
भारतीय मजदूर संघ ने केंद्र के बजट को गरीब और मजदूर विरोधी बताया है.
- भारतीय मजदूर संघ ने कहा कि केंद्र का बजट अमीरों के हित में
- वित्त मंत्री ने मजदूर-गरीब तबके को बड़ी राहत नहीं दी
- असंगठित क्षेत्र के लिए कोई बड़ी घोषणा नहीं की गई
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भारतीय मजदूर संघ के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने कई शहरों में गुरुवार को प्रदर्शन किया और मोदी सरकार और वित्त मंत्री के खिलाफ नारे लगाए. इनकी नाराजगी इस बात को लेकर है कि वित्त मंत्री ने मजदूर-गरीब तबके को बड़ी राहत नहीं दी.
भारतीय मजदूर संघ के जोनल सेक्रेटरी पवन कुमार ने एनडीटीवी से कहा, "यह बजट गरीब-विरोधी, आम आदमी विरोधी है. इसमें असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए कुछ नहीं है." उन्होंने कहा कि यह बजट अमीरों के हित में है. नोटबंदी से रेवेन्यू कलेक्शन 38 फीसदी बढ़ा है. इसका मतलब है कि सरकार के पास पैसा आया है, तो फिर सरकार ने यह पैसा मजदूरों के साथ साझा क्यों नहीं किया.
बजट पेश होने से पहले भारतीय मजदूर संघ और अन्य मजदूर संगठनों के नेताओं की वित्त मंत्री से मुलाकात हुई थी. इस दौरान नोटबंदी की वजह से असंगठित श्रेत्र के मजदूरों की बदहाली को दूर करने के लिए विशेष राहत की मांग की गई थी, लेकिन वित्त मंत्री ने असंगठित क्षेत्र के लिए कोई बड़ी घोषणा नहीं की.
भारतीय मजदूर संघ कहता रहा है कि नोटबंदी की वजह से असंगठित क्षेत्र के चार से पांच करोड़ मजदूरों की रोजी-रोटी छिनी है. अब वे नाराज हैं कि बजट में उनकी मांगों का कोई ध्यान नहीं रखा गया.
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