केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक जुलाई से पूरे भारत में लागू होने वाले तीन नये आपराधिक कानून के प्रभावी कार्यान्वयन के उद्देश्य से पुलिसकर्मियों को प्रशिक्षण दिलाने के लिए सभी राज्यों से मदद मांगी है. तीन नये आपराधिक कानून भारत में औपनिवेशिक परम्परा से ऐसी न्याय व्यवस्था के बीच संक्रमण का प्रतीक हैं, जिसमें सभी की न्याय तक पहुंच संभव हो सके.
सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) को भेजे गए एक संदेश में गृह मंत्रालय ने कहा कि आधुनिक समय और समसामयिक प्रौद्योगिकियों के साथ तालमेल बिठाते हुए कई नए प्रावधानों को नए आपराधिक कानूनों में शामिल किया गया है. इन कानूनी प्रावधानों का लक्ष्य पुलिस एवं न्याय व्यवस्था में सुगमता लाना है.
गृह मंत्रालय ने अपने पत्र में कहा, 'नए कानून औपनिवेशिक विरासत से ऐसी न्याय प्रणाली की ओर संक्रमण है, जो सभी के लिए न्याय तक पहुंच के सिद्धांत पर आधारित है... यह भारत सरकार का प्रयास है कि सभी रैंक के पुलिस और जेल अधिकारियों से संपर्क किया जाए. देश में सकारात्मक और उन्नत बदलावों के बारे में उन्हें अवगत कराया जाएगा, जिससे उन्हें विभिन्न नए प्रावधानों के बुनियादी ज्ञान और समझ मिल सके. इससे उन्हें इनको (तीनों नये कानूनों को) विश्वास के साथ सही तरह से लागू करने में मदद मिलेगी.'
गृह मंत्रालय ने कहा कि वह पुलिस और जेल अधिकारियों को नए कानूनों के बारे में शिक्षित करने का प्रयास कर रहा है. पुलिस अनुसंधान और विकास ब्यूरो (बीपीआर एंड डी) ने नए आपराधिक कानूनों पर विभिन्न स्तरों के पुलिस और जेल कर्मियों के लिए प्रशिक्षण माड्यूल एवं अन्य विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रम विकसित किए हैं.
गृह मंत्रालय ने कहा कि इन पाठ्यक्रमों को पुलिस और जेल कर्मियों के लिए उपलब्ध कराने के मकसद से 'एकीकृत सरकारी ऑनलाइन प्रशिक्षण' (आईजीओटी) पोर्टल के साथ एकीकरण भी पूरा कर लिया गया है. इन प्रशिक्षण मॉड्यूल को बीपीआर एंड डी द्वारा सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के साथ साझा किया गया है, जिससे वे अपने पुलिस प्रशिक्षण संस्थानों में प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने में सक्षम हो गए हैं.
गृह मंत्रालय ने कहा, 'नए कानूनों के बारे में हमारे पुलिस और जेल अधिकारियों (सभी रैंकों के - पदानुक्रमित सीढ़ी में अंतिम व्यक्ति तक पहुंचने का लक्ष्य) को शिक्षित करने की कवायद को और बढ़ाने और मजबूत करने के लिए, हम इस प्रयास में आपकी सक्रिय भागीदारी चाहते हैं. हम आपसे अनुरोध करते हैं कि आप अपने राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में सभी पुलिस एवं जेल कर्मियों को व्यापक प्रशिक्षण देने के लिए समुचित प्रबंध करें ताकि कोई भी व्यक्ति पीछे नहीं छूट जाए.''
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