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PM-नीत पैनल ने ज्ञानेश कुमार और सुखबीर संधू को चुनाव आयुक्त नियुक्त किया

सुखबीर सिंह संधू और ज्ञानेश कुमार 1988-बैच के सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी हैं. संधू आईएएस के उत्तराखंड कैडर से हैं जबिक ज्ञानेश कुमार केरल कैडर से हैं.

PM-नीत पैनल ने ज्ञानेश कुमार और सुखबीर संधू को चुनाव आयुक्त नियुक्त किया
पीएम मोदी की अध्यक्षता में पैनल ने नए चुनाव आयुक्त को किया नियुक्त
नई दिल्ली:

नौकरशाह सुखबीर सिंह संधू और ज्ञानेश कुमार को देश का अगला चुनाव आयुक्त चुना गया है.दोनों नौकरशाहों को चुनाव आयुक्त बनाने का फैसला पीएम मोदी नीत पैनल ने किया है. इस पैनल में गृहमंत्री अमित शाह के साथ-साथ कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी भी थे. आपको बता दें कि सुखबीर संधू और ज्ञानेश कुमार 1988-बैच के सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी हैं. जहां संधू आईएएस के उत्तराखंड कैडर से हैं, वहीं कुमार केरल कैडर से हैं. संधू इससे पहले उत्तराखंड के मुख्य सचिव और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अध्यक्ष सहित प्रमुख सरकारी पदों पर रह चुके हैं. कुमार ने संसदीय कार्य मंत्रालय और अमित शाह के नेतृत्व वाले सहकारिता मंत्रालय में सचिव के रूप में कार्य किया है.

अधीर रंजन ने साधा निशाना 

कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने चयन समिति में मुख्य न्यायाधीश की जगह एक केंद्रीय मंत्री को शामिल करने वाले कानून को लेकर केंद्र पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि भारत के मुख्य न्यायाधीश को इस समिति में होना चाहिए था. पिछले साल लाए गए कानून ने बैठक को महज एक ''औपचारिकता'' तक सीमित कर दिया है. अधीर रंजन चौधरी ने आगे कहा कि जिस पैनल ने चुनाव आयुक्त का नाम तय किया है उसमें सरकार बहुमत में है. ऐसे में वे जो चाहते हैं वही होता है. 

"बहुमत सरकार के पास है"

कांग्रेस नेता ने कहा कि उन्हें कल रात जांच के लिए 212 नाम दिए गए थे. अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि मैं कल रात दिल्ली पहुंचा और बैठक आज दोपहर में थी. मुझे 212 नाम दिए गए थे, कोई एक दिन में इतने सारे उम्मीदवारों की जांच कैसे कर सकता है? फिर, मुझे बैठक से पहले 6 शॉर्टलिस्ट किए गए नाम दिए गए. बहुमत उनके साथ है, इसलिए उन्होंने उसे ही चुना है जिसे वो बनाना चाहते थे. 

अरुण गोयल के इस्तीफे पर विपक्ष ने उठाए थे सवाल

बता दें कि अरुण गोयल के चुनाव आयुक्त पद से इस्तीफा देने के बाद विपक्षी पार्टियों ने सरकार पर निशाना साधा था. कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने कहा था कि इस घटनाक्रम से सीधा सवाल उठता है कि आखिर चुनाव आयोग जैसी संवैधानिक संस्था पर किसका दबाव है? कांग्रेस ने पूछा कि क्या अरुण गोयल ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) या सरकार के साथ किसी मतभेद के कारण ये कदम उठाया है?

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने पूछा था कि क्या गोयल ने व्यक्तिगत कारणों से इस्तीफा दिया है, जैसा कि उन्होंने अपने त्याग पत्र में इसका उल्लेख किया है या कलकत्ता उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश अभिजीत गंगोपाध्याय की तरह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए इस्तीफा दिया है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने हालांकि गोयल के इस्तीफे के बारे में पूछे जाने पर कहा था कि ये देखने के लिए इंतजार करना होगा कि वह आने वाले दिनों में क्या करते हैं.

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