
- बॉम्बे हाईकोर्ट ने योगी आदित्यनाथ पर बनी फिल्म 'अजय: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ ए योगी' को रिलीज की अनुमति दे दी है
- सेंसर बोर्ड ने फिल्म में कई आपत्तियां जताई थीं और इसे सिनेमैटोग्राफ एक्ट का उल्लंघन बताया था
- कोर्ट ने फिल्म के विवादित सीन को देखा और किसी भी सीन को आपत्तिजनक नहीं माना है
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर बनी फिल्म को बॉम्बे हाइकोर्ट से हरी झंडी मिल गई है. ये फिल्म अब जल्द रिलीज हो सकती है. इस फिल्म का टाइटल 'अजय: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ ए योगी' है. जिसकी रिलीज को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही थी. कोर्ट ने साफ किया था कि पहले वो फिल्म देखेगी, फिर इसे लेकर आदेश जारी होगा. जिसके बाद अब फिल्म निर्माताओं को राहत मिली है.
जल्द अनाउंस होगी रिलीज डेट
फिल्म को लेकर निर्माताओं की तरफ से सेंसर बोर्ड पर आरोप लगाए गए थे और देरी की बात कही गई थी. जिस पर हाईकोर्ट ने सुनवाई की और अब बड़ी राहत दी है. कोर्ट ने निर्माताओं की याचिका को सही माना और अब यह फिल्म रिलीज की जाएगी. कोर्ट के आदेश के बाद अब निर्माता ऑर्डर की कॉपी लेकर फिल्म की रिलीज डेट अनाउंस करेंगे.
सेंसर बोर्ड ने जताई थी आपत्ति
सेंसर बोर्ड की तरफ से इस फिल्म को लेकर कई तरह के सवाल उठाए गए थे और इसकी रिलीज पर रोक लगाई गई थी. हाईकोर्ट ने उन तमाम सीन्स को देखा, जिन पर CBFC को आपत्ति थी. हालांकि कोर्ट को किसी भी सीन में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं नजर आया और अब इस फिल्म को रिलीज करने का आदेश जारी हुआ है. सेंसर बोर्ड ने कहा था कि फिल्म सिनेमैटोग्राफ एक्ट का पालन नहीं करती है.
योगी आदित्यनाथ के जीवन और राजनीतिक करियर पर आधारित इस फिल्म में उनकी जिंदगी के तमाम पहलुओं को दिखाया जाएगा. उनके गोरखपुर से लेकर यूपी के सीएम बनने की कहानी इसमें दिखाई जा सकती है.
फिल्म पर थीं कई आपत्तियां
CBFC की तरफ से योगी आदित्यनाथ की जिंदगी पर बनाई गई इस फिल्म को लेकर 29 आपत्तियां दर्ज कराई गई थीं. जिसके बाद 8 आपत्तियों को खारिज कर दिया गया था, हालांकि बाकी आपत्ति बरकरार थी. 17 अगस्त को बोर्ड ने फिल्म को रिलीज करने से इनकार कर दिया. जिसके बाद फिल्म के निर्माताओं ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया.
निर्माताओं ने लगाए थे आरोप
फिल्म को बनाने वालों की तरफ से याचिका में सेंसर बोर्ड पर कई आरोप लगाए गए थे. जिसमें कहा गया कि ये उनके मौलिक अधिकारों का हनन है. निर्माताओं ने आरोप लगाते हुए बताया कि उन्हें योगी आदित्यनाथ से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट लेने के लिए बाध्य किया गया. जो नियमों के खिलाफ है. वहीं CBFC की तरफ से कहा गया कि हर नियम का पालन हुआ है और उन्हीं चीजों पर आपत्ति जताई गई थी, जो सिनेमैटोग्राफ एक्ट का उल्लंघन करते हैं.
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