ब्रिटेन की दवा कंपनी एस्ट्राजेनेका (AstraZeneca) ने स्वीकार किया है कि उसकी कोविड-19 वैक्सीन (Covid-19 vaccine) के दुर्लभ दुष्प्रभाव हो सकते हैं. इसके कुछ दिनों बाद भारतीय वैक्सीन निर्माता भारत बायोटेक (Bharat Biotech) ने गुरुवार को कहा कि कोवैक्सीन (Covaxin) को सबसे पहले सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करके विकसित किया गया था.
हैदराबाद में स्थित कंपनी भारत बायोटेक ने कहा कि कोवैक्सीन भारत सरकार के कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम में एकमात्र कोविड-19 वैक्सीन है, जिसने भारत में इसकी प्रभावकारिता का परीक्षण किया है.
वैक्सीन निर्माता भारत बायोटेक ने कहा, "लाइसेंस प्रक्रिया के तहत कोवैक्सीन का 27,000 से अधिक विषयों में मूल्यांकन किया गया था. इसे क्लीनिकल ट्रायल मोड में प्रतिबंधित उपयोग के तहत लाइसेंस दिया गया था, जिसमें कई लाख विषयों के लिए विस्तृत सेफ्टी रिपोर्टिंग की गई थी."
दवा कंपनी ने कहा कि, कोवैक्सीन की सुरक्षा का मूल्यांकन स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से भी किया गया था. भारत बायोटेक ने दावा किया कि, "कोवैक्सीन के प्रोडक्ट लाइफ साइकल के दौरान निरंतर सुरक्षा निगरानी (pharmacovigilance) चलती रही थी. उसने कहा कि, सभी अध्ययनों और सुरक्षा परीक्षणों में यह साफ हुआ कि हमारे कोरोना के टीके से खून के थक्के (blood clots), थ्रांबोसाइटोपेनिया (Thrombocytopenia), टीटीएस (TTS), वीआईटीटी (VITT), पेरीकार्डिटिस (Pericarditis),मायकार्डिटिस (Myocarditis) जैसा कोई खतरा नहीं है.
@bharatbiotech announcement - #COVAXIN was developed with a single-minded focus on #safety first, followed by #efficacy. #BharatBiotech #COVID19 pic.twitter.com/DgO2hfKu4y
— Bharat Biotech (@BharatBiotech) May 2, 2024
वैक्सीन निर्माता कंपनी ने कहा कि, "अनुभवी इनोवेटर्स और प्रोडक्ट डेवलपर्स के रूप में भारत बायोटेक की टीम अच्छी तरह से जानती थी कि, भले ही कोविड-19 टीकों का प्रभाव अल्पकालिक हो सकता है, लेकिन रोगी की सुरक्षा पर प्रभाव जीवन भर रह सकता है, इसलिए टीके में सुरक्षा हमारे लिए प्राथमिकता रही है.“
कोविशील्ड और कोवैक्सीन वे टीके थे जो मुख्य रूप से भारत में कोविड महामारी के दौरान लगाए गए थे.
ब्रिटेन की कई मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, एस्ट्राजेनेका ने एक मामले के संबंध में अदालती दस्तावेजों में उस पर लगे आरोपों को स्वीकार किया है. दवा कंपनी पर आरोप लगाया गया था कि ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के साथ विकसित वैक्सीन दर्जनों मामलों में मौत और गंभीर चोट का कारण बनी.
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