पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बाग़पत के टिकरी क़स्बा के गन्ना किसान रामबीर राठी की आत्महत्या और इलाके में गन्ना किसानों के लगातार बिगड़ते हालात पर केंद्रीय कृषिमंत्री राधा मोहन सिंह का कहना है कि इस मुद्दे पर केंद्र अपना काम कर चुका है और राज्य सरकार को इस मामले में कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।
सोमवार को एनडीटीवी-इंडिया पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसानों की ख़ुदकुशी और चीनी मिलों की तरफ से गन्ने का हज़ारों करोड़ का बकाया न मिलने से बिगड़ते आर्थिक पर एक ख़ास रिपोर्ट दिखाई गई थी जिसके बाद मंगलवार को एनडीटीवी-इंडिया से ख़ास बातचीत करते हुए कृषिमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने मिलों को करीब 7,000 करोड़ का ब्याज रहित लोन दिलवाया जिससे किसानों को मिलें उनका पैसा दे सकें।
कृषिमंत्री के मुताबिक़ देश में गन्ना किसानों का चीनी मिलों पर करीब 11,000 करोड़ रुपये का बकाया है, जिसमें से अकेले उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों पर करीब 8,000 करोड़ रुपये गन्ना किसानों के बकाया हैं।
लेकिन, बात फिर वहीं आती है कि जब कोई कदम असर न दिखाए तो किसान क्या करे? और किसके पास जाए? क्योंकि जब ज़मीन पर कोई असर होता नहीं दिखे तो क्या फायदा है, किसी दलील या बहस का?
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