विज्ञापन
Story ProgressBack

जो चिकन आप खा रहे वो एंटीबायोटिक से भरा है! जानें इसका असर

चिकन को बीमारी से बचाने, उन्हें बड़ा करने और वजन बढ़ाने के लिए एंटीबायोटिक का धड़ल्ले से उपयोग किया जाता है. ऐसे में इसे खाने से चिकन में मौजूद एंटीबायोटिक शरीर में ट्रांसफर हो जाते हैं.

Read Time: 4 mins
जो चिकन आप खा रहे वो एंटीबायोटिक से भरा है! जानें इसका असर
नई दिल्ली:

आप जो चिकन खरीदते हैं क्या वो एंटीबायोटिक्स से भरा होता है? सेंटर फॉर साइंस एंड इनवायरमेंट (CAE) के एक लैब रिसर्च में ये पाया भी गया है कि चिकन में 40 फीसदी एंटीबायोटिक दवाओं के अवशेष होते हैं. इसका मतलब है कि बीमारी में इलाज के दौरान इसे खाने वालों पर एंटीबायोटिक दवाओं का वैसा असर नहीं होता, जैसा अमूमन होना चाहिए.

'व्हेन द ड्रग्स डोंट वर्क' किताब के लेखक लिखते हैं, जब तक एंटीबायोटिक प्रतिरोध और सुपरबग को लेकर कानून प्रभावी ढंग से लागू नहीं होते, तब तक भोजन के लिए उपयोग किए जाने वाले जानवरों को लेकर अधिक पारदर्शी होने की जरूरत है, कि क्या उन्हें एंटीबायोटिक दवाएं देकर पाला जा रहा है?

आमतौर पर ये माना जाता है कि चिकन प्रोटीन, विटामिन और मिनरल से भरा होता है. लेकिन हाल के कुछ रिसर्च में ये भी पता चला है कि इसे खाने वालों की इम्यून क्षमता कम हो सकती है और उन पर एंटीबायोटिक दवाओं का असर काफी धीमा हो जाता है. हालांकि इसका प्रभाव अलग-अलग इंसान पर अलग-अलग हो सकता है.
Latest and Breaking News on NDTV

चिकन को बीमारी से बचाने, उन्हें बड़ा करने और वजन बढ़ाने के लिए एंटीबायोटिक का धड़ल्ले से उपयोग किया जाता है. ऐसे में इसे खाने से चिकन में मौजूद एंटीबायोटिक शरीर में ट्रांसफर हो जाते हैं, जो अपनी जगह बना लेते हैं और इंसानी शरीर इसका आदी हो जाता है. वहीं इंसान के बीमार होने पर एंटीबायोटिक दवाएं जल्द असर नहीं करतीं और उसे हाई डोज दिया जाता है, जो शरीर के लिए हानिकारक हो सकता है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट में भी दावा किया गया है कि दुनिया भर में कोविड-19 महामारी के दौरान एंटीबायोटिक दवाओं के अंधाधुंध उपयोग से एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस का स्तर तेजी से बढ़ा है. डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट में पाया गया कि लगभग 75 प्रतिशत रोगियों का इलाज एंटीबायोटिक दवाओं से किया गया, भले ही वे असर करती हों या नहीं, हालांकि अस्पताल में भर्ती कोविड के केवल 8 प्रतिशत रोगियों को बैक्टीरियल इन्फेक्शन से लड़ने के लिए एंटीबायोटिक दवाओं की आवश्यकता थी.
Latest and Breaking News on NDTV

एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्‍याओं में से एक है और ये लगभग 1.27 मिलियन मौतों के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार था. 2019 में इससे दुनिया भर में 4.95 मिलियन मौतें हुईं.

रिपोर्ट में कहा गया, ''कोविड-19 महामारी के दौरान एंटीबायोटिक का उपयोग बढ़ गया. 2020 और 2022 के बीच पूर्वी भूमध्यसागरीय और अफ्रीकी क्षेत्रों में इसमें 83 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में 33 प्रतिशत की वृद्धि हुई.''

इसमें कहा गया, "एंटीबायोटिक के उपयोग की उच्चतम दर गंभीर कोविड-19 वाले रोगियों में देखी गई, जिसका वैश्विक औसत 81 प्रतिशत है. मध्यम मामलों में, अफ्रीकी क्षेत्र (79 प्रतिशत) में सबसे अधिक उपयोग वाले क्षेत्रों में काफी भिन्नता थी.''

Latest and Breaking News on NDTV

एएमआर के लिए निगरानी, सबूत और लेबोरेटरी स्ट्रेंथनिंग डिवीजन के लिए डब्ल्यूएचओ यूनिट प्रमुख डॉ. सिल्विया बर्टाग्नोलियो ने कहा, ''जब किसी मरीज को एंटीबायोटिक्स की आवश्यकता होती है तो लाभ अक्सर साइड इफेक्ट्स या एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस से जुड़े जोखिमों से अधिक होता है. हालांकि, जब वे अनावश्यक होते हैं तो जोखिम पैदा करते हुए कोई लाभ नहीं देते और उनका उपयोग एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस को बढ़ावा देता है.''
Latest and Breaking News on NDTV

"ये डेटा रोगियों और आबादी के लिए अनावश्यक नकारात्मक परिणामों को कम करने के लिए एंटीबायोटिक दवाओं के तर्कसंगत उपयोग में सुधार की मांग करता है."

ये निष्कर्ष जनवरी 2020 और मार्च 2023 के बीच 65 देशों के अस्पतालों में भर्ती कराए गए 4,50,000 मरीजों के डेटा पर आधारित है, जैसा कि डब्ल्यूएचओ ग्लोबल क्लिनिकल प्लेटफॉर्म फॉर कोविड-19 में दर्ज किया गया है. 

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Our Offerings: NDTV
  • मध्य प्रदेश
  • राजस्थान
  • इंडिया
  • मराठी
  • 24X7
Choose Your Destination
Previous Article
NEET-UG विवाद : नई याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई दो हफ्ते तक टाली
जो चिकन आप खा रहे वो एंटीबायोटिक से भरा है! जानें इसका असर
मुंबई के ऐतिहासिक महालक्ष्मी रेसकोर्स के अस्तित्व का संघर्ष क्या अब खत्म होगा?
Next Article
मुंबई के ऐतिहासिक महालक्ष्मी रेसकोर्स के अस्तित्व का संघर्ष क्या अब खत्म होगा?
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com
;