मणिपुर में शांति बहाली के लिए केंद्र अपना रही पीछे के रास्ते से बातचीत का तरीका

गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि इस रणनीति से सरकार को कुछ सफलता मिली है. कुकी समुदाय के द्वारा राष्ट्रीय राजमार्ग 2 की नाकाबंदी हटा ली गई है.

मणिपुर में शांति बहाली के लिए केंद्र अपना रही पीछे के रास्ते से बातचीत का तरीका

नई दिल्ली:

मणिपुर में कई जातीय समूहों द्वारा राज्यपाल के नेतृत्व वाली शांति समिति का बहिष्कार करने के बाद, केंद्र हिंसा प्रभावित राज्य में सामान्य स्थिति हासिल करने की कोशिश करने के लिए कुकी और मैतेई समुदायों के साथ बैकचैनल बातचीत कर रहा है. केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि इस रणनीति से कुछ सफलता मिली है, विशेष रूप से यह सुनिश्चित करके कि रविवार को कुकी समूहों द्वारा राष्ट्रीय राजमार्ग 2 की नाकाबंदी हटा ली गई. वे अब मैतेई समुदाय की तरफ से अगली पहल की उम्मीद कर रहे हैं.

गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि "केंद्र दोनों समुदायों के विभिन्न समूहों के साथ बैकचैनल बातचीत कर रहा है और इससे हमें वांछित परिणाम मिल रहे हैं,” हालांकि, अधिकारियों के लिए एक बड़ी चिंता यह है कि 3 मई को हिंसा शुरू होने के बाद से से लूटे गए 5,000 हथियारों में से केवल एक तिहाई ही वापस किए गए हैं.

अधिकारी ने कहा कि केंद्र शांति की कोशिश करने और बातचीत करने के लिए समुदायों के बीच कॉमन मुद्दों पर बात कर रही है.  “तलहटी और पहाड़ी क्षेत्रों से कुछ हिंसा और झड़पों की सूचना मिल रही है, लेकिन इन क्षेत्रों के बीच बफर जोन बनाने का निर्णय लिया गया है. संवेदनशील क्षेत्रों में तलहटी में कुछ ऐसे क्षेत्र बनाए गए हैं और पर्याप्त बल भी तैनात किए गए हैं, अधिकारी ने कहा कि केंद्र संचार में तेजी लाने और मुद्दों के समाधान के लिए सेक्टर-वार बलों की तैनाती कर रहा है और क्षेत्रों का सीमांकन कर रहा है.

केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल की कम से कम 114 कंपनियां मणिपुर के विभिन्न सेक्टरों में तैनात हैं और सेना और असम राइफल्स की भी इतनी ही टुकड़ियां विभिन्न जिलों में गश्त कर रही हैं. राष्ट्रीय राजमार्ग 2 से अवरोध हटाने के निर्णय की घोषणा रविवार को कुकी-ज़ो नागरिक समाज संगठनों और यूनाइटेड पीपुल्स फ्रंट और कुकी नेशनल ऑर्गनाइजेशन के प्रतिनिधियों वाली 19 सदस्यीय टीम द्वारा की गई. जो 24 कुकी विद्रोही समूहों का समूह है.

गृह मंत्रालय के अधिकारी ने बताया कि "30 जून को असम के काजीरंगा में इन समूहों और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों के बीच बैठकें हुईं.” असम राइफल्स की एक हालिया रिपोर्ट बताती है कि जिन कैंपों में विद्रोही समूह तैनात हैं, वहां कैडर और हथियार दोनों का हिसाब-किताब लगभग पूरा हो चुका है. मणिपुर के एक अधिकारी ने कहा, "अभ्यास लगभग पूरा हो चुका है और बड़े पैमाने पर इन शिविरों में हथियारों और लोगों का भी ध्यान रखा जा रहा है." हालांकि, लूटे गए हथियारों का मुद्दा अभी भी राज्य सरकार और केंद्र दोनों के लिए एक बड़ी चिंता का विषय है. 

गृह मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि पुलिस प्रदर्शनकारी समूहों के साथ राज्य के अधिकारियों की मिलीभगत की शिकायतों की भी जांच कर रही है.मणिपुर सरकार ने कल घोषणा की कि उसने मैतेई और कुकी समुदायों द्वारा बनाए गए सभी बंकरों को नष्ट करने का फैसला किया है और कक्षा 1 से 8 तक के स्कूल कल राज्य में फिर से खुलेंगे. मणिपुर में हिंसा में लगभग 120 लोगों की जान चली गई है और 3,000 से अधिक लोग घायल हो गए हैं, जो 3 मई को शुरू हुई थी जब मेइतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' आयोजित किया गया था.

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