छत्तीसगढ़ शराब घोटाला: ईडी ने दो और गिरफ्तारियां की, अदालत ने महापौर के भाई की हिरासत बढ़ाई

ईडी ने बताया कि रायपुर में धन शोधन निवारण अधिनियम, (पीएमएलए) की एक विशेष अदालत ने पुरोहित और ढिल्लों को क्रमश: पांच और चार दिनों के लिए ईडी की हिरासत में भेज दिया. रायपुर के महापौर और कांग्रेस नेता एजाज ढेबर के बड़े भाई अनवर ढेबर पिछले सप्ताह इस मामले में एजेंसी द्वारा गिरफ्तार किए गए पहले व्यक्ति हैं.

छत्तीसगढ़ शराब घोटाला: ईडी ने दो और गिरफ्तारियां की, अदालत ने महापौर के भाई की हिरासत बढ़ाई

रायपुर/नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने छत्तीसगढ़ में दो हजार करोड़ रुपए के कथित शराब घोटाला मामले में एक होटल व्यवसायी और शराब कारोबारी को गिरफ्तार किया है और 28 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की है. ईडी ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी. केंद्रीय जांच एजेंसी ने एक बयान में कहा है कि छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में स्थित गिरिराज होटल के प्रमोटर नितेश पुरोहित को बुधवार को गिरफ्तार किया गया, जबकि त्रिलोक सिंह ढिल्लों उर्फ पप्पू ढिल्लों को बृहस्पतिवार को गिरफ्तार किया गया.

ईडी ने बताया कि रायपुर में धन शोधन निवारण अधिनियम, (पीएमएलए) की एक विशेष अदालत ने पुरोहित और ढिल्लों को क्रमश: पांच और चार दिनों के लिए ईडी की हिरासत में भेज दिया. रायपुर के महापौर और कांग्रेस नेता एजाज ढेबर के बड़े भाई अनवर ढेबर पिछले सप्ताह इस मामले में एजेंसी द्वारा गिरफ्तार किए गए पहले व्यक्ति हैं.

अनवर ढेबर की हिरासत अवधि बुधवार को समाप्त होने पर जांच एजेंसी ने उसे पीएमएलए अदालत के सामने पेश किया था. अदालत ने उसकी हिरासत की अवधि पांच दिनों के लिए बढ़ा दी है. अनवर के वकील राहुल त्यागी ने बताया कि अदालत ने जांच एजेंसी को निर्देश दिया है कि आरोपी को किसी भी तरह से परेशान न किया जाए. उन्होंने कहा कि अदालत ने एजेंसी को यह भी निर्देश दिया है कि आरोपी को किसी तरह की यातना दी गई या उत्पीड़न किया गया है, यह पता लगाने के लिए पूछताछ की ऑडियो और वीडियो रिकॉर्डिंग को सुरक्षित रखा जाए.

इस बीच छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बृहस्पतिवार को ईडी पर आरोप लगाया कि उन्हें कथित शराब घोटाले में फंसाने की कोशिश की जा रही है. रायपुर में संवाददाताओं से बातचीत के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा था कि ईडी भारतीय जनता पार्टी के एजेंट के रूप में काम कर रही है.

एजेंसी ने बुधवार को अदालत को बताया कि पुरोहित कथित रूप से ‘अनवर ढेबर के अवैध कार्यों के बारे में जानता था और अनिल टुटेजा (छत्तीसगढ़ कैडर के आईएएस अधिकारी) और एक अन्य व्यक्ति के अपराध में स्वेच्छा से उनकी सहायता करता था.' बयान में कहा गया है कि पुरोहित अनवर ढेबर का करीबी सहयोगी था और अवैध रूप से एकत्र किए नकदी के प्रबंधन और उसे लाने ले जाने में शामिल था. 'वह अनवर ढेबर के निर्देशानुसार नकदी ले जा रहा था.'

वहीं ढिल्लों की भूमिका के बारे में कहा गया है कि वह धन शोधन के इस 'क्लासिक' मॉडल के माध्यम से अपराध की आय का 'प्रमुख लाभार्थी' था. ईडी ने दावा किया है 'उन्होंने स्वेच्छा से और जानबूझकर अपने बैंक खातों और फर्मों को बड़ी मात्रा में अपराध की आय के लिए उपयोग करने की अनुमति दी. उन्होंने (ढिल्लों) व्यापारिक लेन-देन की आड़ में प्रमुख देशी शराब आपूर्तिकर्ताओं से रिश्वत ली और पैसे अपने पास रख लिए. दिखाए गए व्यापारिक लेनदेन पूरी तरह से फर्जी पाए गए हैं.'

बयान में कहा गया है कि ढिल्लों की फर्मों के नाम पर 27.5 करोड़ रुपये की सावधि जमा के अलावा 52 लाख रुपये की 'बेहिसाब' नकदी जब्त की गई है. ईडी ने आरोप लगाया है कि छत्तीसगढ़ में बेची गई शराब की ‘‘हर बोतल'' पर ‘‘अवैध रूप'' से धन एकत्रित किया गया और अनवर ढेबर की अगुवाई वाले शराब सिंडिकेट द्वारा 2,000 करोड़ रुपये का भ्रष्टाचार और धनशोधन किए जाने के सबूत एकत्र किये गए हैं.

निदेशालय ने कहा है कि उसने आयकर विभाग की ओर से भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी टुटेजा और अन्य के खिलाफ दिल्ली की एक अदालत में दाखिल आरोपपत्र के आधार पर धनशोधन का एक मामला दर्ज किया था. यह भी आरोप लगाया गया है कि सीएसएमसीएल (शराब की खरीद और बिक्री के लिए राज्य निकाय) से खरीदे गए प्रति शराब पेटी के आधार पर राज्य में डिस्टिलरों से 'रिश्वत' एकत्र की गई थी और देशी शराब को ऑफ-द-बुक बेचा जा रहा था. एजेंसी ने आरोप लगाया है, 'इस (देशी शराब) मामले में एक भी रुपया सरकारी खजाने तक नहीं पहुंचा और बिक्री की पूरी रकम सिंडिकेट की जेब में चली गई. अवैध शराब केवल सरकारी दुकानों से बेची जाती थी.'

एजेंसी ने दावा किया है कि डिस्टिलर्स से 'रिश्वत' ली गई ताकि उन्हें कार्टेल बनाने और बाजार में निश्चित हिस्सेदारी रखने की अनुमति मिल सके. ईडी ने कहा, 'यह कार्टेल विशेष रूप से छत्तीसगढ़ के लिए (शराब का) आपूर्तिकर्ता था,' राज्य में विदेशी शराब की बिक्री से भी 'कमीशन' मिलता था.

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