पटियाला में किसान की मौत के बाद BJP नेता पर गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज

किसान मजदूर मोर्चा (एसकेएम) के नेता सरवन सिंह पंधेर ने सोमवार को हरपालपुर की गिरफ्तारी की मांग की. उन्होंने कहा कि अगर पुलिस ने ऐसा नहीं किया तो वे आठ मई को पटियाला में परनीत कौर के घर के बाहर प्रदर्शन करेंगे.

पटियाला में किसान की मौत के बाद BJP नेता पर गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज

राजपुरा (पटियाला):

पुलिस ने चार मई को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की उम्मीदवार परनीत कौर के खिलाफ यहां प्रदर्शन के दौरान एक किसान की मौत के मामले में पार्टी नेता हरविंदर सिंह हरपालपुर पर गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया है. किसान सुरिंदर पाल सिंह (60) की पटियाला लोकसभा सीट से उम्मीदवार परनीत कौर के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान जमीन पर गिरने के बाद मौत हो गई थी.

सुरिंदर पाल के भतीजे रेशम सिंह ने इसे लेकर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी. शिकायत के अनुसार, पाल उन किसानों के समूह में शामिल थे जो अपने विरोध प्रदर्शन के दौरान परनीत कौर से सवाल-जवाब करने की कोशिश कर रहे थे.

रेशम सिंह ने आरोप लगाया कि हरपालपुर और कुछ अन्य अज्ञात लोगों ने कथित तौर पर उन्हें (किसान सुरिंदर पाल सिंह को) धक्का देना शुरू कर दिया. हाथापाई में उनके चाचा गिर गए और उनका सिर फर्श से टकराकर फट गया. सुरिंदर पाल को राजपुरा सिविल अस्पताल ले जाया गया जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया. हरपालपुर और दो अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी.

किसान मजदूर मोर्चा (एसकेएम) के नेता सरवन सिंह पंधेर ने सोमवार को हरपालपुर की गिरफ्तारी की मांग की. उन्होंने कहा कि अगर पुलिस ने ऐसा नहीं किया तो वे आठ मई को पटियाला में परनीत कौर के घर के बाहर प्रदर्शन करेंगे. किसानों की मांग है कि मृतक किसान के परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी और मुआवजा दिया जाए.

भाजपा उम्मीदवार और नेता जब चुनाव प्रचार करने निकले तो किसानों ने उनका विरोध किया. इस दौरान किसानों ने भाजपा नेताओं से सवाल पूछे और अपनी मांगें पूरी न होने पर उन्हें काले झंडे दिखाए. किसान शंभू सीमा पर भी प्रदर्शन कर रहे हैं.

शंभू रेलवे स्टेशन पर रविवार को 55 वर्षीय महिला किसान बलविंदर कौर की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई. यह घटना तब हुई जब 'दिल्ली चलो' आंदोलन के दौरान गिरफ्तार किए गए तीन किसानों की रिहाई के लिए दबाव बनाने के वास्ते किसान 'रेल रोको' आंदोलन कर रहे थे.

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