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बेंगलुरु में महिलाओं की सुरक्षा के लिए 'सेफ्टी आइलैंड्स', जानें कैसे करते हैं काम

बेंगलुरु के 50 प्रमुख स्‍थानों पर इन 'सेफ्टी आइलैंड्स' को स्‍थापित किया गया है. नीले बूथ जैसे ढांचे लोगों को बिना मोबाइल फोन के मदद लेने के लिए सुविधा प्रदान करते हैं. 

बेंगलुरु में महिलाओं की सुरक्षा के लिए 'सेफ्टी आइलैंड्स', जानें कैसे करते हैं काम
  • बेंगलुरु पुलिस ने महिला सुरक्षा के लिए सेफ्टी आइलैंड्स प्रणाली शुरू की है जो संकट में सहायता प्रदान करती है.
  • 50 स्‍थानों पर 'सेफ्टी आइलैंड्स' को स्‍थापित किया गया है. ये बिना मोबाइल की मदद के सुविधा प्रदान करते हैं.
  • सेफ्टी आइलैंड्स में एक सिंगल-टच SOS बटन होता है जो यूजर को सीधे पुलिस कमांड और कंट्रोल सेंटर से जोड़ता है.
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बेंगलुरु:

देश के बड़े शहरों में महिलाओं की सुरक्षा बड़ा मुद्दा है और कई बार महिलाओं को समय पर मदद नहीं मिल पाती है. हालांकि अब बेंगलुरु में महिलाओं की सुरक्षा के मद्देनजर ऐसा सिस्‍टम विकसित किया है, जो बेहद उपयोगी साबित हो रहा है. बेंगलुरु सिटी पुलिस ने अपनी 'सेफ सिटी' पहल के तहत 'सेफ्टी आइलैंड्स' नामक एक सुरक्षा प्रणाली शुरू की है, जिसका उद्देश्‍य संकट के वक्त महिलाओं को तुरंत सहायता प्रदान करना है.

शहर के 50 प्रमुख स्‍थानों पर इन 'सेफ्टी आइलैंड्स' को स्‍थापित किया गया है. नीले बूथ जैसे ढांचे लोगों को बिना मोबाइल फोन के मदद लेने के लिए सुविधा प्रदान करते हैं. 

पुलिस कमांड और कंट्रोल सेंटर से जुड़ाव

सेफ्टी आइलैंड में एक सिंगल-टच एसओएस बटन लगा होता है. यह यूजर्स को सीधे पुलिस कमांड और कंट्रोल सेंटर से जोड़ता है. 

एक बार दबाने पर अधिकारी दो-तरफा संचार प्रणाली का उपयोग करके वास्तविक समय में कॉलर से संवाद कर सकते हैं और सहायता के लिए आसपास के ईआरएसएस वाहनों को भेज सकते हैं. 

एआई संचालित कैमरे, स्‍पीकर की सुविधा भी 

परिस्थितिजन्‍य जागरूकता बढ़ाने के लिए हर बूथ में एक स्थिर इकाई और एक पीटीजेड कैमरे सहित एआई से संचालित होने वाले कैमरे लगे हैं. यह कैमरे 360 डिग्री निगरानी और आपातकालीन अलर्ट के लिए सार्वजनिक घोषणा स्पीकर प्रदान करते हैं. आसान पहुंच के लिए सभी स्‍थानों को गूगल मैप्‍स पर भी चिह्नित किया गया है.  

अधिकारियों के अनुसार, यह प्रणाली 30 जून 2024 से सक्रिय है और कमांड सेंटर ने 188 एसओएस कॉल्‍स का जवाब दिया है, जिनमें 62 फोन चोरी से संबंधित घटनाएं शामिल हैं. 

पुलिसकर्मी लगातार लाइव फीड की निगरानी करते हैं. तत्काल एसओएस प्रतिक्रिया के लिए प्रोटोकॉल का पालन करते हैं और कैमरों और संचार प्रणालियों का नियमित रखरखाव करते हैं. 

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