, मेरी भावनाएं, आपकी भावनाएं और सभी तमिलों की भावनाएं यही हैं कि यदि प्रस्ताव में इस प्रकार की मांग होती है तो भारत को समर्थन करना चाहिए और इसके पक्ष में मतदान करना चाहिए। उन्होंने साथ ही उम्मीद जताई कि ‘अच्छी खबर’ मिलेगी और लोगों को 22 मार्च तक इंतजार करना चाहिए। उसी दिन संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में मतदान होगा।
स्थानीय कांग्रेस द्वारा उनके गृह जिले कैराईकुडी में बीती देर रात आयोजित बैठक में चिदम्बरम ने कहा, अच्छी खबर आएगी। तब तक धैर्य रखें। मुझे विश्वास है और मैं आपको यह सकारात्मक संदेश देता हूं। आप इस सकारात्मक संदेश को 22 मार्च तक सभी लोगों तक पहुंचाएं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और कैबिनेट मंत्री के रूप में चिदंबरम के इस पहले बयान को काफी महत्पवूर्ण माना जा रहा है। दो दिन पहले ही द्रमुक प्रमुख एम करुणानिधि ने धमकी दी थी कि यदि भारत ने युद्ध अपराधों की स्वतंत्र जांच कराने के लिए परिषद में अमेरिकी प्रस्ताव में संशोधनों के लिए दबाव नहीं डाला तो वह सरकार से समर्थन वापस ले लेंगे।
इस मुद्दे को लेकर छात्रों द्वारा श्रीलंका विरोधी प्रदर्शनों में तेजी लाए जाने तथा 20 मार्च को प्रस्तावित एक बड़े प्रदर्शन से अवगत चिदंबरम ने कहा कि पार्टीजनों को छात्रों के भीतर भी यह सकारात्मक संदेश फैलाना चाहिए। द्रमुक के इस मुद्दे को लेकर टकराव की मुद्रा में आने के बाद सरकार ने शनिवार को अपने क्षेत्रीय सहयोगी को मनाने का प्रयास किया और इसी क्रम में राज्य मंत्री वी नारायणसामी ने कहा कि तमिलनाडु के लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए अमेरिकी प्रस्ताव पर अंतिम फैसला किया जाएगा।
लोकसभा में 18 सांसदों वाली द्रमुक ने कहा था कि श्रीलंका के खिलाफ संशोधित प्रस्ताव के संबंध में उन्हें अपनी मांग पर अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है। करुणानिधि ने कहा, मैंने जरूरी दबाव डाला है... अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है।
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