बिहार में चिराग पासवान (Chirag Paswan) बनाम चाचा पशुपति पारस (Pashupati Kumar Paras) की बात आई तो बीजेपी ने चिराग पासवान के पक्ष को चुन लिया है. लोकसभा चुनाव से कुछ हफ्ते पहले बीजेपी ने अपना रुख साफ कर दिया है. अब सवाल ये है कि चाचा पशुपति पारस क्या करेंगे. उनकी पार्टी में हलचल तेज है. इसी मामले को लेकर पशुपति पारस ने बैठक भी बुलाई है, जो कि आज 3 बजे होगी. इसमें पार्टी के संसदीय बोर्ड के सभी सदस्य, सांसद और पदाधिकारी मौजूद रहेंगे. इसमें पार्टी की रणनीति को लेकर फैसला होगा. बता दें कि बीजेपी ने पारस की पार्टी को सीटें देने से इंकार कर दिया है. उसके बाद पार्टी अपने विकल्पों की तलाश कर रही है. 2021 में भतीजे चिराग पासवान के साथ बगावत करके एलजेपी को तोड़ने वाले पशुपति पारस अब हरियाणा में दुष्यंत चौटाला के साथ बीजेपी के छोड़े गए सहयोगियों की कतार में शामिल हो गए हैं.
बता दें कि बीजेपी ने चिराग पासवान की पांच सीटों की मांग मान ली है, जिसमें हाजीपुर सीट भी शामिल हैं, जहां से उनके पिता रामविलास पासवान 7 बार निर्वाचित हुए थे और 2019 में जहां से उनके चाचा पशुपति पारस ने जीत हासिल की थी. हालांकि बीजेपी के इस कदम से नीतीश कुमार बहुत खुश ना हों, जो हाल ही एनडीए गठबंधन में वापस लौटे हैं.
बिहार में एनडीए गठबंधन की लड़ाई में बीजेपी ने बढ़त ले ली है. वह 40 में से 17 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. वहीं नीतीश कुमार की पार्टी 16 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी पांच सीटों पर चुनाव लड़ेगी. उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी एक-एक सीट पर चुनाव लड़ेंगे.
गौरतलब है कि रामविलास पासवान के निधन के बाद साल 2021 में लोक जनशक्ति पार्टी दो हिस्सों में टूट गई थी. इसका एक धड़ा 'राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी' पशुपति कुमार पारस के साथ है, जबकि एक राम विलास पासवान के बेटे चिराग पासवान के पास है. लोक जनशक्ति पार्टी को साल 2019 के लोकसभा चुनाव में NDA में साझेदारी के तहत 6 सीटें मिली थीं. इन सभी 6 सीटों पर LJP की जीत हुई थी. पार्टी में टूट के बाद पशुपति कुमार पारस के साथ LJP के 5 सांसद हैं. वहीं, जमुई सीट से सांसद चिराग पासवान हैं. हालांकि चिराग पासवान इसके बाद भी अपने धड़े LJP(R) को राम विलास पासवान की मूल पार्टी बताते हैं. उनके पास इसके लिए कई तर्क हैं. पिछले साल हुए नगालैंड विधानसभा चुनाव में पहली बार LJP(राम विलास) को 2 सीटों पर जीत मिली थी और वो 8 सीटों पर दूसरे नंबर पर रही थी. चिराग पासवान ने साल 2020 के बिहार विधानसभा में लोक जनशक्ति पार्टी को बिना किसी गठबंधन के चुनाव मैदान में उतारा था. उन चुनावों में पार्टी को केवल एक जीत मिली थी.
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