!['विराट को बचाएं या इसे वापस ब्रिटेन भेज दें' : ट्रस्ट का PM मोदी और बोरिस जॉनसन से आग्रह 'विराट को बचाएं या इसे वापस ब्रिटेन भेज दें' : ट्रस्ट का PM मोदी और बोरिस जॉनसन से आग्रह](https://c.ndtvimg.com/2020-12/a564ck7_viraat-aircraft-carrier_625x300_07_December_20.jpg?downsize=773:435)
ब्रिटेन के पीएम बोरिस जॉनसन (Boris Johnson) की गणतंत्र दिवस (Republic Day) समारोह के लिए मुख्य अतिथि के तौर पर संभावित भारत यात्रा के पहले एक ब्रिटिश ट्रस्ट ने पीएम नरेंद्र मोदी और जॉनसन को पत्र लिखा है, इसमें सेवामुक्त किए गए (decommissioned) भारतीय नेवी एयरक्राफ्ट कैरियर विराट (Indian Navy aircraft carrier Viraat) को 'बचाने' की मांग की गई है. विराट रॉयल नेवी में HMS Hermes के तौर पर सेवाएं दे चुका है. पत्र में कहा गया है कि पीएम मोदी ने मदद नहीं की तो गुजरात के अलंग में विराट को कबाड़ (Scrap) में तब्दील करने की प्रक्रिया कभी भी शुरू हो जाएगी.
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दोनों नेताओं को लिखे पत्र में हर्म्स हैरिटेज विराट हैरिटेज ट्रस्ट (Hermes Viraat Heritage Trust) ने यहां तक लिखा है कि यदि सभी प्रयास विफल होते हैं तो भारत को इस 23,900 टन के वॉरशिप को वापस यूके भेज देना चाहिए जहां एक मैरिटाइम म्यूजियम स्थापित किया जा सकता है. NDTV के पास मौजूद ट्रस्ट के इस लेटर में लिखा है, 'ट्रस्ट के इस मामले में वॉरशिप को भारत के मुंबई से यूके तक पहुंचाने के लिए स्थापित टोइंग (towing) एक्सपर्ट्स के कोटेशन भी आ चुके हैं. '
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लेटर के अनुसार, यदि इसकी इजाजत मिलती है तो ट्रस्ट लिवरपूल सिटी सेंटर के ठीक सामने विश्वस्तरीय मैरिटाइम म्यूजियम का निर्माण करेगा. इस समय ट्रस्ट अपने भारतीय पार्टनर एनवीटेक (Envitech) के साथ काम कर रहा है और विराट को गोवा के तट पर मैरिटाइम म्यूजियम के तौर पर तब्दील करने की कोशिश कर रहा है. लेकिन इस योजना को 4 दिसंबर को बड़ा झटका लगा, यह संयोग ही है कि 4 दिसंबर को नेवी डे के तौर पर मनाया जाता है.
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इसी दिन एनवीटेक को रक्षा मंत्रालय की ओर से लेटर मिला जिसमें उस 'नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट' को नामंजूर कर दिया गया था जो अलंग में श्रीराम शिपब्रेकर्स ग्रुप की ओर से इस वॉरशिप को ग्रुप को बेचने के लिए मांगा गया था. इस एनओसी के बिना, श्रीराम ग्रुप, जिसने विराट को सरकार से औनेपौने दाम पर खरीदा था, ने यह वॉरशिप देने से इनकार कर दिया. इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए एनवीटेक की मैनेजिंग पार्टनर रूपाली शर्मा ने NDTV से कहा, 'विक्रेता इसे एनओसी के बगैर नहीं बेचेगा और रक्षा मंत्रालय इसे देने को तैयार नहीं है, उसका कहना है कि विक्रेता इसे बेचना नहीं चाहता. इससे यह साफ प्रतीत होता है कि उसका शिप को कबाड़ (Scrap)में बदलने का इरादा है.'
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