बिलकिस बानो केस का एक दोषी सरकारी कार्यक्रम में बीजेपी सांसद और विधायक के साथ नजर आया

बिलकिस बानो मामले के दोषियों में से एक शैलेश चिमनलाल भट्ट ने दाहोद के बीजेपी के सांसद जसवंत सिंह भाभोर और विधायक शैलेश भाभोर के साथ मंच साझा किया

बिलकिस बानो केस का एक दोषी सरकारी कार्यक्रम में बीजेपी सांसद और विधायक के साथ नजर आया

बिलकिस बानो मामले के लिए सुप्रीम कोर्ट ने नई पीठ गठित की है, मामले की सुनवाई सोमवार को होगी.

नई दिल्ली :

बिलकिस बानो मामले में उम्रकैद की सजा पाए 11 दोषियों की समय से पहले रिहाई की अनुमति देने वाले गुजरात सरकार के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में कल सुनवाई होगी. इससे पहले इस मामले के दोषियों में से एक शैलेश चिमनलाल भट्ट ने दाहोद के बीजेपी के सांसद जसवंत सिंह भाभोर और विधायक शैलेश भाभोर के साथ शनिवार को मंच साझा किया. यह एक सरकारी कार्यक्रम था.

सरकार की हर घर जल योजना से संबंधित इस कार्यक्रम में बिलकिस बानो प्रकरण का दोषी शैलेश चिमनलाल भट्ट भाजपा सांसद और विधायक के बगल में बैठे देखा गया. यह कार्यक्रम दाहोद जिले के करमाडी गांव में 25 मार्च को हुआ था.

बिलकिस बानो मामले के लिए सुप्रीम कोर्ट ने नई पीठ गठित की, सुनवाई सोमवार को

सुप्रीम कोर्ट 2002 के गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो सामूहिक बलात्कार मामले में 11 दोषियों की सजा में छूट को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 27 मार्च को सुनवाई करेगा. जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ कई राजनीतिक और नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं की ओर से दायर याचिकाओं और बानो द्वारा दायर एक रिट याचिका पर सुनवाई करेगी.

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने 22 मार्च को मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया था और याचिकाओं की सुनवाई के लिए एक नई पीठ गठित करने पर सहमति व्यक्त की थी.

गौरतलब है कि चार जनवरी को जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की पीठ के समक्ष यह मामला आया था, लेकिन जस्टिस त्रिवेदी ने बिना कोई कारण बताए मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था.

सभी 11 दोषियों को गुजरात सरकार ने सजा में छूट दी थी और पिछले साल 15 अगस्त को रिहा कर दिया था. 

बिलकिस बानो ने अपनी लंबित रिट याचिका में कहा है कि राज्य सरकार ने उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्धारित कानून की पूरी तरह से अनदेखी करते हुए एक ‘यांत्रिक आदेश' पारित किया. उन्होंने कहा, 'बिलकिस बानो के बहुचर्चित मामले में दोषियों की समय से पहले रिहाई ने समाज की अंतरात्मा को झकझोर कर रख दिया है और इसके परिणामस्वरूप देश भर में कई आंदोलन हुए हैं.'

इसमें कहा गया है, 'जब देश अपना 76वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा था, तो सभी दोषियों को समय से पहले रिहा कर दिया गया था और उन्हें सार्वजनिक रूप से माला पहनाई गई तथा उनका सम्मान किया गया एवं मिठाइयां बांटी गईं.'

दोषियों की रिहाई के खिलाफ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) नेता सुभाषिनी अली, स्वतंत्र पत्रकार रेवती लाल, लखनऊ विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति रूप रेखा वर्मा और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की सांसद महुआ मोइत्रा की ओर से दायर जनहित याचिकाएं शीर्ष अदालत के पास लंबित हैं.

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घटना के वक्त बिलकिस बानो 21 साल की थीं और पांच महीने की गर्भवती भी थीं. गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन के एक डिब्बे में आग की घटना के बाद भड़के दंगों के दौरान उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था और उसके परिवार के सात सदस्यों की हत्या कर दी गई थी, जिनमें तीन साल की एक बेटी भी शामिल थी.