भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने नोएडा में पदाधिकारियों के साथ अपना टिफिन शेयर करके बैठक की. इस मौके पर जेपी नड्डा ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ बैठक स्वाभाविक है, इसमें प्रधानमंत्री के सुझाव पर ऐसी बैठकों को टिफिन बैठक में तब्दील किया है, जिसमें सभी कार्यकर्ता अपने घर से टिफिन लेकर आते हैं. सामूहिकता में चर्चा होती है. पार्टी को कैसे मजबूत किया जाए, इस पर बात होती है. पीएम मोदी के कार्यों को किस तरह जनता के बीच ले जाएंगे उसकी चर्चा करते हैं.
इस अवसर पर जेपी नड्डा ने कहा कि नोएडा के विधानसभा में आने का मौका मिला. इसमें हमने पुराने कार्यकर्ता भी बुलाएं है. समय-समय पर टिफिन बैठक आगे भी होगी. इससे कार्यकर्ता दूसरे कार्यकर्ताओं का टिफिन खाते हैं. मैं भी अपना टिफिन लेकर आया था, मेरा टिफिन भी कार्यकर्ताओं ने खाया. साल 2024 के लिए हम पूरी तरह तैयार है.
इस मौके उप्र बीजेपी अध्यक्ष भूपेंदर चौधरी, सांसद महेश शर्मा समेत करीब 250 पदाधिकारी मौजूद रहे. भाजपा ने कहा कि 'चाय पर चर्चा' के बाद 'टिफिन पर चर्चा' से सामूहिकता का अहसास होगा.
बता दें कि अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने विभिन्न माध्यमों के जरिये मोदी के नेतृत्व की केन्द्र सरकार की उपलब्धियों को जनता के बीच ले जाने के लिए कार्यक्रमों का आयोजन शुरू किया है. 30 जून तक चलने वाले महाजनसंपर्क अभियान में 'टिफिन पर चर्चा' भी एक कड़ी है.
इससे पहले मंगलवार को जेपी नड्डा सहित पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने आगामी विधानसभा चुनावों और 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले संगठनात्मक तंत्र की समीक्षा के साथ ही उसे और मजबूत बनाने के मकसद से पिछले 24 घंटे में मैराथन बैठकें कीं. सूत्रों ने बताया कि महासचिव (संगठन) बी एल संतोष सहित पार्टी नेताओं ने सोमवार रात और मंगलवार को बैठक की. बैठकों के एजेंडे में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है. हालांकि, पार्टी सूत्रों ने कहा कि बैठकों में वर्तमान राजनीतिक स्थिति के साथ ही संगठनात्मक मामलों का जायजा लिया गया.
कर्नाटक विधानसभा चुनावों में कांग्रेस से हारने के बाद, भाजपा आगामी राज्य विधानसभा चुनावों में अच्छा प्रदर्शन सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है. राजस्थान और छत्तीसगढ़ में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं, जहां कांग्रेस सत्ता में है. मध्य प्रदेश में भी विधानसभा चुनाव हैं जहां भाजपा का शासन है. तेलंगाना में भी चुनाव होने हैं, जहां 2014 में राज्य के गठन के बाद से भारत राष्ट्र समिति शासन कर रही है. भाजपा की कोशिश जहां राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को सत्ता से बेदखल करने की है, वहीं मध्य प्रदेश में सत्ता बचाए रखने की भी उसके समक्ष चुनौती है. तेलंगाना में भी भाजपा बीआरएस को पटखनी देने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है.
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