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This Article is From May 04, 2023

अब CA-CS और कॉस्ट अकाउंटेंट भी मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के दायरे में, रखनी होगी क्लाइंट की ये जानकारी

CA, CS, ICWA को अपने क्लाइंट के सौदों से पहले उनकी वित्तीय स्थिति और ओनरशिप की सही जानकारी पता करना होगा. जैसे कि फंड का सोर्स क्या है और वाजिब है या नहीं. सौदे का मकसद क्या है.

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अब CA-CS और कॉस्ट अकाउंटेंट भी मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के दायरे में, रखनी होगी क्लाइंट की ये जानकारी
प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली:

वित्त मंत्रालय ने एंटी मनी लॉन्ड्रिंग कानून (Anti Money Laundering Act) का दायरा बढ़ा दिया है. वित्त मंत्रालय की तरफ से 3 मई को जारी PMLA नोटिफिकेशन में इसकी जानकारी दी गई है. नोटिफिकेशन के मुताबिक, अब चार्टर अकाउंटेंट (CA), कंपनी सेक्रेटरी (CS) और इंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट एंड वर्क्स अकाउंटेंट ऑफ इंडिया (ICWA) अगर किसी क्लाइंट के लिए चुनिंदा वित्तीय सौदे करते हैं, तो वो प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) कानून के दायरे में आएंगे. इसमें अहम बात ये है कि कंपनियां, लिमिटेड लाइबिलिटी पार्टनरशिप या ट्रस्ट बनाने, खोलने, चलाने पर ये प्रोफेशनल्स PMLA के दायरे में आएंगे. 

वित्त मंत्रालय के नोटिफिकेशन के मुताबिक, क्लाइंट के लिए अचल संपत्तियों की खरीद-बिक्री, क्लाइंट के धन, संपत्ति और सिक्योरिटीज का देखभाल करने पर भी PMLA कानून लागू होगा. बैंक और सिक्योरिटीज के खातों का संचालन, कंपनियों के कामकाज के लिए पैसे जुटाने पर भी PMLA के दायरे में आएंगे. 

CA, CS, ICWA को अपने क्लाइंट के सौदों से पहले उनकी वित्तीय स्थिति और ओनरशिप की सही जानकारी पता करना होगा. जैसे कि फंड का सोर्स क्या है और वाजिब है या नहीं. सौदे का मकसद क्या है. अगर जान-बूझकर किसी अवैध स्रोत वाले फंड से हुए सौदे को अनदेखा करने पर फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट पेनाल्टी भी लगा सकती है. क्लाइंट के लिए किए गए सभी सौदों का रिकॉर्ड रखना होगा. साथ ही इसकी रिपोर्टिंग फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट के डायरेक्टर को भी करना होगा.  

हालांकि, संशोधन में वकीलों को इससे बाहर रखा गया है. अपने क्लाइंट्स के लिए कंपनियां खोलने वाले चार्टर्ड अकाउंटेंट्स, कंपनी सेक्रेटरीज और कॉस्ट अकाउंटेंट की चिंता बढ़ गई है. ये अब एंटी मनी लॉन्ड्रिंग कानून PMLA के दायरे में आएंगे. वहीं,  वकीलों को इससे बाहर रखा गया है.

प्रोफेश्नल्स की चिंता ये है कि एजेंसियों का PMLA कानून में दोष साबित करने का रिकॉर्ड बहुत कमजोर रहा है. ऐसे में जांच एजेंसियों के चक्कर में फंसने पर उनके लिए राह कठिन हो सकती है.

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