सीबीआई ने गैंगस्टर मुन्ना बजरंगी की 2018 में हिरासत में मौत के मामले की जांच का जिम्मा संभाल लिया है. अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी. एजेंसी ने बजरंगी की पत्नी सीमा सिंह की याचिका पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 25 फरवरी के आदेश के बाद मामले की जांच अपने हाथ में ली है. याचिकाकर्ता ने दलील दी थी कि इस हत्या में किसी माफिया की संलिप्तता हो सकती है. उसने कहा था कि इस मामले में जेल अधिकारियों की भी भूमिका संदिग्ध है, इसलिए इस हत्या की जांच सीबीआई को हस्तांतरित की जानी चाहिए. हालांकि राज्य सरकार ने याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि चूंकि पहले से तीन जांच चल रही हैं, इसलिए इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की कोई जरूरत नहीं है. पहली जांच जिला जज, दूसरी जांच जिला मजिस्ट्रेट और तीसरी जांच जेल प्राधिकारियों द्वारा की जा रही है. पूर्वी उत्तर प्रदेश के अपराधी मुन्ना बजरंगी की बागपत की जेल में नौ जुलाई, 2018 को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. जेल परिसर के भीतर एक अन्य कैदी गैंगस्टर सुनील राठी ने मुन्ना बजरंगी की कथित तौर पर हत्या की थी.
कौन था मुन्ना बजरंगी
बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के आरोपी पूर्वांचल में खौफ और गैंगवार का सबसे बड़ा पर्याय रहा है. उस पर दर्जनों मुकदमे हत्या, लूट के दर्ज थे. उसकी हत्या के कुछ दिन पहले ही मुन्ना की पत्नी ने एसटीएफ पर आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से सुरक्षा की गुहार लगाई थी कि उनके पति की जान को खतरा है. मुन्ना उस समय झांसी जेल में बंद था. प्रेम प्रकाश सिंह उर्फ मुन्ना बजरंगी की पत्नी सीमा ने कहा, "मेरे पति की जान को खतरा है. यूपी एसटीएफ और पुलिस उनका एनकाउंटर करने की फिराक में हैं. झांसी जेल में मुन्ना बजरंगी के ऊपर जानलेवा हमला किया गया था. कुछ प्रभावशाली नेता और अधिकारी मुन्ना की हत्या करने का षड्यंत्र रच रहे हैं." इस बीच योगी आदित्यनाथ ने कहा, " जेल में हत्या कैसे हो गई. इसकी जांच कराई जाएगी और इसमें जो भी दोषी होगा उसे बख्शा नही जाएगा.
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