- पंकज चौधरी यूपी बीजेपी के अगले अध्यक्ष होंगे, क्योंकि उनके सामने किसी और ने नामांकन दाखिल नहीं किया है
- चौधरी ने कहा कि वह छोटे कार्यकर्ता से पार्टी के उच्च पद तक पहुंचे हैं, पूरी जिम्मेदारी से दायित्व निभाएंगे
- समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव की टिप्पणी पर पंकज चौधरी ने कहा है कि वह कल उन्हें जवाब देंगे
पंकज चौधरी ने औपचारिक तौर पर यूपी बीजेपी का अध्यक्ष घोषित होने से पहले ही अपने तेवर दिखा दिए हैं. समाजवादी पार्टी के PDA यानी पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक दांव की काट के अस्त्र माने जा रहे पंकज चौधरी ने सपा प्रमुख को करारा जवाब दिया है. नामांकन के बाद NDTV से एक्सक्लूसिव बातचीत में चौधरी ने साफ कर दिया कि वह सियासत के मजबूत खिलाड़ी हैं.
केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री और महराजगंज संसदीय सीट से 7 बार के सांसद पंकज चौधरी यूपी बीजेपी के अगले अध्यक्ष होंगे, ये लगभग तय है. उनके अलावा किसी और ने नामांकन नहीं भरा है. ऐसे में उनका निर्दलीय प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बनने में कोई दो राय नहीं रह गई है.
पंकज चौधरी ने एनडीटीवी से बातचीत में बीजेपी में छोटे कार्यकर्ता को इतने ऊंचे पद तक पहुंचाने की परिपाटी का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि हम छोटे कार्यकर्ता थे और पार्टी के लिए काम करते-करते यहां तक पहुंचे हैं. पार्टी समय-समय पर नया नया दायित्व देती रहती है. हम प्रयास करते हैं कि उस दायित्व का पूरी ताकत से और सही तरीके से निर्वहन करें.
पंकज चौधरी से अखिलेश यादव की टिप्पणियों को लेकर भी सवाल किया गया. पूछा गया कि अखिलेश कह रहे हैं कि बीजेपी अध्यक्ष तो दिल्ली से पहले ही तय हो जाता है, इस पर चौधरी ने तीखे तेवरों के साथ कहा कि इसका जवाब मैं कल दूंगा.
बता दें कि कुर्मी समुदाय से आने वाले पंकज चौधरी की यूपी में बीजेपी के सबसे सीनियर नेताओं में गिनती होती है. उत्तर प्रदेश में कुर्मी यादवों के बाद सबसे बड़ी पिछड़ी जाति है. प्रदेश की लगभग 48 से 50 सीटों पर यह जाति निर्णायक भूमिका रखती है. लोकसभा की 9-10 सीटों पर भी इसका असर है.
2024 के चुनाव में अखिलेश यादव ने मुस्लिम-यादव गठजोड़ से इतर पीडीए का जातिगत समीकरण बुना था, जिसमें कुर्मी समुदाय की बड़ी भूमिका भी थी. इसका फायदा भी उसे मिला था और सपा के 7 कुर्मी सांसद जीतकर संसद पहुंचे थे. ऐसे में बीजेपी का पंकज चौधरी पर दांव उनके इस पीडीए समीकरण की काट साबित हो सकता है. चौधरी का प्रभाव सिर्फ महराजगंज ही नहीं, बल्कि पड़ोसी सिद्धार्थनगर और उसके पड़ोसी जिलों के साथ-साथ नेपाल में भी असर माना जाता है.
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