नई दिल्ली:
'ये बिल्कुल निश्चित है कि अगर कोई पुख़्ता सुबूतों के साथ मिलता है तो उसे बख्शा नहीं जायेगा'। ये बयान छत्तीसगढ़ में नागरिक आपूर्ति निगम के करोड़ों रुपये के घोटाले के भंडाफोड़ के बाद एंटी करप्शन ब्यूरो के प्रमुख मुकेश गुप्ता ने दिया। लेकिन शनिवार को सुप्रीम कोर्ट के आगे कम से कम चार याचिकायें ये मांग कर रही हैं कि ये जांच एसीबी से नहीं बल्कि सीबीआई से कराई जाये या फिर इसके लिये सुप्रीम कोर्ट अपनी ही निगरानी में एसआईटी गठित करे।
सुप्रीम कोर्ट में याचिकर्ताओं में से एक राकेश चौबे कहते है कि एंटी करप्शन ब्यूरो राजनीतिक दबाव में है। वह बड़े लोगों पर हाथ नहीं डालना चाहती। इसलिये छापों में मिली डायरियों के पन्नों से छेड़ छाड़ की गई है।
लेकिन सवाल ये है कि क्या डायरियों में मिली प्रविष्टियां या एंट्री के दम पर ही दोषियों को पकड़ा जा सकता है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजीत जोगी कहते हैं, 'सिर्फ डायरियों में प्रविष्टियों के आधार पर तो दोष साबित करना मुश्किल है क्योंकि अदालतों में आजकल डायरी में हुई एंट्री को कई बार विश्वसनीय और एडमिसिबिल एवीडेंस नहीं माना जाता लेकिन हां इस मामले में कई और गंभीर बातें भी सामने आई हैं। जैसे एक आदमी जिसकी आमदनी बहुत अधिक नहीं थी उसके पास से दो से तीन करोड़ रुपये मिले जो काफी गंभीर है।'
एंटी करप्शन ब्यूरो को चीफ मुकेश गुप्ता ने एनडीटीवी इंडिया से इस बारे में बात नहीं कि लेकिन वह पहले ही कह चुके हैं कि किसी को बख्शा नहीं जायेगा। मुकेश गुप्ता ने घोटाले के भंडाफोड़ के बाद पत्रकारों से कहा थी, 'अभी जो जांच का स्तर है वो काफी अलग है। हम लोग गहराइयों में जा रहे हैं ताकि किसी तरह का बचाव न मिल पाये।'
लेकिन सवाल और भी हैं। ये पूरा मामला चावल के घोटाले से शुरू हुआ। फिर नमक में भारी गड़बड़ी की बात सामने आई। उसके बाद शक्कर और मक्का में भी घोटाले की बात कही जा रही है। सुप्रीम कोर्ट में निष्पक्ष जांच की गुहार लगा रहे वीरेंद्र पांडे कहते हैं कि लाखों फर्ज़ी राशन कार्ड बनाने का मामला भी इसमें शामिल है और इसकी जांच भी होनी चाहिये।
साफ है कि छत्तीसगढ़ के पीडीएस घोटाले में कई परतें और इसके कई पहलू हैं जिनकी जांच होनी है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट में अगले बुधवार को हो रही सुनवाई काफी अहम हो जाती है।
सुप्रीम कोर्ट में याचिकर्ताओं में से एक राकेश चौबे कहते है कि एंटी करप्शन ब्यूरो राजनीतिक दबाव में है। वह बड़े लोगों पर हाथ नहीं डालना चाहती। इसलिये छापों में मिली डायरियों के पन्नों से छेड़ छाड़ की गई है।
लेकिन सवाल ये है कि क्या डायरियों में मिली प्रविष्टियां या एंट्री के दम पर ही दोषियों को पकड़ा जा सकता है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजीत जोगी कहते हैं, 'सिर्फ डायरियों में प्रविष्टियों के आधार पर तो दोष साबित करना मुश्किल है क्योंकि अदालतों में आजकल डायरी में हुई एंट्री को कई बार विश्वसनीय और एडमिसिबिल एवीडेंस नहीं माना जाता लेकिन हां इस मामले में कई और गंभीर बातें भी सामने आई हैं। जैसे एक आदमी जिसकी आमदनी बहुत अधिक नहीं थी उसके पास से दो से तीन करोड़ रुपये मिले जो काफी गंभीर है।'
एंटी करप्शन ब्यूरो को चीफ मुकेश गुप्ता ने एनडीटीवी इंडिया से इस बारे में बात नहीं कि लेकिन वह पहले ही कह चुके हैं कि किसी को बख्शा नहीं जायेगा। मुकेश गुप्ता ने घोटाले के भंडाफोड़ के बाद पत्रकारों से कहा थी, 'अभी जो जांच का स्तर है वो काफी अलग है। हम लोग गहराइयों में जा रहे हैं ताकि किसी तरह का बचाव न मिल पाये।'
लेकिन सवाल और भी हैं। ये पूरा मामला चावल के घोटाले से शुरू हुआ। फिर नमक में भारी गड़बड़ी की बात सामने आई। उसके बाद शक्कर और मक्का में भी घोटाले की बात कही जा रही है। सुप्रीम कोर्ट में निष्पक्ष जांच की गुहार लगा रहे वीरेंद्र पांडे कहते हैं कि लाखों फर्ज़ी राशन कार्ड बनाने का मामला भी इसमें शामिल है और इसकी जांच भी होनी चाहिये।
साफ है कि छत्तीसगढ़ के पीडीएस घोटाले में कई परतें और इसके कई पहलू हैं जिनकी जांच होनी है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट में अगले बुधवार को हो रही सुनवाई काफी अहम हो जाती है।
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