RBI और केंद्र के बीच का विवाद
नई दिल्ली:
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और केंद्र सरकार के बीच जारी खींचतान फिलहाल थमती नहीं दिख रही है. हालांकि शुक्रवार को सरकार और आरबीआई (RBI) के बीच आपसी सुलह की बात कही जा रही थी लेकिन केंद्र सरकार (Central Government) के नए प्रस्ताव के बाद इसकी संभावना अब कम ही दिख रही है. दरअसल, केंद्र सरकार ने आरबीआई (RBI) पर निगरानी रखने के लिए नियमों में बदलाव का नया प्रस्ताव रखने का मन बनाया है. जानकारों के अनुसार अगर ऐसा होता है तो यह जहां एक तरफ आरबीआई (RBI) और केंद्र सरकार के बीच तनातनी को और बढ़ाएगा वहीं भारत जैसी तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था में निवेशकों के विश्वास को भी कम कर सकता है. केंद्र सरकार (Central Government) ने सिफारिश की है कि आरबीआई बोर्ड के मसौदे के नियम वित्तीय स्थिरता, मौद्रिक नीति संचरण और विदेशी मुद्रा प्रबंधन सहित अन्य कार्यों की निगरानी के लिए पैनल स्थापित करने में सक्षम हैं.
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सूत्रों के अनुसार इसका साफ तौर पर मतलब यह हुआ कि केंद्र सरकार की मंशा नियामक बोर्ड को और सशस्त बनाने की है. गौरतलब है कि आगामी सोमवार को सेंट्रल बैंकों की बैठक होनी है. केंद्र सरकार और आरबीआई के बीच चल रही खींचतान का मसला ऐसा एकलौता मामला नहीं है. इससे पहले अमेरिका और तुर्की में भी इसी तरह से सरकार और प्रमुख बैंक के बीच तनाव की स्थिति पहले बनी रही थी. ऐसी स्थिति तभी उत्पन्न होती है जब बैंकों के पास क्रेडिट की खासी कमी हो.
यह भी पढ़ें: केंद्र सरकार और आरबीआई के बीच विवाद का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट
केंद्र सरकार का नया प्रस्ताव एक तरह से आरबीआई और केंद्र सरकार के बीच चल रहे तनाव को उजागर करता है. आगामी सोमवार को होने वाली बैठक में अधिशेष निधियों का हस्तांतरण, खराब ऋण मानदंडों को आसान बनाना और शेडो बैंकिंग क्षेत्र में तरलता सुनिश्चि करने जैसे अहम मुद्दों पर बात होगी. वहीं इन सब के बीच केंद्र सरकार का कहना है कि सेंट्रल बैंक अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में किसी तरह का सहयोग नहीं दे रहे हैं. वहीं आरबीआई का कहना है कि फंड ट्रांसफर अपनी आजादी को कमजोर कर सकता है और बाजारों को नुकसान भी पहुंचा सकता है.
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गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही केंद्र सरकार औरभारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के बीच हुए विवाद का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था. इस मामले में एक जनहित याचिका दाखिल की गई थी. इसमें कहा गया है कि सरकार को RBI के मामले में दखल नहीं देना चाहिए. सरकार के पास इसका अधिकार नहीं है. याचिका एडवोकेट एमएल शर्मा ने दायर की है. याचिकाकर्ता ने तत्काल सुनवाई की भी मांग की है. कोर्ट ने कहा 'आपने अभी याचिका दायर की है, हम देखेंगे.' वहीं कांग्रेस ने सोमवार को आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी सरकार नोटबंदी की ‘त्रासदी' पर पर्दा डालने और चुनावी मौसम में रेवड़ियां बांटने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) का खजाना लूटने को उतारू है.
VIDEO: रिजर्व बैंक- सरकार के बीच का विवाद अब कोर्ट में.
पार्टी ने यह भी दावा किया कि नोटबंदी की वजह से आरबीआई के जरिए सरकार को होने वाले लाभ में 50 फीसदी से अधिक की कमी आई. कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मोदी द्वारा पैदा की गई त्रासदी (नोटबंदी) से देश की जीडीपी को 1.5 फीसदी का नुकसान हुआ और आरबीआई की संस्थागत स्वायत्तता भी कमतर हुई. अब प्रधानमंत्री मोदी ने नोटबंदी भाग-2 की योजना बनाई है जिससे एक फिर से भारत की जीडीपी दो फीसदी कम हो जाएगी.'
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सूत्रों के अनुसार इसका साफ तौर पर मतलब यह हुआ कि केंद्र सरकार की मंशा नियामक बोर्ड को और सशस्त बनाने की है. गौरतलब है कि आगामी सोमवार को सेंट्रल बैंकों की बैठक होनी है. केंद्र सरकार और आरबीआई के बीच चल रही खींचतान का मसला ऐसा एकलौता मामला नहीं है. इससे पहले अमेरिका और तुर्की में भी इसी तरह से सरकार और प्रमुख बैंक के बीच तनाव की स्थिति पहले बनी रही थी. ऐसी स्थिति तभी उत्पन्न होती है जब बैंकों के पास क्रेडिट की खासी कमी हो.
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गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही केंद्र सरकार औरभारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के बीच हुए विवाद का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था. इस मामले में एक जनहित याचिका दाखिल की गई थी. इसमें कहा गया है कि सरकार को RBI के मामले में दखल नहीं देना चाहिए. सरकार के पास इसका अधिकार नहीं है. याचिका एडवोकेट एमएल शर्मा ने दायर की है. याचिकाकर्ता ने तत्काल सुनवाई की भी मांग की है. कोर्ट ने कहा 'आपने अभी याचिका दायर की है, हम देखेंगे.' वहीं कांग्रेस ने सोमवार को आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी सरकार नोटबंदी की ‘त्रासदी' पर पर्दा डालने और चुनावी मौसम में रेवड़ियां बांटने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) का खजाना लूटने को उतारू है.
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पार्टी ने यह भी दावा किया कि नोटबंदी की वजह से आरबीआई के जरिए सरकार को होने वाले लाभ में 50 फीसदी से अधिक की कमी आई. कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मोदी द्वारा पैदा की गई त्रासदी (नोटबंदी) से देश की जीडीपी को 1.5 फीसदी का नुकसान हुआ और आरबीआई की संस्थागत स्वायत्तता भी कमतर हुई. अब प्रधानमंत्री मोदी ने नोटबंदी भाग-2 की योजना बनाई है जिससे एक फिर से भारत की जीडीपी दो फीसदी कम हो जाएगी.'
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