चंबा / शिमला:
यात्रियों से खचाखच भरी एक बस के हिमाचल प्रदेश के चम्बा जिले में सड़क से फिसलकर 300 फुट गहरी एक खाई में गिरने से 18 महिलाओं सहित कम से कम 51 लोगों की मौत हो गई और 46 अन्य घायल हो गए। यह जानकारी पुलिस ने दी।
प्रभावितों में से अधिकतर लोग मिंजर में हिस्सा लेने के लिए चम्बा शहर जा रहे थे। मिंजर हिंदुओं का एक मेला है, जो मक्के में फूल लगने के प्रतीक के तौर पर मनाया जाता है। आधिकारिक तौर पर मेला पांच अगस्त को समाप्त हो चुका है, लेकिन व्यापार और प्रदर्शनी 12 अगस्त तक जारी है।
निजी बस दुलारो गांव से चम्बा जा रही थी। तभी वह शहर से करीब 12 किलोमीटर की दूरी पर गगाला के निकट 300 फुट गहरी एक खाई में जा गिरी। यह दुर्घटना राजधानी से करीब 475 किलोमीटर की दूरी पर हुई।
चम्बा के उपायुक्त सुनील चौधरी ने बताया, "40 सीटों वाली बस खचाखच भरी हुई थी। बस की छत पर भी लोग बैठे हुए थे।" उन्होंने बताया कि चालक सहित 37 यात्रियों की दुर्घटना स्थल पर ही मौत हो गई।
अधिकतर घायलों को चम्बा के जिला अस्पताल में दाखिल कराया गया है। नौ गम्भीर घायलों को कांगड़ा जिले के तांडा के राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज में भेज दिया गया है।
एक सवार अशोक कुमार ने कहा कि उसने अचानक एक तेज आवाज सुनी और उसके बाद बस खाई में पलटने लगा।
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुकी बस से मृतकों को बाहर निकालने के लिए प्रशासन को खासी मशक्कत करनी पड़ी।
स्थानीय अधिकारियों के दुर्घटना स्थल पर पहुंचने से पहले ही उस क्षेत्र के लोगों ने बचाव कार्य शुरू कर दिया था। ज्यादातर मृतक चम्बा से हैं।
मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने दुर्घटना पर दुख जताते हुए प्रभावितों के परिवारों के लिए राहत की घोषणा की।
सरकार ने मृतक के निकट सम्बंधियों के लिए एक लाख रुपये और घायलों के परिजन को 10 हजार रुपये देने की घोषणा की।
राज्यपाल उर्मिला सिंह, विधानसभा अध्यक्ष तुलसी राम और विपक्ष की नेता विद्या स्टोक्स ने भी दुर्घटना पर गहरा दुख जताया है।
राज्य सरकार के आदेश पर दुर्घटना की मजिस्ट्रेट जांच शुरू हो गई है।
पुलिस ने इस तरह की दुर्घटनाओं के लिए निजी बसों के ऑपरेटर्स के लापरवाह व बिना प्रशिक्षण प्राप्त ड्राइवरों को जिम्मेदार ठहराया है।
चम्बा राज्य के दूरस्थ क्षेत्रों में से है। इस क्षेत्र के लिए बसों की कम संख्या व उनके कम फेरों की वजह से उनमें क्षमता से अधिक यात्री सवार रहते हैं।
बसों की छतों पर बैठकर यात्रा करने पर प्रतिबंध है लेकिन हिमाचल प्रदेश में इस तरह की यात्राएं सामान्य हैं। खासतौर पर त्योहारों के दिनों में ऐसा होता है।
दुर्घटनाओं को रोकने के लिए सरकार ने ड्राइवरों द्वारा मोबाइल फोन व म्यूजिक सिस्टम लेकर चलने पर प्रतिबंध लगा रखा है।
प्रभावितों में से अधिकतर लोग मिंजर में हिस्सा लेने के लिए चम्बा शहर जा रहे थे। मिंजर हिंदुओं का एक मेला है, जो मक्के में फूल लगने के प्रतीक के तौर पर मनाया जाता है। आधिकारिक तौर पर मेला पांच अगस्त को समाप्त हो चुका है, लेकिन व्यापार और प्रदर्शनी 12 अगस्त तक जारी है।
निजी बस दुलारो गांव से चम्बा जा रही थी। तभी वह शहर से करीब 12 किलोमीटर की दूरी पर गगाला के निकट 300 फुट गहरी एक खाई में जा गिरी। यह दुर्घटना राजधानी से करीब 475 किलोमीटर की दूरी पर हुई।
चम्बा के उपायुक्त सुनील चौधरी ने बताया, "40 सीटों वाली बस खचाखच भरी हुई थी। बस की छत पर भी लोग बैठे हुए थे।" उन्होंने बताया कि चालक सहित 37 यात्रियों की दुर्घटना स्थल पर ही मौत हो गई।
अधिकतर घायलों को चम्बा के जिला अस्पताल में दाखिल कराया गया है। नौ गम्भीर घायलों को कांगड़ा जिले के तांडा के राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज में भेज दिया गया है।
एक सवार अशोक कुमार ने कहा कि उसने अचानक एक तेज आवाज सुनी और उसके बाद बस खाई में पलटने लगा।
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुकी बस से मृतकों को बाहर निकालने के लिए प्रशासन को खासी मशक्कत करनी पड़ी।
स्थानीय अधिकारियों के दुर्घटना स्थल पर पहुंचने से पहले ही उस क्षेत्र के लोगों ने बचाव कार्य शुरू कर दिया था। ज्यादातर मृतक चम्बा से हैं।
मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने दुर्घटना पर दुख जताते हुए प्रभावितों के परिवारों के लिए राहत की घोषणा की।
सरकार ने मृतक के निकट सम्बंधियों के लिए एक लाख रुपये और घायलों के परिजन को 10 हजार रुपये देने की घोषणा की।
राज्यपाल उर्मिला सिंह, विधानसभा अध्यक्ष तुलसी राम और विपक्ष की नेता विद्या स्टोक्स ने भी दुर्घटना पर गहरा दुख जताया है।
राज्य सरकार के आदेश पर दुर्घटना की मजिस्ट्रेट जांच शुरू हो गई है।
पुलिस ने इस तरह की दुर्घटनाओं के लिए निजी बसों के ऑपरेटर्स के लापरवाह व बिना प्रशिक्षण प्राप्त ड्राइवरों को जिम्मेदार ठहराया है।
चम्बा राज्य के दूरस्थ क्षेत्रों में से है। इस क्षेत्र के लिए बसों की कम संख्या व उनके कम फेरों की वजह से उनमें क्षमता से अधिक यात्री सवार रहते हैं।
बसों की छतों पर बैठकर यात्रा करने पर प्रतिबंध है लेकिन हिमाचल प्रदेश में इस तरह की यात्राएं सामान्य हैं। खासतौर पर त्योहारों के दिनों में ऐसा होता है।
दुर्घटनाओं को रोकने के लिए सरकार ने ड्राइवरों द्वारा मोबाइल फोन व म्यूजिक सिस्टम लेकर चलने पर प्रतिबंध लगा रखा है।
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