9 नवंबर 2019 के बाद एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में मंदिर- मस्जिद विवाद पर बड़ी सुनवाई होने जा रही है. खास बात ये है कि रामजन्मभूमि- बाबरी मस्जिद सुनवाई से अब ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Dispute) में सर्वे पर रोक लगाने की मांग कर रही याचिका पर सुनवाई करने वाले एक जज और वकील का संबंध रहा है. बेंच की अगुवाई कर रहे जस्टिस धनंजय वाई चंद्रचूड़ अयोध्या मामले की 40 दिनों तक सुनवाई कर फैसला देने वाले पांच जजों के पीठ में शामिल थे,जबकि जस्टिस पीएस नरसिम्हा इस मामले में बतौर वरिष्ठ वकील हिंदू पक्ष की ओर से पेश हुए थे. वो साल 1950 में पहली बार कोर्ट का दरवाजा खटखटाने वाले गोपाल सिंह विशारद के उत्तराधिकारी राजेंद्र सिंह की तरफ से पेश हुए थे. उन्होंने दलील दी थी कि वो बगैर किसी बाधा के भगवान श्रीराम की जन्मभूमि पर पूजा करने का हकदार हैं. इसके अलावा विशारद ने भगवान राम की मूर्तियों को हटाने के खिलाफ स्थायी निषेधाज्ञा की भी मांग की थी, लेकिन 31 अगस्त 2021 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया. एक और खास बात ये है कि दोनों जज देश के मुख्य न्यायाधीश बनने की कतार में हैं. जस्टिस चंद्रचूड़ इसी साल नवंबर में CJI बनेंगे तो जस्टिस नरसिम्हा 2027 में CJI बनेंगे. जस्टिस चंद्रचूड़ का कार्यकाल दो साल का होगा जबकि जस्टिस नरसिम्हा 7 महीने के लिए CJI बनेंगे.
बता दें कि वाराणसी में ज्ञानवापी-शृंगार गौरी परिसर के सर्वे के खिलाफ ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट आज अहम सुनवाई करेगा. न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ इस मामले की सुनवाई करेगी. मस्जिद कमेटी ने अपनी याचिका में मस्जिद में सर्वे कराने के लोकल कोर्ट के आदेश को प्लेसेज ऑफ वर्शिप ऐक्ट का उल्लंघन बताया है और उसे चुनौती दी है. याचिका में सर्वे पर रोक लगाने की मांग की गई है. उधर वाराणसी कोर्ट में भी आज सुनवाई होनी है, जिसमें कोर्ट कमिश्नर को सर्वे रिपोर्ट सौंपना है. कोर्ट कमिश्नर को आज स्थानीय अदालत में अपनी रिपोर्ट सौंपनी है. लेकिन एडवोकेट कमिश्नर अजय प्रताप सिंह ने बताया है कि अभी 50 परसेंट ही रिपोर्ट तैयार हो पाई है लिहाजा आज अदालत में रिपोर्ट कंप्लीट करने के लिए दो-तीन दिन का समय मांगेंगे.
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