
Operation Against Naxal: पहलगाम आतंकी हमले को लेकर पूरे देश में गम और गुस्से का माहौल है. इस वारदात के बाद भारत-पाकिस्तान के रिश्ते भी बेहद तल्खी भरे दौर में पहुंच चुका है. इस बीच पूर्वी भारत में जवानों ने लाल आतंक के खिलाफ अब तक का सबसे बड़ा अभियान छेड़ दिया है. दरअसल छत्तीसगढ़, तेलंगाना और महाराष्ट्र की सीमाएं जिस इलाके में मिलती है, उस क्षेत्र में 10 हजार से अधिक कमांडो नक्सल के खिलाफ निर्णायक अभियान चला रहे हैं. सुरक्षा बलों ने प्रेस नोट में इस अभियान को निर्णायक बताया है.
4 दिन से नक्सल के खिलाफ चल रहा अभियान
बताया जाता है कि यह अभियान बीते 4 दिनों से चल रहा है. मालूम हो कि कर्रेगट्टा, नाडपल्ली और पुजारी कांकेर के घने जंगलों से घिरे इस इलाके को नक्सल बटालियन नंबर 1 का गढ़ माना जाता है. इसी पूरे इलाके में नक्सल के खिलाफ सबसे बड़ा अभियान चल रहा है.
महाराष्ट्र, तेलंगाना और छत्तीसगढ़ के करीब 10 हजार विशेष जवान शामिल
बताया गया कि इस ऑपरेशन में करीब 10 हजार विशेष जवान शामिल हैं. जिसमें महाराष्ट्र के C-60, तेलंगाना के ग्रेहाउंड्स और छत्तीसगढ़ के DRG के जवान शामिल हैं. ये सभी जवान इन जंगलों में एक बड़ी निर्णायक लड़ाई में उतरे हैं, चारों दिशाओं से जवानों ने इन दुर्गम पहाड़ियों को घेर लिया है.
हिड़मा, देवा, विकास जैसे शीर्ष नक्सली कमांडर इसी क्षेत्र में
उल्लेखनीय हो कि नक्सलियों के खिलाफ जहां यह अभियान चल रहा है, वहीं हिड़मा, देवा और विकास जैसे शीर्ष नक्सली कमांडर मौजूद हैं. साथ ही सेंट्रल कमेटी, DKSZCM (दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी), DVCM, ACM और संगठन सचिव जैसे बड़े स्तर के कैडर भी यहीं छिपे हुए हैं.
सरेंडर करो या समाप्त हो जाओ... नक्सलियों के पास बस दो विकल्प
ऑपरेशन में शामिल अधिकारियों का कहना है कि अब नक्सलियों के पास दो ही विकल्प बचे हैं- "सरेंडर करो या समाप्त हो जाओ." मालूम हो कि गृह मंत्री अमित शाह पहले ही नक्सल के समाप्ति की डेडलाइन तय कर चुके हैं. अमित शाह कई मौकों पर यह कह चुके हैं कि 31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद समाप्त हो जाएगा.
यह भी पढ़ें - सुकमा मुठभेड़ पर NDTV की ग्राउंड रिपोर्ट: 17 नक्सली ढेर, 25 लाख का इनामी कमांडर भी मारा गया
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं