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Bharat Biotech के को-फाउंडर डॉ. कृष्ण इल्ला को जॉन्स हॉपकिन्स ने डीन मेडल से किया सम्मानित

डॉ. कृष्ण इल्ला ने कहा, "मैं इस मेडल को भारत की वैज्ञानिक उत्कृष्टता की वैश्विक मान्यता के रूप में स्वीकार करता हूं. इस मेडल को मैं अपने देश को समर्पित करता हूं, जिसने विज्ञान और अनुसंधान व विकास को आगे बढ़ाकर उल्लेखनीय सफलता हासिल की है.

Bharat Biotech के को-फाउंडर डॉ. कृष्ण इल्ला को जॉन्स हॉपकिन्स ने डीन मेडल से किया सम्मानित
नई दिल्ली:

भारत बायोटेक (Bharat Biotech) के सह-संस्थापक और एग्जिक्यूटिव चेयरमैन डॉ. कृष्ण इल्ला (Dr Krishna Ella) को जॉन्स हॉपकिन्स ब्लूमबर्ग स्कूल के सबसे बड़े सम्मान डीन मेडल (Dean's Medal) से सम्मानित किया गया है. डॉ. इल्ला को उनके असाधरण नेतृत्व, दृष्टिकोण और सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार में योगदान के लिए ये सम्मान मिला है. बाल्टीमोर, मैरीलैंड में 22 मई 2024 को हुए ब्लूमबर्ग स्कूल के दीक्षांत समारोह में  डीन एलेन जे मैकेंजी ने उन्हें ये मेडल पहनाया. भारत बायोटेक ने देश में कोरोना के लिए कोवैक्सीन बनाई थी.

हॉपकिन्स स्कूल के बयान में कहा गया, "जॉन हॉपकिंस ब्लूमबर्ग स्कूल वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य पर केंद्रित स्वदेशी और सुरक्षित कोरोना वैक्सीन विकसित करने के लिए डॉ. इल्ला के काम को स्वीकार करता है." डीन मेडल हॉपकिन्स स्कूल का सर्वोच्च सम्मान है, जो उत्कृष्ट सार्वजनिक स्वास्थ्य शोधकर्ताओं और चिकित्सकों को दिया जाता है.

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इस दौरान डॉ. कृष्ण इल्ला ने कहा, "मैं इस मेडल को भारत की वैज्ञानिक उत्कृष्टता की वैश्विक मान्यता के रूप में स्वीकार करता हूं. इस मेडल को मैं अपने देश को समर्पित करता हूं, जिसने विज्ञान और अनुसंधान व विकास को आगे बढ़ाकर उल्लेखनीय सफलता हासिल की है. मैं हमारी वैज्ञानिकों की टीम का शुक्रिया अदा करता हूं. ये जनता के प्रति हमारी मजबूत प्रतिबद्धता का नतीजा है."

डॉ. कृष्ण इल्ला ने कई अन्य उपलब्धियों के अलावा विज्ञान, अनुसंधान और इनोवेशन में भारत की नीतियों को आकार दिया है. उनकी कोशिशों की बदौलत ही कोरोना के टीके कोवैक्सीन और मोनोक्लोनल एंटीबॉडी के विकास को संभव बनाया जा सका. इससे अनगिनत लोगों की जान बचाई जा सकी.

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डॉ. कृष्णा इल्ला का पूरा नाम डॉ. कृष्ण मूर्ति इल्ला है. उनका जन्म साल 1969 में तमिलनाडु के तिरुत्तनी में हुआ था. उन्होंने एग्रीकल्चर साइंसेज में ग्रेजुएशन किया फिर यूनिवर्सिटी ऑफ हवाई से एमएस की डिग्री ली. इसके बाद उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ विसकॉन्सिन मेडिसन से पीएचडी पूरी की. कुछ साल तक अमेरिका की एक मेडिकल यूनिवर्सिटी में काम भी किया.

अमेरिका से भारत लौटने के बाद उन्होंने भारत बायोटेक की स्थापना की. भारत बायोटेक के पास 140 दवाओं का ग्लोबल पेटेंट्स है. भारत बायोटेक ने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रिसर्च एंड डेवलपमेंट क्षेत्र में करीब 20 करोड़ डॉलर निवेश किया है.

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