बेंगलुरु के एक सिविल कोर्ट ने आईपीएस अधिकारी डी रूपा और लगभग 60 मीडिया घरानों को आईएएस अधिकारी रोहिणी सिंधुरी के खिलाफ "झूठे और मानहानिकारक" बयान प्रकाशित करने पर प्रतिबंध लगा दिया है. कर्नाटक की दो महिला नौकरशाहों के बीच "निजी तस्वीरों" को लेकर सार्वजनिक रूप से झगड़ा चल रहा है.
सोशल मीडिया पर रोहिणी सिंधुरी की निजी तस्वीरें साझा करने वालीं आईपीएस डी रूपा ने दावा किया कि सिंधुरी ने पुरुष आईएएस अधिकारियों को अपनी तस्वीरें भेजकर सेवा आचरण नियमों का उल्लंघन किया था. डी रूपा ने आरोप लगाया कि सिंधुरी ने उन तस्वीरों को 2021 और 2022 में तीन आईएएस अधिकारियों के साथ साझा किया था.
इस झगड़े के कारण सरकार ने दोनों महिला अधिकारियों को पोस्टिंग के बिना स्थानांतरित कर दिया. डी रूपा के पति मुनीश मौदगिल, जो कि खुद एक आईएएस अधिकारी हैं, का भी तबादला कर दिया गया. डी रूपा को कर्नाटक हस्तशिल्प विकास निगम की प्रबंध निदेशक और रोहिणी सिंधुरी को हिंदू धार्मिक संस्थानों और धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग के आयुक्त के पद से हटा दिया गया.
सिविल कोर्ट ने आज एक मीडिया हाउस को सम्मन और प्रतिबंध का आदेश जारी किया, जिसने पहले कैविएट दायर किया था. मीडिया हाउस और डी रूपा को 7 मार्च 2023 को अपनी आपत्ति दर्ज कराने का आदेश दिया गया है. बाकी मीडिया हाउसों को 17 मार्च तक आपत्ति दर्ज कराने का समय दिया गया है.
चर्चा का विषय बने इस विवाद में डी रूपा ने सिंधुरी के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप भी लगाए. इससे पहले सिंधुरी ने दावा किया था कि उनके खिलाफ "झूठा, व्यक्तिगत बदनामी करने का अभियान" चला रहा है.
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