विज्ञापन
This Article is From Feb 15, 2017

केन्द्र ने हाईकोर्टों से कहा, विचाराधीन कैदियों की रिहाई के बारे में निर्णय लें

केन्द्र ने हाईकोर्टों से कहा, विचाराधीन कैदियों की रिहाई के बारे में निर्णय लें
प्रतिकात्मक फोटो
नई दिल्ली: देश की जेलों में बंद विचाराधीन कैदियों की बढ़ती संख्या पर चिंता व्यक्त करते हुए केन्द्र सरकार ने हाईकोर्ट से अनुरोध किया है कि उनकी संभावित सजा की आधी अवधि पूरा करने के बाद उनकी रिहाई के लिए स्वत: कार्रवाई करें. दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 434-ए के मुताबिक अगर कोई विचाराधीन कैदी कथित अपराध के लिए मिलने वाली संभावित सजा की आधी अवधि पूरी कर चुका है तो उसे हो गया हो तो उसे जमानतदार या बिना जमानतदार के ही जमानत दी जा सकती है. कानून का यह प्रावधान दण्ड के रूप में यह मौत की निर्दिष्ट की गयी सजा वाले मामलों पर लागू नहीं है.

कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने हाल ही में 24 उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों को लिखे एक पत्र में कहा है कि उन्हें इस तरह के सभी मामलों की समीक्षा करने और उनकी रिहाई के लिए स्वत: संज्ञान लेने के वास्ते जिला न्यायपालिका को सलाह देनी चाहिए. उन्होंने लिखा है कि विचाराधीन कैदियों की लगातार प्रभावी रिहाई के लिए अगर उच्च न्यायालय ‘विचाराधीन कैदियों की समीक्षा समिति तंत्र’ बनाती है तो मैं उसका आभारी रहूंगा ताकि विचाराधीन कैदियों के मूलभूत मानवाधिकारों का उल्लंघन नहीं हो.

सितंबर 2014 में उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि राज्यों को सीआरीपीसी की धारा 436 ए सीमा के अन्तर्गत आने वाले इस तरह के सभी विचाराधीन कैदियों की रिहाई सुनिश्चित करना चाहिए.

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुमानों के मुताबिक, जेलों में बंद कैदियों में 67 प्रतिशत विचाराधीन कैदी हैं जिन पर अभी तक कोई अपराध साबित नहीं हुआ है.

82.4 प्रतिशत के साथ बिहार के जेलों में बंद विचाराधीन कैदियों की संख्या सर्वाधिक है. इसके जम्मू कश्मीर में 81.5, ओडिशा में 78.8, झारखंड में 77.1 और दिल्ली में 76.7 प्रतिशत है. केन्द्रीय कानून मंत्री और केन्द्रीय गृह मंत्री हमेशा उच्च न्यायालयों और राज्य के सरकारों को विचाराधीन कैदियों की स्थिति की समीक्षा को लेकर पत्र लिखती रही है.

 

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
विचाराधीन कैदी, हाई कोर्ट, मोदी सरकार, केंद्र सरकार, Undertrials, High Court, Narendra Modi Government, Central Government
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com