बेंगलुरु:
बेंगलुरु शहर की दो बड़ी झीलें यानी बेलनदूर और वरतूर। यहां एक बार फिर प्रदूषित पानी में झाग तेज़ी से बनने लगा है। ये ज़हरीला झाग हवा के झोंके के साथ उड़ कर सड़क पर आ जाता है। लोग इससे बचने की कोशिश करते दिखते हैं क्योंकि शरीर के जिस हिस्से से ये टकराता है वहां या तो तेज़ खुजली होती है या फिर वो हिस्सा कई दिनों तक काला रहता है।
यही हमें हरीश पटेल मिले जो की सॉफ्टवेयर प्रोफेशनल हैं और पास की एक कंपनी में काम करते हैं। उनका कहना है कि आसपास बदबू इतनी फैल जाती है कि उससे बचने के लिए रूम फ्रेशनर का बड़ी मात्रा में वो और उनके दूसरे साथी इस्तेमाल करते हैं, इसके बावजूद इन दिनों रहना मुश्किल हो गया है। ऐसे में वो जल्द ही दूसरा मकान किराये पर लेंगे।
हालात हाल में खराब दो वजहों से हुए ऐसा माना जा रहा है। पहला त्योहारों की वजह से पानी का प्रदूषण का स्तर बढ़ा और दूसरा बारिश जिसने आसपास की गन्दगी पानी में मिलाई। हालांकि झील में झाग बनने की ये समस्या तक़रीबन 15 साल पुरानी है लेकिन पिछले डेढ़ दो सालों से ये काफी बढ़ गयी है। क्योंकि इस दौरान कई कल कारखाने खुले लेकिन प्रदुषण नियंत्रण की तऱफ ध्यान नहीं दिया गया।
इन्हीं झीलों के झाग में हाल में आग भी लगी थी। फिलहाल महानगर पालिका ने झाग खत्म करने के लिए मज़दूरों को पानी के पाइप के साथ काम पर लगाया है ताकि झाग नियंत्रित रहे और हवा में न उड़े। साथ ही साथ जगह जगह पर स्प्रिंकल भी लगाये गए हैं ताकि झाग को बनते ही फाड़ दिया जाये।
यही हमें हरीश पटेल मिले जो की सॉफ्टवेयर प्रोफेशनल हैं और पास की एक कंपनी में काम करते हैं। उनका कहना है कि आसपास बदबू इतनी फैल जाती है कि उससे बचने के लिए रूम फ्रेशनर का बड़ी मात्रा में वो और उनके दूसरे साथी इस्तेमाल करते हैं, इसके बावजूद इन दिनों रहना मुश्किल हो गया है। ऐसे में वो जल्द ही दूसरा मकान किराये पर लेंगे।
हालात हाल में खराब दो वजहों से हुए ऐसा माना जा रहा है। पहला त्योहारों की वजह से पानी का प्रदूषण का स्तर बढ़ा और दूसरा बारिश जिसने आसपास की गन्दगी पानी में मिलाई। हालांकि झील में झाग बनने की ये समस्या तक़रीबन 15 साल पुरानी है लेकिन पिछले डेढ़ दो सालों से ये काफी बढ़ गयी है। क्योंकि इस दौरान कई कल कारखाने खुले लेकिन प्रदुषण नियंत्रण की तऱफ ध्यान नहीं दिया गया।
इन्हीं झीलों के झाग में हाल में आग भी लगी थी। फिलहाल महानगर पालिका ने झाग खत्म करने के लिए मज़दूरों को पानी के पाइप के साथ काम पर लगाया है ताकि झाग नियंत्रित रहे और हवा में न उड़े। साथ ही साथ जगह जगह पर स्प्रिंकल भी लगाये गए हैं ताकि झाग को बनते ही फाड़ दिया जाये।
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