केंद्र के पास अल्पसंख्यकों पर हमले का कोई डाटा नहीं है. ऐसा इसलिए क्योंकि किसी की राज्य की विधि-व्यवस्था और उसे जुड़े मामलों का रिकॉर्ड रखना राज्य सरकार का जिम्मा होता है. साथ ही किसी खास समुदाय के लोगों पर हमले का आंकड़ा केंद्र के द्वारा विशेष रूप से मेंनटेन नहीं किया जाता है. ये राज्य सरकार का काम है. उक्त बातें अल्पसंख्यक मंत्रालय का जिम्मा संभाल रहीं केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी ने राज्यसभा में बुधवार को कहा. वो राज्यसभा सांसद अब्दुल वहाब के सवाल का जवाब दे रही थीं.
इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के नेता वहाब ने पूछा था कि क्या बीते कुछ सालों में अल्पसंख्यक सुमदाय के लोगों पर हमले की घटना बढ़ गई है? अगर ऐसा है तो केंद्र द्वारा उनकी सुरक्षा के लिए क्या किया गया है? केरल से राज्यसभा सांसद ने पूछा कि क्या केंद्र के पास ऐसा कोई डाटा है, जिससे अल्पसंख्यकों और उनसे जुड़े संस्थानों पर हुए हमले की घटनाओं का पता चल सके. अगर ऐसा है तो केंद्र उसे पेश करे.
इस सवाल के लिखित उत्तर में संबंधित केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी ने कहा, " भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूचि के अनुसार पब्लिक ऑडर और पुलिस राज्य के विषय हैं. ऐसे में कानून और व्यवस्था बनाए रखना, अल्पसंख्यकों सहित सभी नागरिकों के खिलाफ अपराधों के पंजीकरण और अभियोजन की जिम्मेदारी संबंधित राज्य सरकारों की होती है. इसलिए, अलग-अलग समुदाय के खिलाफ हमलों के संबंध में विशिष्ट डेटा केंद्रीय स्तर पर नहीं रखा जाता है."
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत सरकार ने देश में सांप्रादायिक सौहाद्र और शांति बनी रहे इस बाबत सुसंगत ऐडवाइजरी जारी की है. साथ ही सरकार ये मोनिटर भी करती है कि समाज में शांति व्यवस्था स्थापित रहे. उन्होंने कहा, " विधि व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने के लिए राज्य सरकार के आग्रह पर केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल को राज्यों में तैनात किया जाता है. ताकि वे स्थानीय पुलिस की मदद कर सकें."
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