बीपीएससी की प्री-परीक्षा रद्द करने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है, जिसमें अनुरोध किया गया है कि बीपीएससी की प्री-परीक्षा को रद्द किया जाए, क्योंकि इसमें काफी धांधली हुई थी. साथ ही एसपी और डीएम को निलंबित करने की भी मांग की गई है. बता दें कि परीक्षा में धांधली के आरोपों और विरोध प्रदर्शन के बीच पटना के 22 केंद्रों पर शनिवार को दोबारा आयोजित बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की संयुक्त (प्रारंभिक) प्रतियोगी परीक्षा कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच संपन्न हुई है. लेकिन विरोध कर रहे छात्र सभी केंद्रों पर हुई परीक्षा को रद्द करने की मांग कर रहे हैं.
बीपीएससी द्वारा 13 दिसंबर को आयोजित एक संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा का प्रश्नपत्र लीक होने का आरोप लगाते हुए सैकड़ों अभ्यर्थियों ने शहर के बापू परीक्षा केंद्र में संचालित परीक्षा का बहिष्कार किया था. इसपर आयोग ने 12000 उम्मीदवारों के लिए फिर से परीक्षा आयोजित करने का आदेश दिया था. इस आदेश के तहत अभ्यर्थियों को चार जनवरी को शहर के विभिन्न केंद्रों पर नए सिरे से आयोजित की जाने वाली परीक्षा में शामिल होने के लिए कहा गया था.
हालांकि, आयोग का मानना है कि बिहार के शेष 911 केंद्रों पर परीक्षा ठीक से आयोजित की गई और इस परीक्षा में शामिल पांच लाख से अधिक उम्मीदवारों की ओर से कोई शिकायत नहीं की गई थी. लेकिन उम्मीदवारों के एक वर्ग ने 'समान अवसर' सुनिश्चित करने के लिए सभी केंद्रों के लिए फिर से परीक्षा का आदेश दिये जाने की मांग को लेकर आंदोलन शुरू कर दिया.
प्रदर्शनकारियों ने यह भी दावा किया कि उन्होंने अधिकारियों को ‘सबूत' मुहैया कराए हैं कि कदाचार व्यापक रूप से हुआ था और यह केवल बापू परीक्षा केंद्र तक सीमित नहीं था। बीपीएससी ने उनके इस दावे को खारिज कर दिया है. बीपीएससी द्वारा 13 दिसंबर को आयोजित संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा को रद्द करने की मांग ने उस समय जोर पकड़ लिया जब आंदोलनकारी अभ्यर्थियों को विभिन्न राजनीतिक दलों, निर्दलीय सांसद पप्पू यादव और जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर का समर्थन मिलना शुरू हो गया.
कांग्रेस, भाकपा माले, भाकपा और माकपा के कई विधायकों और नेताओं ने भी प्रदर्शनकारी अभ्यर्थियों को समर्थन दिया है. ये अभ्यर्थी मांग कर रहे हैं कि राज्य भर में 900 से अधिक केंद्रों पर उपस्थित सभी पांच लाख उम्मीदवारों के लिए नए सिरे से परीक्षा आयोजित की जाए, ताकि 'समान अवसर' सुनिश्चित हो सके.
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