
कश्मीर घाटी में अगले 48 घंटों में ब्रॉडबैंड इंटरनेट सेवाएं बहाल हो जाएंगी. सूत्रों के मुताबिक घाटी में अगले दो दिनों में चरणबद्ध तरीके से ब्रॉडबैंड सेवाएं बहाल होने लगेंगी. ब्रॉडबैंड सेवाएं पहले मध्य कश्मीर के श्रीनगर, बडगाम, गंदरबल से शुरू होने के आसार हैं. वहीं, इसके बाद उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा, बांदीपोरा, बारामुला में ब्रॉडबैंड सेवा बहाल होंगी. इसके बाद दक्षिणी कश्मीर के पुलवामा, कुलगाम, शोपियां, अनंतनाग का नंबर आएगा. इसके बाद राज्यपाल स्थिति की समीक्षा करेंगे और सेलफोन इंटरनेट की बहाली पर फैसला लेंगे. बता दें कि पांच अगस्त को कश्मीर का विशेष दर्जा हटाने और जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने के बाद से वहां किसी भी प्रकार की इंटरनेट सेवाएं बंद थीं.
बता दें कि जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) में अनुच्छेद 370 हटाने के बाद से जारी इंटरनेट बैन और लॉकडाउन के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि घाटी में जारी पाबंदियों की एक हफ्ते के अंदर समीक्षा हो, जहां जरूरत वहां इंटरनेट शुरू किया जाए. जस्टिस एनवी रमणा, जस्टिस सुभाष रेड्डी और जस्टिस बीआर गवई की संयुक्त बेंच ने इस मामले में फैसला सुनाया था. जस्टिस रमना ने फैसला पढ़ते हुए कश्मीर की खूबसूरती का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि कश्मीर ने बहुत हिंसा देखी है. इंटरनेट फ्रीडम ऑफ स्पीच के तहत आता है. यह फ्रीडम ऑफ स्पीच का जरिया भी है. इंटरनेट आर्टिकल-19 के तहत आता है. नागरिकों के अधिकार और सुरक्षा के संतुलन की कोशिशें जारी हैं. इंटरनेट बंद करना न्यायिक समीक्षा के दायरे में आता है. जम्मू-कश्मीर में सभी पाबंदियों पर एक हफ्ते के भीतर समीक्षा की जाए.
अनुच्छेद 370 हटाने के बाद कश्मीर में जारी पाबंदियों पर सुप्रीम कोर्ट की 7 खरी-खरी बातें
अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा था कि धारा 144 लगाना भी न्यायिक समीक्षा के दायरे में आता है. सरकार 144 लगाने को लेकर भी जानकारी सार्वजनिक करे. समीक्षा के बाद जानकारी को पब्लिक डोमेन में डालें ताकि लोग कोर्ट जा सकें. सरकार इंटरनेट व दूसरी पाबंदियों से छूट नहीं पा सकती. केंद्र सरकार इंटरनेट बैन पर एक बार फिर समीक्षा करे. इंटरनेट बैन की समय-समय पर समीक्षा की जानी चाहिए. पाबंदियों, इंटरनेट और बुनियादी स्वतंत्रता की निलंबन शक्ति की एक मनमानी एक्सरसाइज नहीं हो सकती.
कोर्ट ने अपने फैसले में सभी इंटरनेट सेवाओं के निलंबन के निर्देश और सभी सरकारी और स्थानीय निकाय वेबसाइटों की बहाली का आदेश दिया था जहां इंटरनेट का दुरुपयोग न्यूनतम है. कोर्ट ने कहा कि इंटरनेट पर अनिश्चितकाल के लिए प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता. जहां जरूरत हो वहां फौरन इंटरनेट बहाल हो. कोर्ट ने कहा कि व्यापार पूरी तरह से इंटरनेट पर निर्भर है और यह संविधान के आर्टिकल-19 के तहत आता है.
VIDEO: जम्मू-कश्मीर में जारी पाबंदियों की एक हफ्ते के अंदर समीक्षा हो
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