पालघर सीट पर उद्धव ठाकरे ने श्रीनिवास वनगा को शिवसेना का प्रत्याशी बनाया था
महाराष्ट्र की पालघर लोकसभा सीट का उपचुनाव इस बार बीजेपी के लिए बेहद प्रतिष्ठापूर्ण बन गया था. इसके अपने कारण थे, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में सहयोगी शिवसेना का प्रत्याशी इस बार उसके सामने चुनौती पेश कर रहा था. दूसरे शब्दों में कहें तो पुराना दोस्त इस बार प्रतिद्वंदी के रूप में उसके सामने था. वर्ष 2014 का लोकसभा चुनाव इन दोनों पार्टियों ने मिलकर लड़ा था. बीजेपी 2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर जीती थी और उसके सांसद चिंतामण वनगा के निधन के कारण इस सीट पर उपचुनाव हुए थे. शिवसेना के प्रत्याशी श्रीनिवास वनगा को 29 हजार से अधिक वोटों से हराते हुए बीजेपी के राजेंद्र गावित इस सीट पर पार्टी का कब्जा बरकरार रखने में सफल रहे.(देखें उपचुनाव परिणाम लाइव अपडेट) इस चुनाव में शिवसेना ने बीजेपी की राह में कांटे बिछाने में कोई कसर बाकी नहीं रखी थी. बीजेपी ने इस सीट ने जब चिंतामन वनगा के बेटे श्रीनिवास के स्थान पर राजेंद्र गावित को टिकट दिया तो शिवसेना ने बड़ा दांव चला. उसने वनगा के बेटे को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया. इस दांव के पीछे उद्धव ठाकरे की पार्टी की सोच यह थी कि श्रीनिवास को प्रत्याशी बनाने से आदिवासी नेता वनगा की मौत के कारण मिलने वाले 'सहानुभूति वोट' उसके खाते में आएंगे.
वीडियो: तबस्सुम हसन बोलीं, 2019 में मिलकर बीजेपी को हराएंगे
यही नहीं, शिवसेना ने प्रचार के दौरान जोरशोर से यह आरोप लगाया कि चिंतामण वनगा को बीजेपी में सम्मान नहीं मिला. यहां तक कि 'सीनियर वनगा' के निधन के बाद उनके बेटे श्रीनिवास को पार्टी ने टिकट के लायक नहीं समझा. शिवसेना को लगा था कि उनकी इस रणनीति के कारण दिवंगत चिंतामणि वनगा के समर्थक बढ़-चढ़कर श्रीनिवास वनगा के पक्ष में वोट करेंगे. हालांकि यह रणनीति काम नहीं कर सकी. बीजेपी के राजेंद्र गावित ने इस प्रतिष्ठापूर्ण सीट पर शुरुआत से ही बढ़त बरकरार रखी. उनकी जीत से इस सीट पर बीजेपी का कब्जा बरकरार रहा.
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यही नहीं, शिवसेना ने प्रचार के दौरान जोरशोर से यह आरोप लगाया कि चिंतामण वनगा को बीजेपी में सम्मान नहीं मिला. यहां तक कि 'सीनियर वनगा' के निधन के बाद उनके बेटे श्रीनिवास को पार्टी ने टिकट के लायक नहीं समझा. शिवसेना को लगा था कि उनकी इस रणनीति के कारण दिवंगत चिंतामणि वनगा के समर्थक बढ़-चढ़कर श्रीनिवास वनगा के पक्ष में वोट करेंगे. हालांकि यह रणनीति काम नहीं कर सकी. बीजेपी के राजेंद्र गावित ने इस प्रतिष्ठापूर्ण सीट पर शुरुआत से ही बढ़त बरकरार रखी. उनकी जीत से इस सीट पर बीजेपी का कब्जा बरकरार रहा.
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