दिल्ली विधानसभा चुनाव में 48 सीट का दावा करने वाली बीजेपी 8 सीट पर सिमट गई. शाहीन बाग के प्रदर्शन, पाकिस्तान और CAA के मुद्दे पर आक्रामक चुनाव प्रचार करने वाली बीजेपी चारो खाने चित्त हो गई. केजरीवाल को आतंकवादी बोलने वाले प्रवेश वर्मा अपने चाचा आजाद सिंह को भी चुनाव में जीत नहीं दिलवा पाए. हालांकि बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी मतदान से पहले और मतदान के बाद भी जीत का लगातार दावा करते रहे लेकिन बाद में अंतिम परिणाम आते-आते उन्होंने हार की नैतिक जिम्मेदारी ले ली.
हालांकि बीजेपी इस बात को लेकर अपने आप को दिलासा दिलवा रही है कि बीते तीन विधानसभा चुनाव में उसका वोट परसेंटेज करीब 32 फीसदी से बढ़कर 39 फीसदी तक पहुंच गया है. लेकिन बीजेपी के लिए चिंता की बात यह है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में शाहीन बाग के प्रदर्शन को बीजेपी नेताओं ने मुद्दा बनाकर 6500 रैली करके भी केजरीवाल के जीत के तिलिस्म को तोड़ नहीं सकी.
दूसरी तरफ माना यह जा रहा है कि केजरीवाल का फ्री पानी और बिजली का मुद्दा, हिन्दू वोटों का ज्यादा ध्रुवीकरण न होना, कांग्रेस पार्टी के मतों में हुई गिरावट और उसका आम आदमी पार्टी की तरफ शिफ्ट होना, चुनाव का स्थानीय मुद्दों पर होना आम आदमी पार्टी की जीत के प्रमुख किरदार बने.
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