Gujarat Assembly Elections: गुजरात में चुनाव प्रचार चरम पर पहुंच चुका है. चुनाव मैदान में मौजूद तीनों प्रमुख दल बीजेपी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच जोरआजमाइश बढ़ती जा रही है. गुजरात चुनाव को लेकर कांग्रेस पार्टी के गुजरात के पूर्व अध्यक्ष अर्जुन मोढवाडिया से एनडीटीवी ने खास बातचीत की. उन्होंने दावा किया कि गुजरात में बीजेपी पूरी तरह असफल हो चुकी है और जनता बदलाव चाहती है. उन्होंने भरोसा जताया कि राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस आगे बढ़ेगी.
राहुल गांधी की रैलियों से गुजरात में कांग्रेस को कितनी मदद मिलेगी? इस सवाल पर अर्जुन मोढवाडिया ने कहा कि, राहुल गांधी आज से गुजरात में चुनाव प्रचार शुरू कर रहे हैं, इससे पहले हमारा बहुत सा होमवर्क हो चुका था. यह गुजरात का चुनाव है, दिल्ली या केंद्र सरकार का लोकसभा चुनाव नहीं है. यह स्थानीय स्तर पर लड़ा जाने वाला चुनाव है. लोगों में महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और लॉ एंड ऑर्डर को लेकर नाराजगी है. ये चार मुद्दे आज जनता के सामने हैं. गुजरात में आज जो भाजपा की सरकार है, वह 100 पर्सेंट फेल हुई है. इसी की वजह से यहां विजय रूपाणी की पूरी सरकार बदलनी पड़ी. इसका एक भी मंत्री रिपीट नहीं किया गया. और ये पूरी जिम्मेदारी प्रधानमंत्री और उसके सहयोगी ले रहे हैं.
उन्होंने कहा कि, गुजरात में कोई जानता भी नहीं है कि राज्य के मुख्यमंत्री कौन हैं. चुनाव प्रचार में (बीजेपी) गुजरात का कोई नेतृत्व नहीं है, इसीलिए प्रचारक बाहर से ला रहे हैं. मोढवाडिया ने कहा कि, हमारी तो यहां इंटरनल स्ट्रैंथ है, जो राहुल जी ने तैयार की है, उस पर ज्यादातर निर्भर हैं. राहुल जी आज से प्रचार की शुरुआत कर रहे हैं और इससे हमें बहुत भारी मात्रा में 'बूस्टर डोज' मिलेगा. सूरत और राजकोट में आज रैलियां हैं.
राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा की बात कर रहे हैं, रोजगार महंगाई की बात कर रहे हैं. गुजरात की जनता पर इसका असर पड़ेगा? क्या ये मुद्दे वहां पर लोगों को समझ आ रहे हैं? इस सवाल पर अर्जुन मोढवडिया ने कहा कि, जरूर समझ आ रहे हैं. राहुल जी स्ट्रेट फॉर्वर्ड बोलते हैं, वो सही है. 27 साल में सिर्फ नात, जात और धर्म से परे भारतीय जनता पार्टी ने एक भी दफा एक चुनाव लड़ा? पहली दफा यह ऐसा चुनाव है जिसमें कि लोग समझ गए हैं कि ये मुद्दा तो बहुत दफा रिपीट हो चुका, 2000 से लेकर आज तक. और 2000 के पहले की सरकारों ने भी यही किया. 27 साल में भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने न एक नई अस्पताल बनाई है, ना एक सरकारी स्कूल या कालेज बनाया है ना एक नया बांध बनाया गया है. न बंदरगाह, ना एक नया एयरपोर्ट, न ही नया रेलवे स्टेशन बनाया. गुजरात में 27 साल में कुछ भी नया नहीं बना.
अर्जुन मोढवडिया ने कहा कि, गुजरात में बड़ा डेवलपमेंट जरूर हुआ है, लेकिन वह सिर्फ 'कमलम' (बीजेपी कार्यालय) का हुआ है. कमलम का डिस्ट्रिक्ट से लेकर स्टेट ऑफिस तक देख लो, वो महालय जैसा है. जैसे पहले पुराने जमाने में राजाओं का महल होता था. ऐसे कमलम उन्होंने बनाए, लेकिन लोगों के घर वैसे के वैसे ही रहे. लोगों को आज चूल्हा जलाना हो तो उनके पास गैस नहीं है. डीजल पेट्रोल महंगा हो गया है. भोजन की जरूरत की चीजें बहुत महंगी हैं.
राहुल गांधी आदिवासियों की बात कर रहे हैं. लेकिन गृहमंत्री अमित शाह कह रहे हैं कि कांग्रेस ने तो धोखा दिया आदिवासियों को, हमने तो राष्ट्रपति भी इस समाज से बनाए? इस प्रश्न पर अर्जुन मोढवडिया ने कहा कि, मैं उनसे पूछता हूं कि गुजरात में आदिवासी मुख्यमंत्री क्यों नहीं बनाते? हमने तो आदिवासी मुख्यमंत्री बनाए हैं. राष्ट्रपति जरूर हैं, लेकिन एक्जीक्यूटिव पॉवर तो प्राइम मिनिस्टर, मिनिस्टर और चीफ मिनिस्टर के पास हैं. वे क्यों नहीं बनाते, इसका उनके पास कोई जवाब नहीं है. आदिवासियों को सिर्फ वोट बैंक के तौर पर उपयोग करना और सिर्फ चुनाव में याद रखना, ये ठीक नहीं है. उनको जो अधिकार हमने दिया था, कांग्रेस की सरकारों ने दिया था, वो छीन लिया गया है. पढ़ने का अधिकार भी आज छीन लिया गया है. उनेके लिए हमने एकलव्य स्कूलें बनाईं, लेकिन उन स्कूलों में टीचर नहीं हैं, बिल्डिंगें अच्छी नहीं हैं. कमलम इतना अच्छा बना दिया तो आदिवासी का घर इतना अच्छा क्यों नहीं बनाया?
'कमलम' के बारे में सवाल करने पर अर्जुन मोढवडिया ने कहा कि, भारतीय जनता पार्टी का गुजरात में अहमदाबाद और गांधीनगर के बीच में जो हेड क्वार्टर है, उसको कमलम कहा जाता है. कमलम रिलायंस और टाटा के आफिसों से भी अधिक आधुनिक बनाया गया है.
उन्होंने कहा कि इस बार बदलाव जनता ने तय किया है. राहुल गांधी की अगुवाई में कांग्रेस पार्टी इस संकल्प को आगे बढ़ाएगी.
कांग्रेस के सामने कितनी बडी चुनौती है आम आदमी पार्टी? इस सवाल पर अर्जुन मोढवडिया ने कहा कि, देखो एक कहावत है, सूत न कपास और जुलाहों में धमाधम.. जिस पार्टी के पास एक एमएलए नहीं है, एक पंचायत नहीं है, एक म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन या म्यूनिसिपैलिटी नहीं है, वह सरकार बनाने की बात कर रही है, और वह भी चुनाव के वक्त आकर. चुनाव के वक्त यहां दिल्ली से आकर क्या वे सरकार बनाएंगे. उनको अपने खुद के कैडर के कैंडिडेट तक नहीं मिल रहे हैं. वे कहीं भाजपा से ले आए, जिसको टिकट नहीं मिला तो उसे कांग्रेस में से ले आए. इधर-उधर से लाकर चुनाव में खड़ा कर दिया. क्या इससे सरकार बनेगी? यह तो बीजेपी को जिताने के लिए वोट काटने वाली उसकी बी टीम है.
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