विदेश मंत्री एस जयशंकर (External Affairs Minister S Jaishankar) ने श्रीलंका के आर्थिक संकट (Sri Lanka economic crisis) के बीच कहा कि भारत के लिए श्रीलंका के कठिन समय में उसके साथ खड़ा होना स्वाभाविक है. जयशंकर ने कहा, 'खून का रिश्ता ज्यादा गहरा होता है. भारत के लिए यह स्वाभाविक था कि वह इस मुश्किल वक्त में श्रीलंका के साथ खड़ा होने के लिए क्या कर सकता है.' संकट के समय में भारत बार-बार ‘पड़ोसी पहले की नीति‘ का पालन करते हुए अपने आसपास के देशों के साथ खड़ा रहा है.
भारत अपनी ‘नेबरहुड फर्स्ट‘ नीति के तहत कर्ज में डूबे श्रीलंका की मदद के लिए हमेशा आगे आया है और हाल ही में नई दिल्ली ने 16 मार्च को कलमुनाई में राशन का वितरण भी किया है.
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को नई दिल्ली में आयोजित श्रीलंकाई वास्तुकार ‘जेफ्री बावा‘ प्रदर्शनी के उद्घाटन अवसर पर बोल रहे थे.
कार्यक्रम के दौरान जयशंकर ने कहा, ‘(संजय) कुलतुंगा, (जेफ्री बावा ट्रस्ट के ट्रस्टी) और मैं (भारत और श्रीलंका के बारे में) बात कर रहे थे, मैंने उन्हें याद दिलाया कि खून पानी से गाढ़ा होता है. कठिनाई के क्षण में यह स्वाभाविक था कि हमें देखना चाहिए कि अपने संसाधनों, क्षमताओं और इस कठिन समय में श्रीलंका के साथ खड़े होने के प्रयासों में हम क्या कर सकते हैं.‘
विदेश मंत्री ने कहा, ‘जब मैं श्रीलंका के बारे में सोचता हूं, तो जेफ्री बावा एक ऐसी शख्सियत हैं जो मेरे दिमाग में आती हैं.‘
उन्होंने कहा, ‘वह आधुनिकतावादी आंदोलन के जनक हैं. हमारा परिचय संसद भवन जाने से था. हमने जो देखा वह बहुत ही सरल और क्रांतिकारी था, जिसने दुनिया के कई अन्य हिस्सों को प्रेरित किया. उनकी उपलब्धियां सिर्फ श्रीलंका में नहीं हैं.‘
विदेश मंत्री ने कहा, ‘मुझे विश्वास है कि यह प्रदर्शनी दोनों देशों के बीच बहुत करीबी रिश्ते को बढ़ावा देगी.‘
श्रीलंका में आर्थिक संकट पर बोलते हुए जयशंकर ने कहा, "भारत के लिए आगे आना बहुत स्वाभाविक है. खून पानी से अधिक गाढ़ा होता है. कठिनाई के क्षण में यह स्वाभाविक है. मुझे हमेशा विश्वास रहा है कि आप इस चुनौती से पार पा लेंगे, लेकिन आपके (श्रीलंका) साथ असली दोस्तों का खड़े होना महत्वपूर्ण है."
प्रदर्शनी के उद्घाटन के मौके पर श्रीलंका के राजदूत मिलिंडा मोरागोडा और विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी भी मौजूद थीं.
जेफ्री बावा श्रीलंकाई वास्तुकार थे और अपनी पीढ़ी के सबसे प्रभावशाली एशियाई वास्तुकारों में से एक थे. उनका जन्म 1919 में हुआ था और 2003 में उनका निधन हो गया.
श्रीलंका के विदेश मंत्री अली साबरी ने मार्च की शुरुआत में रायसीना डायलॉग के दौरान कहा था कि भारत ने किसी भी अन्य देश की तुलना में श्रीलंका की अधिक मदद की, खासकर जब देश अभूतपूर्व संकट से जूझ रहा था.
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