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वैश्विक चुनौतियों के बाद भी तेज गति से बढ़ती रहेगी देश की अर्थव्यवस्था- सीईए नागेश्वरन

कोलंबिया में स्टूडेंट्स, फैकल्टी, नीति एक्सपर्टों और अर्थशास्त्रियों के बीच बोलते हुए मुख्य आर्थिक सलाहकार ने देश की जीडीपी में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की हिस्सेदारी चीन के बराबर लाने का प्लान भी बताया.

वैश्विक चुनौतियों के बाद भी तेज गति से बढ़ती रहेगी देश की अर्थव्यवस्था- सीईए नागेश्वरन
मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन (फाइल फोटो)
न्यूयॉर्क:

वैश्विक परिवेश में नई चुनौतियों के बावजूद भारत सही नीतिगत उपायों के साथ अपनी वृद्धि की बढ़त को बरकरार रखने में सक्षम होगा, देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी अनंत नागेश्वरन ने कहा. 

कोलंबिया विश्वविद्यालय में अपने संबोधन में नागेश्वरन ने कहा कि सरकार का विजन 2047 तक विकसित भारत का लक्ष्य हासिल करना है. उन्होंने कहा, "लेकिन भारत के आकार के अलावा सबसे बड़ी चुनौती यह है कि अगले 10-20 वर्षों तक बाहरी वातावरण उतना अनुकूल नहीं रहने वाला है, जितना 1990 के आसपास से शुरू होकर पिछले 30 वर्षों में रहा है."

नागेश्वरन ने स्पष्ट किया कि देश एक सीमा से आगे अपने बाहरी वातावरण का चयन नहीं कर सकता है, इसलिए चुनौतियां रहेंगी.

उन्होंने वीकेंड में कोलंबिया विश्वविद्यालय में छात्रों और शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा, "कठिन और चुनौतीपूर्ण वैश्विक माहौल में भारत के लिए आगे का कार्य काफी बड़ा है, लेकिन मुझे लगता है कि नीति निर्धारण और प्राथमिकताओं की पहचान, हमें इस कठिन माहौल में भी ग्रोथ को बनाए रखने में मदद कर सकती है."

उन्होंने आगे कहा कि चल रहे भू-राजनीतिक तनाव से वैश्विक पूंजी प्रवाह पर प्रतिकूल प्रभाव हो रहा है. ऐसे में भारत को निवेश दरों को बढ़ाने या मौजूदा निवेशों से अधिक मूल्य निकालने की आवश्यकता होगी.

नागेश्वरन ने कहा कि भारत विकास को बढ़ाने के लिए निर्यात पर उसी तरह निर्भर नहीं रह सकता जैसा कि वह 2000 के दशक की शुरुआत में करता था.

उन्होंने यह भी कहा कि पहले दशक में जीडीपी ग्रोथ का 40 प्रतिशत निर्यात से आता था, लेकिन दूसरे दशक में यह आंकड़ा कम होकर 20 प्रतिशत और तीसरे दशक में इससे भी कम हो सकता है.

नागेश्वरन ने बताया कि निर्यात प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता बढ़ाने के लिए क्वालिटी में सुधार, रिसर्च और डेवलपमेंट में निवेश, लॉजिस्टिक्स में अपग्रेड और लास्ट माइल कनेक्टिविटी में सुधार करने की आवश्यकता है.

नागेश्वरन ने कहा कि विकसित भारत 2047 विजन के लिए भारतीय मैन्युफैक्चरिंग और बिजनेस को ग्लोबल वैल्यू चेन में इंटीग्रेट करने की आवश्यकता है.

इसके साथ ही देश को एक मजबूत स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइज (एसएमई) सेक्टर को बनाना होगा.

नागेश्वरन के मुताबिक, देश की जीडीपी में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की हिस्सेदारी चीन के बराबर लाने के लिए भारत को अगले 10 से 12 वर्षों में प्रति वर्ष करीब 80 लाख रोजगार के अवसर पैदा करने होंगे.
 

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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