बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Bihar CM Nitish Kumar) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) द्वारा राजनीतिक वंशवाद (Political Dynasty) को लेकर किए गए ‘सटीक' आकलन और बिहार के मुख्यमंत्री को इस परिपाटी को रोकने वाला चमकदार उदाहरण बताए जाने पर सोमवार को आभार व्यक्त किया. वरिष्ठ समाजवादी नेता ने यह आभार प्रधानमंत्री मोदी द्वारा पिछले सप्ताह दिए गए साक्षात्कार के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में व्यक्त किया जिसमें उन्होंने राजनीतिक दलों में परिवार के प्रभुत्व की निंदा की थी और कहा था इनमें वे भी शामिल हैं जो ‘‘समाजवाद''की विचारधारा से जुड़े रहने का दावा करते हैं.
मोदी की यह टिप्पणी उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बिहार में मुख्य विपक्षी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) को लेकर थी. उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं. मोदी ने कहा था कि दिवंगत राम मनोहर लोहिया और जॉर्ज फर्नांडिज के अलावा ‘‘हमारे सहयोगी नीतीश बाबू'' हैं जो ‘‘ समाजवादियों'' के तौर पर उभरे व अपना राजनीतिक वंश स्थापित करने के लालच में नहीं पड़े.
कुमार ने बिना नाम लिए कहा, ‘‘जबतक आप अपनी मेहनत से हासिल करते हैं तो ठीक है लेकिन एक बार आप अपनी पत्नी को अपने स्थान पर नियुक्त करते हैं, पार्टी पर बेटे को थोपना शुरू कर देते हैं तो आप खतरनाक कदम उठाते हैं.''
नीति आयोग से खफा नीतीश कुमार, बोले- लाख कर लेंगे तो भी विकास के राष्ट्रीय औसत के नीचे ही रहेंगे
उल्लेखनीय है कि राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने अपनी पत्नी राबड़ी देवी को बिहार का मुख्यमंत्री बनाया था और अपने छोटे बेटे तेजस्वी यादव को नेता प्रतिपक्ष नियुक्त किया है. कुमार ने जोर दिया कि किसी भी पार्टी के लिए लंबे समय के लिए वंशवाद नुकसानदेह है. उन्होंने कहा, ‘‘कई स्थानों पर ऐसी पार्टियां अपना प्रभाव खोने लगी हैं.''उन्होंने कहा, ‘‘यह प्रधानमंत्री की कृपा है जिन्होंने इस मुद्दे पर बात की.''
इसके साथ ही नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त करने के लिए ‘योग्य'' है. उन्होंने इसके साथ ही अपनी यह मांग भी दोहराई. कई साल से बिहार को विशेष दर्जा देने की मांग कर रहे कुमार ने कहा कि इससे राज्य, केंद्र की विशेष सुविधाओं का हकदार होगा और यह बिहार के लिए जरूरी है. साप्ताहिक जनसंवाद कार्यक्रम से इतर संवाददाताओं से बातचीत में मुख्यमंत्री ने कहा कि नीति आयोग के मुताबिक बिहार पिछड़ा राज्य है.
उन्होंने सवाल किया, ‘‘(बिहार) सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद विकास दर पर्याप्त नहीं है. इसलिए हम बिहार को विशेष दर्जा देने की मांग कर रहे हैं. इसमें गलत क्या है?'' संवाददाताओं के सवालों का जवाब देते हुए कुमार ने कहा कि नीति आयोग ने बिहार का आकलन करने के लिए पुराने मानकों का इस्तेमाल किया है और उसकी मूल्यांकन प्रक्रिया न्यायोचित नहीं है, क्योंकि राज्य हर साल सभी क्षेत्रों में विकास कर रहा है.
कुमार ने जोर देकर कहा, ‘‘मैं उन लोगों की परवाह नहीं करता जो बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने का विरोध करते हैं. हम सभी जानते हैं कि राज्य में प्रति व्यक्ति आय, मानव संसाधन और जीवन स्तर राष्ट्रीय औसत से कम है. बिहार में जनसंख्या घनत्व उच्च है, इसलिए बिहार को विशेष दर्जे की जरूरत है.''
केंद्र सरकार द्वारा अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के अलावा अन्य जातियों की जनगणना कराने से इनकार के बाद बिहार सरकार द्वारा अपने स्तर पर जातीय जनगणना कराने की योजना के सवाल पर कुमार ने कहा, ‘‘हम जल्द ही इस मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक बुलाएंगे और उसके बाद राज्य में यह प्रक्रिया आगे बढ़ाई जाएगी.''
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