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This Article is From Jun 16, 2022

"तोड़फोड़ कानून के तहत हुई या नहीं?"- यूपी में बुलडोज़र कार्रवाई पर SC ने योगी सरकार को दिया नोटिस

उत्तर प्रदेश में प्रशासन की तरफ से चल रहे बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगाने के लिए जमीयत उलेमा-ए-हिंद की तरफ से दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई. इस दौरान कोर्ट ने यूपी सरकार को नोटिस जारी किया है.

बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगाने के लिए जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने याचिका दायर की है.

नई दिल्ली:

उत्तर प्रदेश में प्रशासन की तरफ से चल रहे बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगाने के लिए जमीयत उलेमा-ए-हिंद की तरफ से दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को नोटिस जारी किया है और तीन दिनों में जवाब मांगा है. फिलहाल बुलडोजर रोकने के लिए कोई अंतरिम आदेश नहीं दिया गया है. इस मामले की सुनवाई अब मंगलवार को होगी. आज जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच ने मामले की सुनवाई की. 

याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सी यू सिंह ने कोर्ट में सुनवाई के दौरान कहा कि ये मामला जरूरी है.  21 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम आदेश जारी किया था. ये सिर्फ जहांगीर पुरी के लिए था. जिसमें यथा स्थिति बरकरार रखी गई थी. लेकिन यूपी के मामले में नोटिस हुआ था. जिस पर अंतरिम आदेश नहीं दिया गया था. सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश में ध्वस्तीकरण की करवाई चल रही है. बयान दिया जा रहा है कि ये गुंडे हैं, ऐसे में ध्वस्तीकरण हो रहा है. सिंह ने आगे कहा कि जो यूपी में चल रहा है वो कभी नहीं देखा गया. यहां तक कि इमरजेंसी में भी ऐसा नहीं हुआ. अवैध ठहराकर बिल्डिंग ढहाई जा रही हैं. आरोपी के घर गिराए जा रहे है, ये सभी पक्के घर है. कई 20 साल से भी पुराने हैं. कई घर दूसरे सदस्यों के नाम पर है. लेकिन गिराए जा रहे हैं.

सुनवाई के दौरन सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि इसमें क्या कानूनी प्रक्रिया हुई? जवाब में सिंह ने कहा कि कोई प्रक्रिया नहीं हुई.  एक मामले में तो ऐसा हुआ कि आरोपी की पत्नी के नाम पर बने घर को गिराया गया. जमीयत के वकील सिंह ने कहा कि कोर्ट तुंरत कार्रवाई पर रोक लगाए. वहीं जस्टिस बोपन्ना ने कहा कि नोटिस जरूरी होते है, हमे इसकी जानकारी है. 

वहीं यूपी की तरफ से SG तुषार मेहता ने कहा कि जहाँगीरपूरी मामले में कोई भी प्रभावित पक्ष यहां नहीं आया. जमीयत ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है और ये एक राजनीतिक दल ने याचिका दाखिल की थी. यूपी प्रशासन की ओर से हरीश साल्वे भी पेश हुए जिन्होंने कहा कि प्रयागराज में 10 मई को नोटिस दिया गया था. दंगो के पहले नोटिस दिया गया था.  25 मई को ध्वस्तीकरण का आदेश जारी किया गया था. कानपुर में भी नोटिस दिया गया था. अगस्त 2020 को नोटिस दिया गया था और  उसके बाद फिर नोटिस दिया गया.

सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से ये साफ कहा कि कोई भी तोड़फोड़ की कार्यवाही कानून की  प्रक्रिया के अनुसार हो. राज्य को सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए. ऐसी भी रिपोर्ट हैं कि ये बदले की कार्यवाही है. ये सही भी हो सकती हैं और गलत भी. अगर इस तरह के विध्वंस किए जाते हैं, कम से कम जो कुछ किया जा रहा है, वे कानून की प्रक्रिया के अनुसार होना चाहिए. 

SG तुषार मेहता ने कहा कि क्या अदालत प्रक्रिया का पालन करने वाले निर्देश जारी कर सकती है? जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम नोटिस जारी करेंगे. आप जवाब दाखिल करें.  सुनिश्चित करें कि इस दौरान कुछ भी अनहोनी न हो. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम तोड़फोड़ रोकने के आदेश नहीं दे सकते. लेकिन कानून की प्रक्रिया का पालन यूपी सरकार करे. सुप्रीम कोर्ट ने यूपी में बुलडोजर कार्यवाही पर जवाब मांगा है. सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार, प्रयागराज और कानपुर के नगरपालिका से बुलडोजर कार्रवाई पर जवाब मांगा है. सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से पूछा है जो बुलडोजर कार्यवाही हुई है वे कानूनी प्रक्रिया के तहत हुई है या नहीं.  सुप्रीम कोर्ट ने दो टूक कहा कि सब कुछ निष्पक्ष दिखना चाहिए.  हम उम्मीद करते हैं कि अधिकारी  कानून के अनुसार कार्य करेंगे.

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