मुंबई:
देशद्रोह और राष्ट्रीय चिह्नों के अपमान के आरोप का सामना कर रहे कार्टूनिस्ट असीम त्रिवेदी को सोमवार को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। इस बीच, असीम के समर्थन में देशभर से आवाज भी उठने लगी हैं। कुछ सामाजिक संगठनों, अधिकार समूहों व कार्यकर्ताओं, बुद्धिजीवियों और पत्रकारों ने असीम पर लगाए गए आरोपों की कड़ी आलोचना की है।
भ्रष्टाचार विरोधी अन्ना हजारे की मुहिम से जुड़े 25 वर्षीय त्रिवेदी पर अपनी वेबसाइट पर 'घृणित एवं आपत्तिजनक' सामग्री डालने और पिछले साल दिसम्बर में भ्रष्टाचार विरोधी अन्ना हजारे के आंदोलन के दौरान संविधान का अपमान करने वाला बैनर लगाने का आरोप है।
पुलिस ने उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी होने के बाद उन्हें बांद्रा-कुर्ला से गिरफ्तार किया था। बांद्रा के मजिस्ट्रेट ने उन्हें रविवार को सात दिन की पुलिस हिरासत में भेजा था।
पुलिस ने हालांकि त्रिवेदी से एक ही दिन पूछताछ की और आगे पूछताछ नहीं करने का निर्णय लिया। उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए के तहत राजद्रोह का आरोप लगाया गया है।
मुम्बई पुलिस को त्रिवेदी की रिमांड अवधि रविवार को सात दिन के लिए मिली थी लेकिन पुलिस ने एक दिन ही उनसे पूछताछ कर सोमवार को उन्हें स्थानीय अदालत में पेश कर दिया, जहां से उन्हें 24 सितम्बर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
इससे पहले महाराष्ट्र के गृह मंत्री आरआर पाटील ने संवाददाताओं को आश्वस्त किया था कि इस मामले में जांच पूरी हो जाने के बाद त्रिवेदी को पुलिस हिरासत में नहीं रखा जाएगा।
इंडिया अगेंस्ट करप्शन के सदस्य अरविंद केजरीवाल, वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव ने एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में त्रिवेदी की गिरफ्तारी की कड़ी निंदा की।
केजरीवाल ने कहा, "देशद्रोह के आरोप तब लगते हैं जब कोई देश के खिलाफ युद्ध छेड़ता है। कार्टून बनाने पर इस तरह के आरोप नहीं लगाए जा सकते। हम विचारों की स्वतंत्रता के पक्षधर हैं।"
आईएसी की ही सदस्य प्रीती मेनन ने कहा, "त्रिवेदी ने हमसे कहा है कि वह जब तक जरूरी होगा, हिरासत में रहने के लिए तैयार हैं। जब तक उनके खिलाफ लगा राजद्रोह का आरोप नहीं हटाया जाता, वह अपने लिए वकील नियुक्त नहीं करेंगे और न ही जमानत लेंगे।"
इस मामले में केंद्र सरकार का कहना है कि ऐसे कलाकारों को संविधान के दायरे में रहना चाहिए और अपने कार्टून में राष्ट्रीय प्रतीकों को निशाना नहीं बनाना चाहिए।
सूचना और प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि सरकार को कार्टून से कोई परेशानी नहीं है, लेकिन "वे संविधान के दायरे में होने चाहिए।"
साथ ही उन्होंने कहा कि ऐसे कलाकार राष्ट्रीय प्रतीकों को अपने कार्टून की विषय-वस्तु नहीं बना सकते।
आईएसी ने त्रिवेदी की गिरफ्तारी की निंदा करते हुए उनकी बिना शर्त रिहाई और उन पर लगाए गए राजद्रोह के निराधार आरोप हटाने की मांग की।
आईएसी ने एक वक्तव्य जारी कर कहा, "असीम त्रिवेदी के खिलाफ राजद्रोह के कानून का इस्तेमाल करना पूरी तरह से अवैध और एक भ्रमित राष्ट्र का संकेत है, जो भारत जैसे परिपक्व लोकतंत्र को शोभा नहीं देता। उनके उत्पीड़न से भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के खिलाफ प्रतिशोध की बू आती है।"
वक्तव्य में कहा गया, "आईएसी की मांग है कि असीम त्रिवेदी को बिना शर्त रिहा किया जाए और उन पर लगे राजद्रोह सहित अन्य आरोप फौरन वापस ले लिए जाएं।"
भारतीय प्रेस परिषद (पीसीआई) के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) मरक डेय काट्जू ने त्रिवेदी पर राजद्रोह का आरोप लगाने की निंदा करते हुए इसे 'मूर्खतापूर्ण' करार दिया और उनकी गिरफ्तारी के लिए जिम्मेदार राजनेताओं तथा पुलिस के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
काट्जू ने कहा, "आरोप मूर्खतापूर्ण हैं और यह राजद्रोह नहीं है। यह सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग है। जिन राजनेताओं और पुलिस कर्मियों ने यह गिरफ्तारी की है, उन्हें गिरफ्तार किया जाना चाहिए और उन पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए।" उन्होंने कहा, "त्रिवेदी के खिलाफ जो कुछ भी किया जा रहा है, वह पूरी तरह अस्वीकार्य है।"
काट्जू ने कहा कि लोकतंत्र में राजनीतिज्ञों की आलोचना करने वाले कार्टून प्रकाशित होते रहते हैं। राजनेताओं को इसके प्रति सहिष्णु होना चाहिए।
काट्जू ने कहा, "यह तानाशाही नहीं है। आप लोगों को इस तरह गिरफ्तार नहीं कर सकते। किसी ऐसे व्यक्ति को गिरफ्तार करना अपराध है, जिसने भारतीय दंड संहिता के तहत अपराध नहीं किया हो।"
उधर, त्रिवेदी की रिहाई की मांग को लेकर सैंकड़ों स्थानीय लोगों ने कानपुर में केंद्रीय मंत्री व वरिष्ठ कांग्रेस नेता श्रीप्रकाश जायसवाल के निवास के बाहर प्रदर्शन कर उनका घेराव किया।
'मुम्बई पुलिस हाय-हाय', 'असीम को रिहा करो' के नारे लगाते हुए सैकड़ों लोगों ने कानपुर से जायसवाल के घर के बाहर प्रदर्शन किया। असीम के पिता अशोक त्रिवेदी ने जायसवाल से रिहाई के लिए हस्तक्षेप करने की मांग करते हुए उन्हें ज्ञापन सौंपा।
अशोक ने कहा कि असीम ने भ्रष्टाचार को कार्टून के जरिए दर्शाया था। उन पर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तार करना पूरी तरह से अलोकतांत्रिक है।
जायसवाल ने असीम की रिहाई में मदद का भरोसा देते हुए कहा, "मैं पता लगाऊंगा कि उन्हें किन आरोपों में मुम्बई पुलिस ने गिरफ्तार किया। इस सम्बंध में मैं महाराष्ट्र के गृह मंत्री से भी बात करूंगा।"
भ्रष्टाचार विरोधी अन्ना हजारे की मुहिम से जुड़े 25 वर्षीय त्रिवेदी पर अपनी वेबसाइट पर 'घृणित एवं आपत्तिजनक' सामग्री डालने और पिछले साल दिसम्बर में भ्रष्टाचार विरोधी अन्ना हजारे के आंदोलन के दौरान संविधान का अपमान करने वाला बैनर लगाने का आरोप है।
पुलिस ने उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी होने के बाद उन्हें बांद्रा-कुर्ला से गिरफ्तार किया था। बांद्रा के मजिस्ट्रेट ने उन्हें रविवार को सात दिन की पुलिस हिरासत में भेजा था।
पुलिस ने हालांकि त्रिवेदी से एक ही दिन पूछताछ की और आगे पूछताछ नहीं करने का निर्णय लिया। उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए के तहत राजद्रोह का आरोप लगाया गया है।
मुम्बई पुलिस को त्रिवेदी की रिमांड अवधि रविवार को सात दिन के लिए मिली थी लेकिन पुलिस ने एक दिन ही उनसे पूछताछ कर सोमवार को उन्हें स्थानीय अदालत में पेश कर दिया, जहां से उन्हें 24 सितम्बर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
इससे पहले महाराष्ट्र के गृह मंत्री आरआर पाटील ने संवाददाताओं को आश्वस्त किया था कि इस मामले में जांच पूरी हो जाने के बाद त्रिवेदी को पुलिस हिरासत में नहीं रखा जाएगा।
इंडिया अगेंस्ट करप्शन के सदस्य अरविंद केजरीवाल, वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव ने एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में त्रिवेदी की गिरफ्तारी की कड़ी निंदा की।
केजरीवाल ने कहा, "देशद्रोह के आरोप तब लगते हैं जब कोई देश के खिलाफ युद्ध छेड़ता है। कार्टून बनाने पर इस तरह के आरोप नहीं लगाए जा सकते। हम विचारों की स्वतंत्रता के पक्षधर हैं।"
आईएसी की ही सदस्य प्रीती मेनन ने कहा, "त्रिवेदी ने हमसे कहा है कि वह जब तक जरूरी होगा, हिरासत में रहने के लिए तैयार हैं। जब तक उनके खिलाफ लगा राजद्रोह का आरोप नहीं हटाया जाता, वह अपने लिए वकील नियुक्त नहीं करेंगे और न ही जमानत लेंगे।"
इस मामले में केंद्र सरकार का कहना है कि ऐसे कलाकारों को संविधान के दायरे में रहना चाहिए और अपने कार्टून में राष्ट्रीय प्रतीकों को निशाना नहीं बनाना चाहिए।
सूचना और प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि सरकार को कार्टून से कोई परेशानी नहीं है, लेकिन "वे संविधान के दायरे में होने चाहिए।"
साथ ही उन्होंने कहा कि ऐसे कलाकार राष्ट्रीय प्रतीकों को अपने कार्टून की विषय-वस्तु नहीं बना सकते।
आईएसी ने त्रिवेदी की गिरफ्तारी की निंदा करते हुए उनकी बिना शर्त रिहाई और उन पर लगाए गए राजद्रोह के निराधार आरोप हटाने की मांग की।
आईएसी ने एक वक्तव्य जारी कर कहा, "असीम त्रिवेदी के खिलाफ राजद्रोह के कानून का इस्तेमाल करना पूरी तरह से अवैध और एक भ्रमित राष्ट्र का संकेत है, जो भारत जैसे परिपक्व लोकतंत्र को शोभा नहीं देता। उनके उत्पीड़न से भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के खिलाफ प्रतिशोध की बू आती है।"
वक्तव्य में कहा गया, "आईएसी की मांग है कि असीम त्रिवेदी को बिना शर्त रिहा किया जाए और उन पर लगे राजद्रोह सहित अन्य आरोप फौरन वापस ले लिए जाएं।"
भारतीय प्रेस परिषद (पीसीआई) के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) मरक डेय काट्जू ने त्रिवेदी पर राजद्रोह का आरोप लगाने की निंदा करते हुए इसे 'मूर्खतापूर्ण' करार दिया और उनकी गिरफ्तारी के लिए जिम्मेदार राजनेताओं तथा पुलिस के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
काट्जू ने कहा, "आरोप मूर्खतापूर्ण हैं और यह राजद्रोह नहीं है। यह सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग है। जिन राजनेताओं और पुलिस कर्मियों ने यह गिरफ्तारी की है, उन्हें गिरफ्तार किया जाना चाहिए और उन पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए।" उन्होंने कहा, "त्रिवेदी के खिलाफ जो कुछ भी किया जा रहा है, वह पूरी तरह अस्वीकार्य है।"
काट्जू ने कहा कि लोकतंत्र में राजनीतिज्ञों की आलोचना करने वाले कार्टून प्रकाशित होते रहते हैं। राजनेताओं को इसके प्रति सहिष्णु होना चाहिए।
काट्जू ने कहा, "यह तानाशाही नहीं है। आप लोगों को इस तरह गिरफ्तार नहीं कर सकते। किसी ऐसे व्यक्ति को गिरफ्तार करना अपराध है, जिसने भारतीय दंड संहिता के तहत अपराध नहीं किया हो।"
उधर, त्रिवेदी की रिहाई की मांग को लेकर सैंकड़ों स्थानीय लोगों ने कानपुर में केंद्रीय मंत्री व वरिष्ठ कांग्रेस नेता श्रीप्रकाश जायसवाल के निवास के बाहर प्रदर्शन कर उनका घेराव किया।
'मुम्बई पुलिस हाय-हाय', 'असीम को रिहा करो' के नारे लगाते हुए सैकड़ों लोगों ने कानपुर से जायसवाल के घर के बाहर प्रदर्शन किया। असीम के पिता अशोक त्रिवेदी ने जायसवाल से रिहाई के लिए हस्तक्षेप करने की मांग करते हुए उन्हें ज्ञापन सौंपा।
अशोक ने कहा कि असीम ने भ्रष्टाचार को कार्टून के जरिए दर्शाया था। उन पर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तार करना पूरी तरह से अलोकतांत्रिक है।
जायसवाल ने असीम की रिहाई में मदद का भरोसा देते हुए कहा, "मैं पता लगाऊंगा कि उन्हें किन आरोपों में मुम्बई पुलिस ने गिरफ्तार किया। इस सम्बंध में मैं महाराष्ट्र के गृह मंत्री से भी बात करूंगा।"
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